सृजन घोटाला . एसआइटी ने भागलपुर स्थित बैंक में शुरू की जांच-पड़ताल, बांका में हड़कंप
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भू-अर्जन विभाग के खिलाफ कई अहम सुराग
सृजन घोटाला . एसआइटी ने भागलपुर स्थित बैंक में शुरू की जांच-पड़ताल, बांका में हड़कंप सृजन घोटाला में एसआइटी व प्रशासनिक टीम ने विभागवार जांच की प्रक्रिया जारी रखी. वहीं टीम ने भागलपुर में विभागों के खातों की कुंडली बैंक स्टेटमेंट से मिलायी. टीम को भू-अर्जन विभाग में अनियमितता के कई अहम सुराग मिले हैं, […]
सृजन घोटाला में एसआइटी व प्रशासनिक टीम ने विभागवार जांच की प्रक्रिया जारी रखी. वहीं टीम ने भागलपुर में विभागों के खातों की कुंडली बैंक स्टेटमेंट से मिलायी. टीम को भू-अर्जन विभाग में अनियमितता के कई अहम सुराग मिले हैं, लेकिन अन्य किसी भी विभाग में कोई वित्तीय अनियमितता सामने नहीं आयी.
जांच में यह बात भी सामने आयी है कि मामले से कई सफेदपोशों व व्यापारियों के तार जुड़े हैं. वहीं अब डीएम ने चेक सहित अन्य माध्यम से भुगतान व निकासी की प्रक्रिया को कम कर नेट बैंकिंग से सभी विभाग को जुड़ने की बात कही है.
बांका : सृजन घोटाला का तार बांका से जुड़ने के बाद एसआइटी व प्रशासनिक टीम चुस्त-दुरुस्त होकर अपनी जांच प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में लगी है. बुधवार को प्रशासनिक टीम ने विभागवार जांच की प्रक्रिया जारी रखी. इस दौरान कई विभागों के प्रत्येक खातों की कुंडली बैंक स्टेटमेंट से मिलायी गयी. राहत की बात यह है कि भू-अर्जन विभाग के अलावा अन्य किसी भी विभाग में कोई वित्तीय अनियमितता सामने नहीं आयी. वहीं, दूसरी ओर हड़ताल के बाद बुधवार को बैंक खुलते ही ग्राहक से पहले विभिन्न विभाग के अधिकारी व जांच दल पहुंचा. साथ ही विभागीय खाता का स्टेटमेंट निकालकर उसकी पूरी जांच की गयी.
एसआइटी एसडीपीओ शशि शंकर के नेतृत्व में भागलपुर पहुंची और बैंक ऑफ बड़ौदा व इंडियन बैंक में घंटों जांच प्रक्रिया चलायी गयी. हालांकि जांच टीम की ओर से बताया गया कि अभी जांच जारी है, कुछ कहना जल्दबाजी होगी. पूरी जांच के बाद ही माजरा सामने आयेगा. ज्ञात हो कि बांका में सृजन घोटाला को लेकर 83.10 करोड़ का घपला उजागर हुआ है. घपलेबाजी शनिवार को ही आर्थिक अपराध जांच दल के सामने आयी थी. इसके बाद अविलंब तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी सहित सभी आरोपी पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. एसपी ने जांच के लिए 15 सदस्यीय एसआइटी भी गठित कर दी है, जो जांच कर रही है.
लेखापाल की कमी से जूझ रहा विभाग . सृजन घोटाला की चपेट में भू-अर्जन विभाग आने के बाद भ्रष्टाचार का उद्भेदन के साथ कई बुनियादी कमियां भी सामने आई है. जानकारी के मुताबिक कमोबेश प्रत्येक विभाग में लेखा-पाल की घोर कमी है. जिसकी वजह से विभागीय लेखा-जोखा सही रूप से नहीं रखी जा रही है. साथ ही संबंधित पदाधिकारी व लिपिक लेखा-जोखा में दक्ष नहीं है. ऐसी सूरत में वित्तीय भूल-चूक से इनकार नहीं किया जा सकता है. कई विभागीय पदाधिकारी ने लेखापाल की कमी की बात कही. कहा कि अगर वित्तीय अनुशासन बनाए रखना है तो लेखा-पाल की नियुक्ति अविलंब करनी होगी. वहीं दूसरी ओर अबतक जिले में विशेष अंकेक्षण दल भी नहीं नियुक्त किए गए हैं. ऐसे में समय-समय पर विभागीय अंकेक्षण भी संभव नहीं हो पा रहा है. सूत्र की मानें तो ऐसी समस्या पर जिलाधिकारी भी गंभीर हैं. वे जल्द ही समास्या समाधान को लेकर आवश्यक कदम उठा सकते हैं.
