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श्रद्धालुओं की आवाजाही हुई कम

परेशानी . नेपाल में भारतीय करेंसी बैन होने से बराह क्षेत्र में पड़ा असर भारतीय करेंसी के नेपाल में बैन होने से भारतीय श्रद्धालु व व्यापारी नेपाल के बराह क्षेत्र में नहीं जा पा रहे हैं. नेपाल में कुंभ के स्नान से मशहूर कोसी में स्नान कर लाखों श्रद्धालु भगवान नारायण के दशावतार बराह क्षेत्र […]

परेशानी . नेपाल में भारतीय करेंसी बैन होने से बराह क्षेत्र में पड़ा असर

भारतीय करेंसी के नेपाल में बैन होने से भारतीय श्रद्धालु व व्यापारी नेपाल के बराह क्षेत्र में नहीं जा पा रहे हैं. नेपाल में कुंभ के स्नान से मशहूर कोसी में स्नान कर लाखों श्रद्धालु भगवान नारायण के दशावतार बराह क्षेत्र का दर्शन करते हैं.
अररिया : नेपाल के सुनसरी जिला अंतर्गत चतरा के पहाड़ियों के बीच बराह क्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले मेले में सीमांचल क्षेत्र के हजारों लोग पहुंचते हैं. सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालु चतरा के इस वादियों में बहने वाली सप्तकोसी नदी में स्नान करेंगे. लेकिन इस बार नेपाल में भारतीय करेंसी 1000 व 500 के नोट को बैन किये जाने के बाद मेले में उमड़नी वाली श्रद्धालुओं के भीड़ पर भी ग्रहण लगने के आसार प्रबल हो गये हैं.
नेपाल में कुंभ के नाम से मशहूर कोसी में स्नान कर लाखों श्रद्धालु भगवान नारायण के दशावतार बराहक्षेत्र के दर्शन करते हैं. व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी देखा जाये तो नेपाल में लगने वाले मेले के कारण नेपाल को अच्छा-खासा विदेशी मुद्रा का लाभ होता है. साथ ही उस क्षेत्र में बसे नेपाल के पहाड़ी मूल के लोगों के लिए भी वर्ष में एक बार लगने वाला मेला उनके जीवन यापन के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से मील का पत्थर साबित होता है. मधेपुरा, अररिया,
सुपौल जिले से हजारों दुकानदार बराहक्षेत्र में दुकान लगाने के लिए पहुंचते हैं, जिनकी कमाई पर भी ग्रहण लग गया है. मंगलवार की मध्य रात के बाद से ही नेपाल में होटल, शापिंग मॉल, ट्रेवल एजेंसियों ने भारतीय नोट लेने से साफ इनकार कर दिया है. चतरा के इस क्षेत्र में नेपाल बैंक के एटीएम की भी सुविधा नहीं है. ऐसे में परिवार के साथ घुमने गये लोगों को परेशानी का सामना कर पड़ सकता है. हालांकि नेपाल सरकार द्वारा भारतीय करेंसी 1000 व 500 के नोट को पूर्व में ही बैन कर दिया गया है.
मान्यता है कि हिरणाक्ष द्वारा जब पृथ्वी को पाताल ले जाया गया था तो भगवान ने बराह रूप में अवतिरत होकर हिरणाक्ष को मार कर पृथ्वी को कोसी के गर्भ से इसी स्थान पर बाहर निकाला था. दूसरी मान्यता यह भी है कि अमृत मंथन के पश्चात भारत के चार स्थानों में अमृत के बूंद गिरे थे. जहां हर वर्ष महाकुंभ का आयोजन होता रहता है. लेकिन अमृत बांटने के बाद कलश के नीचे का अमृत बूंद बराहक्षेत्र के इसी स्थान पर कौशिकी में गिरा था.
इन सभी मान्यताओं के कारण प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भारतीय व नेपाली श्रद्धालुओं की भारी भीड़ नेपाल के इस पावन तिर्थ पर पहुंच कर कोसी नदी में स्नान कर भगवान नारायाण के अवतार बराह का दर्शन करते हैं. लेकिन 500 व 1000 के नोट के बैन होने के कारण इस तीर्थ पर इस बार भारतीय श्रद्धालुओं की जाने की संख्या में काफी कमी देखने को मिल रही है.
नेपाल के बराह क्षेत्र का मंदिर
वर्ष 2015 में मधेशी आंदोलन की जद में प्रभावित हुआ था विश्वस्तरीय बराह क्षेत्र मेला
इस बार 500 व 1000 के नोट के बैन होने के कारण श्रद्धालुओं में कम हुआ उल्लास
पिछले वर्ष भी नहीं जा पाये थे श्रद्धालु
नेपाल में 20 सितंबर 2015 को पूर्व राष्ट्रपति रामवरण यादव द्वारा लाये गये नये संविधान के बाद मधेशियों द्वारा उठी विद्रोह की चिंगारी के कारण उस वर्ष भी भारतीय मूल के श्रद्धालु बराह क्षेत्र नहीं जा पाये थे. इस बार हालांकि हालात में सुधार है लेकिन भारतीय करेंसी के 500 व 1000 के नोट के बैन होने के तुरंत बाद आये.
इस मैला के लिए लोगों के पास रुपये का जुगाड़ नहीं हो पा रहा है. किसानों के पास आनाज तो है लेकिन अभी बाजार में इसके खरीददार नहीं हैं. जबकि बैंकों में लगी भारी भीड़ के कारण रुपये की निकासी भी उतनी ही हो पा रही है. जिसे सिर्फ लोग घरेलू समाग्री के लिए सहेज कर रख रहे हैं. ऐसी हालत में बराह क्षेत्र मेला में लोगों की भीड़ जुटने पर संदेह के बादल उमड़ रहे हैं.

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