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दुर्घटनाओं का कारण बन रहे स्पीड ब्रेकर

बांका : वाहन की तेज रफ्तार को धीमी करने के लिए स्पीड ब्रेकर का निर्माण सड़क पर की जाती है. लेकिन अमानक स्पीड ब्रेकर्स बेतरतीब ढंग से बन जाने की वजह से सड़क दुर्घटना में तेजी से वृद्धि हो रही है. जिले में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में एक प्रमुख कारण स्पीड ब्रेकर भी बनता […]

बांका : वाहन की तेज रफ्तार को धीमी करने के लिए स्पीड ब्रेकर का निर्माण सड़क पर की जाती है. लेकिन अमानक स्पीड ब्रेकर्स बेतरतीब ढंग से बन जाने की वजह से सड़क दुर्घटना में तेजी से वृद्धि हो रही है. जिले में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में एक प्रमुख कारण स्पीड ब्रेकर भी बनता जा रहा है. फालतू संख्या में बन रहे स्पीड ब्रेकर्स पर लगाम की कवायद नहीं दिख रही है. संबंधित विभाग भी मौन है. स्थानीय लोगों की मांग पर संवेदक जहां-तहां धड़ल्ले से निर्माण कर देते हैं.

नतीजतन, हर दिन स्पीड ब्रेकर की चपेट में आकर गतिशील वाहन दुर्घटना ग्रस्त हो जाते हैं. स्पीड ब्रेकर्स की चपेट में अधिक संख्या में दो पहिया वाहन आते हैं. ज्ञात हो की कुछ वर्ष पूर्व धौनी पुल पर स्पीड ब्रेकर होने की वजह से एक बाइक का भयंकर एक्सिडेंट हुआ था. इस दुर्घटना में एक दंपती घायल हुए थे. दुर्घटना इतनी जबरदस्त थी कि घटनास्थल पर ही पति ने दम तोड़ दिया. इसी तरह की घटनाएं आये दिन सुनने व देखने को मिल जाती है. दरअसल, वाहन दुर्घटना को कम करने के लिए गतिशील वाहन पर लगाम को लेकर स्पीड ब्रेकर्स का निर्माण कराया जाता है, परंतु स्थिति बिल्कुल उलट है.

स्पीड ब्रेकर के कारण चालकों में बढ़ रही रीढ़ के दर्द की शिकायत

नियम को धता बताकर निर्मित स्पीड ब्रेकर्स से दुर्घटना के साथ लोगों को स्वास्थ्य संबंधित अन्य कठिनाइयों उन्हें मुफ्त में मिल रही है. जानकारी के मुताबिक तय मानक के अनुसार स्पीड ब्रेकर्स नहीं बनाने की वजह से वाहन जबरदस्त हिचकोले खाते हैं. ब्रेकर्स के कारण अचानक वाहन उछलने की वजह से रीढ़ की हड्डी में जोरदार झटका पहुंच जाता है. ऐसी स्थिति में हड्डी टूटने व मोच आने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है. अक्सर सरकारी व निजी क्लिनिक में रीढ़ की शिकायत लेकर मरीज पहुंच ही जाते हैं. अधिक संख्या में मरीज रीढ़ की शिकायत का जिम्मेदार स्पीड ब्रेकर्स को ही बताते हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में इतने स्पीड ब्रेकर कि दिमाग हो जायेगा खराब

शहर से अधिक संख्या में स्पीड ब्रेकर्स की समस्या ग्रामीण क्षेत्र में है. एक-एक किलोमीटर सड़क में कहीं-कहीं एक दर्जन स्पीड ब्रेकर्स आपको मिल जायेगा. यहां तक कि कई ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी स्थिति है कि दबंग लोग अपने-अपने घर के सामने भी स्पीड ब्रेकर्स बनवा लेते हैं.

कहीं-कहीं संवेदक उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल नहीं उठाये इसलिए मांग के अनुसार स्पीड ब्रेकर्स बना देते हैं. जबकि कहीं-कहीं दबंग अपनी दबंगई से इसका निर्माण फिजूल करवा लेते हैं. यह समस्या समय के साथ और बड़ी हो रही है.

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