अररिया : प्लास्टिक वेस्ट मेनेजमेंट सेल्स 2016 के कंडिका छह के अनुसार नगर निकाय क्षेत्र में 50 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक उत्पादन, संग्रहण, वितरण व भंडारण पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश का अनुपालन नगर परिषद क्षेत्र में होता नहीं दिख रहा है. जबकि पर्यावरण के लिए दूषित माने जाने वाले प्लास्टिक पदार्थ को […]
अररिया : प्लास्टिक वेस्ट मेनेजमेंट सेल्स 2016 के कंडिका छह के अनुसार नगर निकाय क्षेत्र में 50 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक उत्पादन, संग्रहण, वितरण व भंडारण पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश का अनुपालन नगर परिषद क्षेत्र में होता नहीं दिख रहा है. जबकि पर्यावरण के लिए दूषित माने जाने वाले प्लास्टिक पदार्थ को अगस्त माह में ही प्रतिबंधित किये जाने को लेकर पर्यावरण मंत्रालय व वन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा नगर परिषद को सख्त निर्देश दिया गया है.
साथ ही नगर परिषद द्वारा इस दिशा में किये जा रहे कार्यों का प्रतिमाह प्रतिवेदन विभाग को उपलब्ध कराने का सख्त निर्देश दिया गया था. जानकारी अनुसार 22 अगस्त को नप बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव संख्या दो लेकर नप क्षेत्र में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर एक सितंबर से ही प्रतिबंध लगाने का निर्णय पारित हुआ था. प्रस्ताव के आलोक में नप क्षेत्र में एक सप्ताह के बाद इस बात को लेकर व्यापक प्रचार प्रसार भी किया गया था. प्लास्टिक पदार्थ का इस्तेमाल करने वाले दुकानदारों पर पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाने का भी निर्णय नप बोर्ड की बैठक में हुआ था. लेकिन इन सबसे इतर नप क्षेत्र में आज भी धड़ल्ले से प्लास्टिक पदार्थ का इस्तेमाल सामान ढोने से लेकर सभी कामों में बदस्तूर जारी है.
दुखद
नप बोर्ड ने बनाया कानून लेकिन नहीं हुआ इसका प्रतिपालन
नप क्षेत्र में प्रतिदिन एक क्विंटल प्लास्टिक वेस्ट होता है जमा
प्लास्टिक वेस्ट खरीद करने की बनायी गयी थी योजना
नप क्षेत्र में कचरे के रूप में स्थित प्लास्टिक वेस्ट की खरीद के लिए नप के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा एक योजना भी नप बोर्ड में रखी गयी थी. जिसके लिए तीन से चार लाख रुपये का बजट भी तैयार हुआ था. प्लास्टिक वेस्ट को नप तक पहुंचाने वालों को पांच रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से भुगतान करने की भी योजना बनी थी. हालांकि प्लास्टिक वेस्ट का इस्तेमाल नप अपने निर्माण कार्य के प्लिंथ में करने की बात कह रहा था. लेकिन ये सारे दावे धरे के धरे रह गये.
कहते हैं कार्यपालक पदाधिकारी: इधर इस संबंध में कार्यपालक पदाधिकारी भवेश कुमार ने बताया कि प्लास्टिक पदार्थों पर रोक लगाने के लिए प्रस्ताव तो लिया गया. लेकिन पुलिस बल नहीं मिल पाने के कारण नप क्षेत्र में कार्रवाई को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका.
बीमारियों का खजाना है प्लास्टिक पदार्थ : प्लास्टिक पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक है. नप से मिले आंकड़ों के आधार पर नप क्षेत्र में प्रति दिन एक क्विंटल प्लास्टिक वेस्ट जमा होता है. इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन लोगों को प्लास्टिक के दुष्प्रभाव से सामना करना पड़ रहा है. हालांकि लोग इन दुष्प्रभावों से अनिभज्ञ होकर प्लास्टिक थैला का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन यह उनके लिए अब ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी काफी नुकसानदायक साबित होगा. एक सर्वे के अनुसार प्लास्टिक तकरीबन 500 से 600 सालों में गलते हैं. इस बीच इसके कारण पीलिया, डायरिया, हैजा, आंत्रशोथ जैसे बीमारी की संभावना तो बनी ही रहती है. साथ ही नदियों व तालाबों में फेंके जाने के कारण जीव जंतु को भी नुकसान होता है.