अररिया : हालात बता रहे हैं कि जिले में सरकारी तौर पर हो रही धान खरीद की रफ्तार जब तक अपने स्वरूप में उतरेगा तब तक किसानों के धान बाजारों में बिक चुके होंगे. भले ही किसानों को उनके धान का औने पौने भाव ही क्यों नहीं मिले. धान खरीद के बाद रुपये के अदान प्रदान के लिए सबसे महत्वपूर्ण है मिलरों के टैगिंग की प्रक्रिया का पूरा न होना.
वहीं मिलरों के भौतिक सत्यापन के दौरान जो तथ्य उजागर हो रहे हैं उसके अनुसार एक प्रमादी मिलर ने भी नाम बदल कर अपना निबंधन करा लिया है.
जबकि कुछ ऐसे भी मिल है जिनकी क्षमता एक एमटी चावल कुटाई की नहीं है. लेकिन उसने अपना निबंधन दो एमटी क्षमता बता कर एसएफसी से निबंधन कराया है. हालांकि इस कार्य के लिए भौतिक सत्यापन की जिम्मेवारी डीएम एसएफसी व डीसीओ को संयुक्त रूप से दी गयी है.
टास्क फोर्स की बैठक में मिलरों के नाम पर लगेगी अंतिम मुहर:
भौतिक सत्यापन के बाद एसएफसी द्वारा उपलब्ध कराये गये सूची के अनुसार नो पैक्स व व्यापार मंडल एवं 16 नीजी मिलरों को मिलाकर कुल 26 मिलरों का निबंधन किया गया है. जिसमें से भौतिक सत्यापन के बाद पांच मिल व व्यापार मंडल व 14 नीजी मिलरों में से कुल 19 को धान अधिप्राप्ति के लिए अधिकृत किए जाने का प्रतिवेदन टास्क फोर्स के पास अनुमोदन के लिए भेजा जायेगा. बताया जाता है कि शेष बचे पिपरा पैक्स राइस मिल फारबिसगंज, सोना राइस मिल नरपतगंज, औराही पश्चिम राइस मिल फारसबिगंज आदि को निर्माणाधीन बताया गया है. जिनको एक सप्ताह के अंदर मिलिंग के लिए तैयार करने का निर्देश दिया गया है.
जानकारी तो यह भी आ रही है कि कुछ मिलरों द्वारा अपने मिलिंग क्षमता को अधिक बताकर दिखा गया है. जबकि एक मिल जय मां लक्ष्मी उद्योग जो पूर्व से ही प्रमादी मिलर के रूप में दर्ज है उसने अपना नाम बदलकर जय माता दी उद्योग नरपतगंज के नाम से एसएफसी से धान अधिप्राप्ति के लिए निबंधन कराया गया है. एसएफसी द्वारा भजे गये सभी मिलरों पर अंतिम निर्णय टास्क फोर्स की बैठक में लिया जाना है.
देना होगा एडवांस राइस
मिलर के पैक्स या व्यापार मंडल से टैगिंग करने के लिए कुछ नियम बनाये गये हैं. जानकारी अनुसार भौतिक सत्यापन के बाद मिलरों को प्राधिकृत करने की मुहर लगने का निर्णय टास्क फोर्स की बैठक में लिया जायेगा. पैक्स व व्यापार मंडल के मिल को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाना है. जबकि निजी मिलरों को प्राधिकृत करने के बाद एक हजार के स्टांप पैपर पर पैक्स व व्यापार मंडल से एग्रीमेंट कराया जायेगा. जिसके बाद टैगिंग की प्रक्रिया की जायेगी.
इसके बाद मिलर को 403 क्विंटल धान के एवज में 270 क्विंटल चावल का एक लॉट अग्रिम के रूप में एसएफसी के गोदामों में जमा कराना होगा.
कहते हैं जिला प्रबंधक
इधर इस संबंध में एसएफसी के जिला प्रबंधक बिरेंद्र नाथ गुप्ता ने बताया कि भौतिक सत्यापन के दौरान जय माता दी उद्योग नरपतगंज के संबंध में यह जानकारी सामने आयी है कि उनके द्वारा नाम बदलकर अपना निबंधन कराया गया है. जबकि फारबिसगंज व कुछ स्थानों पर निजी मिलरों द्वारा ज्यादा क्षमता दिखाकर अपना निबंधन कराया गया है. जिसमें से एक निरंजन राइस मिल फारबिसगंज भी शामिल है. कुछ पैक्स मिलर अभी निर्माणाधीन हैं जिन्हें मिलिंग के लिए तैयार होने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है. उन्होंने बताया कि शेष सत्यापित मिलरों की सूची सहकारिता विभाग को उपल्बध करा दी गयी है. मिलरों के टैगिंग की प्रक्रिया पर अंतिम मुहर टास्क फोर्स की बैठक के बाद लिया जायेगा.
भौतिक सत्यापन के बाद प्रमादी मिलर के नाम का हुआ खुलासा
भौतिक सत्यापन के बाद एसएफसी ने सौंपी 26 निबंधित मिलरों में से 19 मिलरों की सूची
पैक्स अंतर्गत निर्माणाधिन मिलरों को मिलिंग के लिए तैयार करने के लिए दिया गया एक सप्ताह का समय
सत्यापन के दौरान ज्यादा क्षमता दिखाने वाले मिलरों का भी सच आ रहा है सामने