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हजारों श्रद्धालुओं ने तिलडीहा दुर्गा मंदिर में किया जलार्पण

हजारों श्रद्धालुओं ने तिलडीहा दुर्गा मंदिर में किया जलार्पण सुलतान से गंगा जल लेकर श्रद्धालु पैदल पहुंचते हैं माता के दरबारहर साल लगती है मंदिर में हजारों की भीड़फोटो 13 बांका 2, 3 : जलार्पण करने पहुंचे श्रद्धालुओं की भीड़ एवं पेड़ पर बांधे गये पताका व अन्य सामग्री प्रतिनिधि, शंभुगंजमंगलवार को शारदीय नवरात्र के […]

हजारों श्रद्धालुओं ने तिलडीहा दुर्गा मंदिर में किया जलार्पण सुलतान से गंगा जल लेकर श्रद्धालु पैदल पहुंचते हैं माता के दरबारहर साल लगती है मंदिर में हजारों की भीड़फोटो 13 बांका 2, 3 : जलार्पण करने पहुंचे श्रद्धालुओं की भीड़ एवं पेड़ पर बांधे गये पताका व अन्य सामग्री प्रतिनिधि, शंभुगंजमंगलवार को शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन क्षेत्र के तिलडीहा, गुलनी कुशाहा, शंभुगंज, मिर्जापुर, प्रतापपुर, कसबा आदि दुर्गा मंदिर में पूजा अर्चना शुरू होते ही श्रद्धालुओं द्वारा दुर्गा मंदिर में दुर्गा पाठ शुरू हो गया. क्षेत्र के श्रद्धालु मां भगवती की पूजा अर्चना में लीन हो गये. वहीं अंग क्षेत्र के प्रसिद्ध तांत्रिक शक्ति पीठ दुर्गा मंदिर हरवंशपुर गांव स्थित कृष्ण काली, दुर्गा मंदिर तिलडीहा में प्रथम पूजा के दिन करीब पचास हजार श्रद्धालुओं ने सुलतानगंज से गंगा जल भर कर पैदल मंदिर पहुंच कर जलार्पण किया. सोमवार की आधी रात से लेकर मंगलवार के दिन भर श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहा. बाहर से आकर करते हैं पूजा-अर्चनाश्रद्धालु डॉ मिथलेश कुमार गुप्ता ने बताया कि हम दिल्ली में रहते हैं, लेकिन शारदीय नवरात्र के अवसर पर पूरे परिवार के साथ अपना गांव बेलारी आते हैं और प्रत्येक वर्ष प्रथम पूजा को अपने पूरे परिवार के साथ तिलडीहा दुर्गा मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते हैं. वहीं सुलतानगंज से जल लेकर पैदल आ रहे बांका पुरानी बस स्टैंड के विकास कुमार ने बताया कि तिलडीहा दुर्गा मंदिर में जल चढ़ाने से मनोकामना पूर्ण होती है. मां के दरबार में आने से मन में शांति एवं सारे कष्ट मिट जाते है. मंदिर में किया जाता है जलार्पणयह एक ऐसा दुर्गा मंदिर है जहां श्रद्धालुओं द्वारा शारदीय नवरात्र के अवसर पर प्रथम पूजा एवं अष्टमी पूजा को सुलतानगंज से गंगाजल भर कर पैदल यात्रा कर जलार्पण करते हैं. प्रथम पूजा को श्रद्धालुओं के भीड़ को देखते हुए स्थानीय प्रशासन द्वारा पुलिस बल शांति बनाने को तत्पर रहती है. दुर्गा मंदिर पूजा समिति के सदस्यों भी मौजूद रहते हैं. श्रद्धालुओं द्वारा अपना गंगा जल का डिब्बा सहित मंदिर में चढ़ा दिया जाता है. श्रद्धालुओं को जहां मौका मिलता है मंदिर के आस पास कुआं हो या फिर वृक्ष पर पताका बांध कर अगरबत्ती जला कर अपना श्रद्धा प्रकट करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. मंदिर के मेढ़पति परिवार द्वारा मंदिर से डिब्बा निकाल कर गंगाजल एक जगह जमा कर दिया जाता है. शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन श्रद्धालुओं द्वारा हजारों से ज्यादा नारियल फोड़ कर पूजा-अर्चना की गयी.

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