जिले के दो ऐतिहासिक शिव मंदिरों में जुटने लगी है श्रद्धालुओं की भीड़
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30 वर्षों बाद दो दिनों तक होगी शिव की अाराधना
जिले के दो ऐतिहासिक शिव मंदिरों में जुटने लगी है श्रद्धालुओं की भीड़ दो दिनों में बीस लाख श्रद्धालु करेंगे दोनों शिव मंदिरों में जलाभिषेक अररिया : दो दिन बाद महाशिवरात्रि का पर्व इस बार स्वार्थ सिद्धि योग में पड़ने के कारण महत्वपूर्ण माना जा रहा है. विद्वानों की मानें तो चतुर्दशी तिथि 24 फरवरी […]
दो दिनों में बीस लाख श्रद्धालु करेंगे दोनों शिव मंदिरों में जलाभिषेक
अररिया : दो दिन बाद महाशिवरात्रि का पर्व इस बार स्वार्थ सिद्धि योग में पड़ने के कारण महत्वपूर्ण माना जा रहा है. विद्वानों की मानें तो चतुर्दशी तिथि 24 फरवरी की रात्रि साढ़े नौ बजे शुरू होगी. यह योग 25 फरवरी को रात्रि सवा नौ बजे तक रहेगी. महाशिवरात्रि का पर्व रात्रि व्यापिनी होने पर विशेष माना जाता है. ऐसे में 25 फरवरी की रात्रि में चतुर्दशी तिथि नहीं होने के कारण 24 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व शास्त्र सम्मत रहेगा. इस संबंध में जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित मुगलकालीन शिव मंदिर बाबा मदनेश्वर के महंथ शिव सुंदर भारती ने बताया कि महाशिवरात्रि को अर्द्ध रात्रि के समय ब्रह्माजी के अंश से शिवलिंग के प्राकट्य होने के कारण रात्रि व्यापिनी चतुर्दशी का अधिक महत्व होता है.
दो दिन पड़ रहे हैं सिद्ध योग : इस महाशिवरात्रि की एक खास विशेषता यह है कि दोनों दिन सिद्ध योग पड़ रहे हैं. 24 फरवरी को स्वार्थ सिद्ध योग व 25 फरवरी को सिद्ध योग पड़ रहा है. विद्वानों की माने तो 24 फरवरी को चतुर्दशी शुरू होने के साथ भद्रा भी लग जायेगी. लेकिन भद्रा पाताल लोक में होने के कारण महाभिषेक में कोई बाधा नहीं होगी. प्रकार के कामनाएं पूर्ण होती है.
दो एेतिहासिक मंदिर में रहेगी भक्तों की भीड़
जिले में शिव मंदिरों पर महाशिवरात्रि पर खासी भीड़ देखने को मिलती है. दोनों ही शिवमंदिर को एेतिहासिक माना जाता है. कुर्साकांटा प्रखंड के कुआड़ी ओपी क्षेत्र में पड़ने वाले पांडवकालीन शिवमंदिर बाबा सुंदरनाथ धाम व मुगलकालीन इतिहास में शुमार एक मुसलिम राजा द्वारा वर्तमान महंत शिव सुंदर भारती के पूर्वजों को सौंपे गये मदनेश्वर धाम का शिवलिंग भी भक्तों के मनोकामना को पूर्ण करने वाला है. खास बात तो यह है कि कालांतर से ही महंत के दादा द्वारा वर्ष 1932 में इस शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा प्रकांड विद्वानों द्वारा दोबारा करायी गयी.
कहा जाता है इससे मंदिर का यश व जश दिनों दिन बढ़ता चला गया, जबकि पांडव के अज्ञात वास के दौरान राजा विराट के राज्याधीन सुंदर वन में स्थापित शिव मंदिर सुंदरनाथ की भी कहानी भी एेतिहासिक मानी जाती है. हालांकि वर्तमान विधायक विजय कुमार मंडल व स्थानीय लोगों के सहयोग से पुराने मंदिर को तोड़ कर दक्ष कलाकार तुलसी द्वारा मंदिर को दक्षिण भारतीय कला के आधार पर निर्माण किया जा रहा है तो लगभग अपने अंतिम चरण में है. धार्मिक न्याय बोर्ड द्वारा सुंदरनाथ को अपने अधीन लिये जाने के कारण मंदिर के विकास के साथ पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित होने की संभावना बढ़ गयी है.
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