बांका : बांका हर्बल गुलाल का रंग अब धीरे- धीरे राष्ट्रीय स्तर पर दिखायी दे रहा है. यही वजह है कि उत्पादित बांका हर्बल गुलाल की डिमांड इस बार पूरी नहीं की जा पा रही है. जिसको देखते हुए वन विभाग ने इस रोजगार को यहां और हाइटेक करने का फैसला लिया है. जिसके तहत अगली कड़ी में विभाग ने इस रोजगार के लिए अत्याधुनिक मशीन व गोदाम आदि सुविधा मुहैया कराने का फैसला लिया है, इसके लिए वन विभाग ने उच्चाधिकारी को इस मामले से अवगत कराते हुए आधुनिक तकनीकी व संसाधन की डिमांड की है. ताकि इस रोजगार को यहां मजबूती के साथ खड़ा किया जा सके और इससे यहां के हजारों लोगों को रोजगार मिल सके.
इस संबंध में पिरौटा वन समिति अध्यक्ष उपेंद्र यादव ने बताया है कि इस बार की होली के लिए समिति को करीब 5 क्विंटल हर्बल गुलाल का डिमांड महाराष्ट्र, कोलकाता, दिल्ली, पटना, झारखंड सहित अन्य राज्यों से आया है. संसाधन के अभाव के कारण डिमांड पूरा करने में असफल हो रहे हैं. चूंकि हाथों से वृहत पैमाने पर हर्बल गुलाल को तैयार करना थोड़ी मुश्किल कार्य है. हालांकि विभाग ने इस मसले को उच्चाधिकारियों के समक्ष रखा है, आशा है जल्द ही यहां हर्बल गुलाल का कारोबार अत्याधुनिक संसाधनों से लैस होगा तथा आनेवाले समय में हर्बल गुलाल का यहां एक बड़ा हब बनेगा. और जल्द ही बांका हर्बल गुलाल को विदेशों में भी जगह मिलेगा.
बढ़ी डिमांड, बांका में निर्मित हर्बल गुलाल को दिया जा रहा कॉमर्शियल रूप
कैसे बनाया जाता है हर्बल गुलाल
जंगलों में लगे पलास के पेड़ से गिरे फूल को जमा कर पहले इसे सुखाया जाता है. फिर इसका पाउडर बनाकर इसमें खुशबूदार तेल आदि सामग्री को मिलाया जाता है. इसके लिए रॉ मेटेरियल में पलास फूल, सीम के पत्ते, सिंदूर का बीज, टेलकम पाउडर आदि हैं.
पिरौटा वन समिति द्वारा तैयार किया जा रहा हर्बल गुलाल
बांका हर्बल गुलाल की डिमांड को देखते हुए यहां इसे अत्याधुनिक व कॉमर्शियल रूप दिया जायेगा. जिसके लिए मेरे द्वारा विभाग के उच्चाधिकारी को मामले से अवगत कराया गया है. चूंकि वृहत पैमाने पर इस करोबार से यहां के हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा.
शशिकांत कुमार, डीएफओ, बांका
जिले में है बृहत पैमाने पर हैं पलास के पेड़
जिले में पलास की पेड़ अत्यधिक मात्रा में है. यहां की भौगोलिक स्थिति भी इस पेड़ को वृहत पैमाने पर उगाने के लिए समक्ष है. चूंकि जिले का अधिकांश भूखंड पठारी व मैदानी इलाके में शुमार है, यही वजह है की यहां यह पेड़ स्वयं भी उगते देखे गये हैं. पलास के फूल से निर्मित हर्बल गुलाल से जहां रोजगार की असीम संभावनाएं हैं, वहीं यह पेड़ जिले में सस्ता व शुलभ भी उपलब्ध है. दूसरी ओर पलास के फूल से निर्मित गुलाल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी है.
डा. सुनीता कुशवाहा, उद्यान वैज्ञानिक, केवीके, बांका