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प्रोजेक्ट कन्या इंटर स्कूल में शक्षिकों की कमी

प्रोजेक्ट कन्या इंटर स्कूल में शिक्षकों की कमी (फोटो नंबर-5,6)कैप्शन- रानी ब्रजराज कुमारी इंटर विद्यालय देव, पढ़ाई करती छात्राएं(कैंपस पेज के लिये) औरंगाबाद (नगर)देव प्रखंड मुख्यालय स्थित रानी ब्रजराज कुमारी प्रोजेक्ट कन्या इंटर विद्यालय में शिक्षकों की घोर कमी है. इससे छात्राओं की पढ़ाई भगवान भरोसे है. वहीं कमरों का घोर अभाव होने के कारण […]

प्रोजेक्ट कन्या इंटर स्कूल में शिक्षकों की कमी (फोटो नंबर-5,6)कैप्शन- रानी ब्रजराज कुमारी इंटर विद्यालय देव, पढ़ाई करती छात्राएं(कैंपस पेज के लिये) औरंगाबाद (नगर)देव प्रखंड मुख्यालय स्थित रानी ब्रजराज कुमारी प्रोजेक्ट कन्या इंटर विद्यालय में शिक्षकों की घोर कमी है. इससे छात्राओं की पढ़ाई भगवान भरोसे है. वहीं कमरों का घोर अभाव होने के कारण काफी परेशानी होती है. इस विद्यालय की स्थापना जिस उद्देश्य के साथ किया गया था उसका लाभ छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है. जिस तरह से प्रत्येक वर्ष छात्राओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है उसके मुताबिक सुविधाएं नहीं बढ़ाने के कारण शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गयी है. इस विद्यालय में देव प्रखंड के आस-पास के सभी गांवों की सैकड़ों छात्राएं पढ़ाई के लिए आती हैं. लेकिन इस विद्यालय में सभी विषय के शिक्षक नहीं रहने के कारण उन्हें कमी खलती है. मात्र सात कमरों के भरोसे लगभग डेढ हजार छात्राओं की पढ़ाई होती है, वह भी मात्र 14 शिक्षकों के बदौलत. लाइब्रेरी में विषयानुसार किताबें भी उपलब्ध नहीं है. जब छात्राएं विद्यालय से किताब निर्गत करवाना चाहती हैं तो पता चलता है कि उस विषय की किताब ही नहीं है. प्राचार्य मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया कि इस विद्यालय में नौवी से इंटर तक पढ़ाई होती है, पर सभी विषय के शिक्षक नहीं रहने के कारण थोड़ी परेशानी होती है. छात्राएं तो विद्यालय आती हैं पर कमरों के अभाव व शिक्षकों की कमी उन्हें खलती है. उन्होंनेे बताया कि कुल 14 शिक्षक व शिक्षिकाएं हैं. माध्यमिक में सात व उच्च माध्यमिक में सात शिक्षक हैं. उच्च माध्यमिक में गणित, विज्ञान, सामजिक विज्ञान को छोड़ दें तो बाकी सभी विषयों के शिक्षक नहीं हैं. माध्यमिक में संस्कृत, सामाजिक विज्ञान, हिंदी व विज्ञान को छोड़ अन्य विषयों के शिक्षक नहीं हैं. प्राचार्य ने कहा कि कमरों का भी घोर अभाव हैं. मुश्किल तब बढ़ जाती है जब छात्राओं की परीक्षा शुरू होता है. एक बार में सभी छात्राओं के लिए सीट उपलब्ध करवाना मुश्किल होता है.

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