फिलहाल स्कूल में कार्यरत चार शिक्षक भी नियमित विद्यालय आने से परहेज करते हैं. जब मध्यमा परीक्षा का फार्म भरने का समय आता है, तो विद्यालय में कुछ चहलकदमी बढ़ जाती है. प्रधानाध्यापिका नूतन कुमारी, सहायक शिक्षिका एकता कुमारी, कृष्णा बिहारी पाठक के अलावा एक अन्य शिक्षिका एवं आदेश पाल भगवान ठाकु र यहां कार्यरत हैं. करीब तीन-चार वर्ष पूर्व तत्कालीन डीइओ राम प्रवेश सिंह के औचक निरीक्षण में विद्यालय की बदहाली का खुलासा हुआ था.
हाल में लंबे दिनों से अधिकारियों की लापरवाही से विद्यालय के शिक्षक आराम फरमा रहे हैं. गौरतलब है कि मध्यमा परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को ही नामांकन पंजी में नियमित बनाकर यहां दर्शाया जाता है. पूर्व में विद्यालय के प्रधानाचार्य दिवाकर शर्मा थे. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उनके परिवार के ही एक सदस्य एवं एक सगे संबंधी को विद्यालय में शिक्षक का पद मिला. ऐसी स्थिति केवल इसी विद्यालय में नहीं, वरन अन्य विद्यालयों में भी है. जानकारों का मानना है कि संस्कृत विद्यालय में वंशवाद की परंपरा हावी है. सेवानिवृत्त होने के बाद या फिर शिक्षक के निधन के बाद उनके ही परिवार के सदस्यों की यहां नौकरी सुरक्षित है. सबसे आश्चर्यजनक यह है कि संबंधित अधिकारी सभी जानकारी से अवगत होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करते है.