ज्ञात हो कि जिले का वित्तीय दायरा में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है. साथ ही प्रत्येक विभाग में करोड़ों ट्रांसजेक्शन प्रतिमाह हो ही जाती है. ऐसी सूरत विभाग को तकनीकी रूप में दक्ष करना बेहद जरुरी है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो भविष्य में बड़ी गलतियों से इंकार नहीं किया जा सकता है. जानकारों की मानें तो जिलास्तर पर एक विशेष अंकेक्षण दल की भी व्यवस्था होनी चाहिए. ताकि समय-समय पर विभागीय लेखा-जोखा का अंकेक्षण की जा सके. अंकेक्षण दल व लेखापालन की कमी दूर करने के बाद वित्तीय अनियमितता में हद तक अंकुश लगना तय माना जा रहा है. कई विशेषज्ञों ने इस संदर्भ में सूबे की सरकार से आवश्यक पहल शुरू करने को कहा. ताकि समय रहते सुधार लाया जा सके. इसके अलावा सीए की नियुक्ति पर भी अर्थशास्त्रियों ने बल दिया है.
सहकारिता बैंक की जांच में पड़ रहा खलल
सृजन घोटाला मामले को लेकर गत शनिवार को शहर स्थित सहकारिता बैंक से प्रबंधक विजय कुमार गुप्ता की गिरफ्तारी भागलपुर टीम ने की थी. इसके बाद एसआइटी बांका व जिला प्रशासन की जांच टीम के रडार पर यह बैंक आ चुका है. जानकारी मिल रही है कि प्रशासन की एक टीम बुधवार को सहकारिता बैंक पहुंची थी. परंतु बैंक प्रबंधक के गिरफ्तार होने के बाद अबतक यहां किसी की पदस्थापना नहीं की गयी है. जिसकी वजह से जांच दल को शतप्रतिशत कागजात उपलब्ध नहीं हो सका. लिहाजा, जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
सफेदपोशों व व्यापारियों पर टेढ़ी हुई निगाहें
सृजन घोटाला का बड़ा घपला उजागर होने के परत-दर-परत सारी सच्चाई सामने आ रही है. सृजन की मनोरमा देवी व तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी ने सरकारी राशि का जमकर लुत्फ उठाया था. कहा जाता है कि मनोरमा देवी कई सफेदपोश व व्यापारी को बैंक चेक व ड्राफ्ट के माध्यम से खूब पैसे ऋण पर लगाती थी. साथ ही ऋण का सूद पूरा कुनबा के साथ मिलकर हजम किया जाता था. कई सफेदपोश व व्यापारी बड़ी-बड़ी रकम लेकर खूब मजे किए हैं. सूत्र की मानें तो जांच के दौरान यह बात भी सामने आई है. हालांकि अधिकारिक रूप से इस बात पर किसी प्रकार की काई टिप्पणी नहीं आई है. परंतु जांच क्रम में ठोस सबूत हाथ लगे तो घपले से जुड़े प्रत्येक के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है.
आरोपित की गिरफ्तारी को छापामारी
एसआइटी भागलपुर पहुंच बैंक ऑफ बड़ौदा व इंडियन बैंक में जांच की है. अभी जांच जारी है. साथ ही आरोपित की गिरफ्तारी के लिए भी छापेमारी जारी है. जल्द ही सभी आरोपित पुलिस गिरफ्त होंगे.
चंदन कुमार कुशवाहा, एसपी, बांका
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