औरंगाबाद/मदनपुर : प्रेम नगर गांव में कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि जिस घर में मासूमों की हंसी व ठिठोली हर दिन गूंजती थी. वहां आज कोहराम मचा है. गांव में पसरा है. एक अनचाही चीख व सालों तक टीस देने वाली घटना ने प्रेमनगर को चर्चा में ला दिया है. इस गांव के अधिकांश लोग मजदूरी कर जीवन बसर करते है. बताया जाता है कि सुरेंद्र चौधरी का परिवार भी मजदूरी पर निर्भर था, पर अचानक सुरेंद्र की कारगुजारियों से भरा-पूरा परिवार एक ही झण में बर्बाद हो गया.
जिस निला ने अपने तीन बच्चों के साथ कुएं में कूद कर खुदकुशी कर ली, उसकी कहानी तनाव व प्रताड़ना से अटी पड़ी थी. एक तरफ घर की खराब होती माली हालत और बच्चों का भविष्य गर्त में जात देख वह लगातार किस्मत को कोस रही थी तो वहीं दूसरी तरफ शराबी पति की प्रताड़ना से तंग आ चुकी थी. सब्र के बांध टूट रहे थे और एक दिन जब सब्र का बांध टूटा तो निला ने घर की तमाम चुनौतियों से लड़ने के बजाय कायरों वाला निर्णय लेते हुए अपने तीनों बच्चों के साथ आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया. अहले सुबह अपने सोये हुए तीनों मासूम बच्चों को उठाया और घर से मन में उलटा-सीधा ख्याल लेकर निकल पड़ी.
रास्ते में कुएं को देख कर उसने अपनी जीवन लीला समाप्त करने की ठान ली. इस दौरान एक पल के लिए वह ठिठक सी गयी होती तो वह खुद को संभाल लेती तो शायद उसके माथे पर अपने ही बच्चों की हत्या व खुद के द्वारा आत्महत्या करने का कलंक नहीं लगता, पर ऐसा नहीं हुआ. कुएं के पास पहुंच कर पहले बड़े बेटे गोलू व बेटी दुर्गा को कुएं में ढकेल दिया, फिर मासूम बेटे को पीठ पर बांध कर छलांग लगा दी. जब शव निकाला जा रहा था उस वक्त मासूम बेटा उसके पीठ के सहारे कपड़े से बंधा हुआ था. शव निकाले जाने के दौरान मौके पर मौजूद लोग फफक पड़े. आंखें छलक गयीं. पुलिस अफसरों ने भी जैसे-तैसे अपने आंसुओं को रोका.
शिवरात्रि का व्रत रखा, अचानक पति पहुंचा और कर दी पिटाई : बताया जाता है कि शिवरात्रि के दिन पति-पत्नी के बीच किसी बात को लेकर काफी देर तक हंगामा हुआ था. निला अपने पति की लंबी उम्र के लिए शिवरात्रि का व्रत रखे हुए थी. गांव वालों का कहना है कि शाम को वह पूजा अर्चना कर अपने घर में बच्चों के साथ बैठी हुई थी. इसी बीच शराब के नशे में धुत सुरेंद्र झूमते हुए पहुंचा और किसी बात को लेकर पत्नी से विवाद करने लगा. विवाद इस कदर गहराया कि सुरेंद्र ने पत्नी की जम कर पिटाई कर दी और फिर घर से भागने की बात कहते हुए घर से निकल पड़ा. यही लड़ाई एक बड़ी घटना तक पहुंची.
मायकेवालों ने कहा, ऐसा निर्दयी पति किसी को न दे भगवान
निला की मौत की खबर सुन कर उसके मायके के लोग बदहवास हालत में प्रेम नगर पहुंचे. अपनी बहन व भांजा-भांजी का शव देख बिट्टू चौधरी व सरदार चौधरी सुधबुध खो बैठे. दोनों भाइयों व परिजन विलाप करते हुए आसमान की ओर हाथ उठा कर कहने लगे कि भगवान ऐसा निर्दयी पति किसी को न दे. दोनों भाइयों ने कहा कि निला को उसका पति हर वक्त पिटाई करता था. कई बार उसे समझाया गया ,पर वह नहीं माना. गांव के लोग भी सुरेंद्र को खलनायक की नजर से देख रहे थे. अपनी पत्नी व बच्चों को खोने के बाद भी वह सामने नहीं आया. उलटा गांव से ही फरार हो गया.
पत्नी के ऊपर अक्सर लगाता था लांछन
निला और उसके तीन बच्चों के मौत के बाद तरह-तरह की चर्चाएं आम हो गयी है. किसी ने घटना के पीछे गरीबी की दुहाई दी, किसी ने शराब को कारण माना ,किसी ने आपसी मनमुटाव को कारण बताया तो किसी ने अवैध संबंधों पर अपनी राय दी. एक बात छन कर सामने आयी है कि सुरेंद्र अपनी पत्नी पर अक्सर किसी गैर मर्द से संबंध होने का लांछन लगाता था. यही बात उन दोनों के बीच विवाद और झगड़े का कारण बनता चला आ रहा था. पता चला कि 15 साल पूर्व सुरेंद्र की शादी चौपारण के लाल किशुन चौक के निला से हुई थी.
कई वर्षों तक पति-पत्नी के बीच बेहतर रिश्ते रहे, पर अचानक अफवाहों ने रिश्ते में विवादों का बीज बो दिया. शिक्षा से दूर रहने वाले सुरेंद्र जंगल में लकड़िया काट कर और पंछियों को जाल में फंसा कर बाजार में बेचता था जो उससे पैसे कमाये उसका अधिकांश हिस्सा अपनी अय्यासी पर खर्च करता था. घर में निला की एक बहन सावित्री भी सुरेंद्र के भाई उपेंद्र से ब्याही गयी थी. उपेंद्र और सावित्री बार-बार पति-पत्नी को समझाते थे.