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फोरलेन से लेकर मंदार रोपवे तक का फंसा काम
बांका :आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ ही कई सरकारी योजनाएं अधर में लटक गयी. अब इन योजनाओं पर नयी सरकार गठन के बाद ही कुछ हो सकता है. जानकारी के मुताबिक कई ऐसी योजनाएं हैं, जिसका केवल शिलान्यास और उद्घाटन होना था. लोस चुनाव में 11 अरब की लागत से भागलपुर-हंसडीहा बांका होते […]
बांका :आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ ही कई सरकारी योजनाएं अधर में लटक गयी. अब इन योजनाओं पर नयी सरकार गठन के बाद ही कुछ हो सकता है. जानकारी के मुताबिक कई ऐसी योजनाएं हैं, जिसका केवल शिलान्यास और उद्घाटन होना था. लोस चुनाव में 11 अरब की लागत से भागलपुर-हंसडीहा बांका होते हुए फोरलेन सड़क का कार्य अब प्रारंभ नहीं हो सकता है.
जबकि, इसकी राशि स्वीकृत कर दी गयी थी. मंदार पवर्त पर भी रोपवे का निर्माण अंतिम चरण में है. मार्च में ही शुभारंभ होना था. परंतु अब रज्जूमार्ग से मंदार भ्रमण का सपना अंत मई में ही संभव है. प्रमुख मार्ग बांका-अमरपुर-भागलपुर एसएच का जीर्णोद्धार 45 करोड़ की लागत से होनी थी. इसकी लगभग प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है.
चुनाव को मद्देनजर रखते हुए इसका जीर्णोद्धार काफी जरूरी है. परंतु इसपर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. आशंका यह जतायी जा रही है कि चुनाव बाद ही इसका निर्माण संभव है.
इसके अलावा ग्रामीण कार्य विभाग के अंतर्गत दस स्वीकृत सड़क व प्रधानमंत्री सड़क निर्माण योजना के तहत बनने वाले सात सड़क व छह प्रमुख पुल का निर्माण भी आचार संहिता के लपेटे में आ गया.
इसके अलावा भी कई दर्जन ऐसे भी सड़क हैं, जिसकी अनुशंसा विधायक व एमएलसी ने कर दिया है, लेकिन अब आगे की प्रक्रिया आचार संहिता बाद ही अपनायी जा सकती है.
जन-वितरण प्रणाली का लाइसेंस भी चढ़ा आचार संहिता की भेंट
आचार संहिता में केवल सड़क निर्माण ही नहीं बल्कि कई विभाग की बहुत सारी योजनाएं व क्रिया-कलाप बीच में लटक गया है. बीते महीने ही 328 नये जन-वितरण प्रणाली दुकानदार को लाइसेंस निर्गत के लिए चयन कर लिया गया था. लेकिन, लाइसेंस निर्गत आचार संहिता के बाद ही संभव लग रहा है. लिहाजा, इस वजह से आवेदकों में भारी दुख है.
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