अररिया : जिले में छात्रवृत्ति व कृषि योजना सहित हाल के दिनों में बेनकाब हुए कुछ घोटालों व गबन के मामलों में सीएसपी कनेक्शन ने कई अहम् सवाल पैदा कर दिये हैं. सबसे अहम् सवाल यह है कि क्या ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न बैंकों के अधीन खुलने वाले या खोले गये ग्राहक सेवा केंद्र यानी सीएसपी के काम काज पर नजर रखने की कोई प्रक्रिया बैंक या संबंधित वित्तीय संस्थाएं अपना रही है या नहीं. क्योंकि हालात कुछ और ही इशारा कर रहे हैं. हालात बता रहे है
कि अगर सीएसपी पर संबंधित बैंकों की पकड़ मजबूत होती तो फर्जीवाड़ा के लिए उतनी आसानी से सीएसपी का इस्तेमाल करना मुमकिन नहीं होता जैसा कि कुछ मामलों में अब तक सामने आ चुका है. शक इस बात को लेकर है कि खोले गये बहुत सारे खाते फर्जी लाभुकों के होंगे. इस सिलसिले का एक हैरत में डालने वाला पहलू ये है कि सीएसपी में राशि निकासी के लिए फिंगर प्रिंट की अनिवार्यता के बावजूद बिचौलियों ने आराम से राशि निकाल ली. बताया जाता है कि फिंगर प्रिंट का तोड़ खाता खुलवाते समय ही बिचौलियों ने निकाल लिया था. आइडी प्रूफ तो किसी न किसी व्यक्ति का इस्तेमाल जरूर किया गया. पर खाता खोलते समय अपना या अपने किसी साथ का फिंगर प्रिंट ही डाटाबेस में डाल दिया. राशि निकासी के समय इसी प्रिंट का इस्तेमाल किया गया. लिहाजा राशि निकासी के समय फिंगर प्रिंट के मेल नहीं खाने का सवाल ही पैदा नहीं होता.