जिले में धान का उत्पादन दो लाख 96 हजार मिट्रिक टन, खरीद का लक्ष्य 45 हजार एमटी
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खुले बाजार में औने-पौने दाम पर धान बेचने की मजबूरी
जिले में धान का उत्पादन दो लाख 96 हजार मिट्रिक टन, खरीद का लक्ष्य 45 हजार एमटी मात्र 71 पैक्स व एक व्यापार मंडल में शुरू हुई धान की खरीद अररिया : जिले में धान अधिप्राप्ति की वास्तविक स्थिति किसानों के हित में नहीं है. किसान अपने धान को सहकारिता विभाग के क्रय केंद्र पर […]
मात्र 71 पैक्स व एक व्यापार मंडल में शुरू हुई धान की खरीद
अररिया : जिले में धान अधिप्राप्ति की वास्तविक स्थिति किसानों के हित में नहीं है. किसान अपने धान को सहकारिता विभाग के क्रय केंद्र पर नहीं बेच पा रहे हैं. मजबूरन किसान अपने धान को खुले बाजारों में बेचने के लिए विवश हैं. जहां किसानों को धान का सही समर्थन मूल्य प्राप्त नहीं हो रहा है. जबकि जिले में धान की पैदावर अच्छी हुई है. कृषि विभाग के आंकड़ों पर अगर गौर किया जाये तो इस वर्ष जिले में 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान का अनुमानित उत्पादन दो लाख 96 हजार मिट्रिक टन हुआ है.
बावजूद किसानों के पास अपने तैयार धान को बेचने के लिए सही समर्थन मूल्य प्राप्त नहीं हो रहा है. किसानों की माने तो पैक्स व व्यापार मंडल में धान बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने की बाध्यता है. जहां रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी उनके कागजातों में त्रुटि बता कर निरस्त करार दिया जा रहा है. थक हार कर वे दोबारा भी रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं. जानकारी अनुसार 5375 किसानों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. जिसमें 2460 रजिस्ट्रेशन को सही माने गये हैं. बावजूद अब भी उनका धान पैक्स व व्यापार मंडल द्वारा नहीं लिया जा रहा है. जबकि खुले बाजार में उन्हें अपने धान का औने पौने दाम मिल रहा है. खुले बाजार में मिल रहे दाम से उन्हें धान का उत्पादन लागत भी नहीं निकल पा रहा है.
वर्ष 2014-15 तक हुई जम कर खरीदारी
ताजा तरीन स्थिति में जहां 158 पैक्स व सात व्यापार मंडल धान खरीद के लिए अधिकृत किये गये हैं. वहीं वर्ष 2014-15 में 101 पैक्सों व नो व्यापार मंडल से 2019 किसानों से दो लाख 95 हजार 418 क्विंटल धान की खरीद हुई थी. उस समय परिस्थिति अलग थी पैक्स व व्यापार मंडल या आम किसान को सीधे मीलरों को ही धान उपलब्ध कराना था. मिलरों द्वारा एसएफसी को चावल दिया जाता था. राशि सीधे किसान के खाते में जाती थी.
एसएफसी द्वारा लगभग किसानों को 2,41808.33 क्विंटल धान के एवज में 40 करोड़ 74 लाख 12 हजार 803 रुपये का जबकि पैक्स के माध्यम से 2,33,064.23 क्विंटल धान के एवज में 40 करोड़ 45 लाख 47 हजार 920 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. उसके बाद वित्तीय वर्ष 2015-16 में स्थिति में बदलाव हुआ लक्ष्य का 90 प्रतिशत खरीद करने के लिए पैक्स व व्यापार मंडल को अधिकृत किया गया. एक प्रतिशत एसएफसी के लिए छोड़ा गया, लेकिन खरीद केवल पैक्स व व्यापार मंडल द्वारा ही किया गया. हालांकि नयी व्यवस्था के बाद मनमाफिक कमाई में बाधा उत्पन्न होता देख उस वक्त मिलर व पैक्सों द्वारा प्रक्रिया में बदलाव को ले खींचातानी भी हुई. लेकिन मामला नहीं सुलझा. हार कर नये प्रावधान के तहत ही धान अधिप्राप्ति की प्रक्रिया पूरी की गयी.
मिलरों से एडवांस राइस देने पर सहमति बनी. नतीजा लगभग पांच हजार किसान से दो लाख 27 हजार क्विंटल धान की खरीद हुई. इसके मद में लगभग 32 करोड़ 70 लाख रुपये का भुगतान 176 पैक्स व नौ व्यापार मंडल द्वारा किसानों को किया गया. जबकि इस वित्तीय वर्ष में पैक्स व व्यापार मंडल द्वारा एसएफसी को चावल देने में सितंबर माह तक का समय लगाया गया. जिस कारण कुछ पैक्सों पर प्राथमिकी की कार्रवाई भी की गयी. जानकारी अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 में सहकारिता विभाग को मिले लक्ष्य के 15.88 के अनुपात में 1470 रुपये क्विंटल के हिसाब से विभाग द्वारा प्रथम किस्त के रूप में लगभग 10 करोड़ 50 लाख 46 हजार रुपये रिलीज किये गये हैं.
कहते हैं जिला सहकारिता पदाधिकारी
धान अधिप्राप्ति में तेजी लाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है. किसानों ऑनलाइन आवेदन के आधार पर ही धान अधिप्राप्ति की जा रही है. प्रयास किया जा रहा है ज्यादा से ज्यादा किसान धान अधिप्राप्ति की प्रक्रिया में भाग लें.
इस वर्ष जिले के 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर दो लाख 96 हजार मिट्रिक टन हुआ धान का उत्पादन
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