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सरस्वती पूजन के साथ मनेगा बसंत उत्सव
हसपुरा : विद्या व संगीत के अनुरागी मां हंसवाहिनी सरस्वती की प्रतिमा स्थापना कर एक फरवरी बुधवार को हर्षोल्लास के साथ पूजा करेंगे. बसंत पंचमी पूजा पर प्रकाश डालते हुए आचार्य पंडित लालमोहन शास्त्री ने कहा कि इसी दिन बसंत उत्सव के साथ ऋतिकामोत्सव प्रारंभ हो जायेगा. उन्होंने कहा कि बसंत पंचमी के दिन ही […]
हसपुरा : विद्या व संगीत के अनुरागी मां हंसवाहिनी सरस्वती की प्रतिमा स्थापना कर एक फरवरी बुधवार को हर्षोल्लास के साथ पूजा करेंगे. बसंत पंचमी पूजा पर प्रकाश डालते हुए आचार्य पंडित लालमोहन शास्त्री ने कहा कि इसी दिन बसंत उत्सव के साथ ऋतिकामोत्सव प्रारंभ हो जायेगा. उन्होंने कहा कि बसंत पंचमी के दिन ही भगवान शंकर का तिलक राजा हिमाचल ने अपनी पुत्री पार्वती के लिए चढ़ाया था. पूजा-अर्चना के समय बालकों को विद्या प्रारंभ के लिए शुभ माना जाता है.
श्री शास्त्री ने कहा कि इसी दिन फाग गीत झाल-मजीरा व ढोलक की थाप से शुरू होता और लोग अबीर-गुलाल उड़ाते हैं. उन्होंने हसपुरा का क्षेत्र की महता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हसपुरा का जो बह (जल श्रोत) है यह मां सरस्वती द्वारा सेवित है.
इसका वर्णन वेद में है. उन्होंने कहा बाणभट्टकृत हर्ष चरित्र के अनुसार इंद्र सभा में महर्षि दुर्वाषा से शाप मिला, जिसके कारण मानवी नारी का रूप धारण कर हिरण वाहक (जो बह के नाम से विख्यात है) के किनारे आयी. यहां च्यवन ऋषि के पुत्र दधीच से प्रेम विवाह हुआ. मां सरस्वती ने एक पुत्र का जन्म दिया और ब्रह्मलोक में चली गयीं.
सरस्वती के पुत्र का नाम सारस्वत पड़ा, जिससे सारस्वत नामक ब्राह्मण का वंश चल रहा है. इसी इलाके में प्रीतिकूट (पीरू) है, जहां महाकवि बाणभट्ट के समय गुरुकुल था, जिसमें वेद की पढ़ाई होती थी. आज यह क्षेत्र हसपुरा के नाम से विख्यात है. इस इलाके में हिंदू-मुसलिम दोनों का तीर्थ स्थल है. अमझरशरीफ में दादा सैयदना का मजार तो देवकुंड में च्यवन ऋषि का च्यवनाश्रम है.
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