जांच हो, तो सामने आयेंगे कई प्राइमरी स्कूल को हाइस्कूल बना कर राशि भेजने का मामला
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पांच स्कूलों को एक ही दिन में बना दिया हाइ स्कूल
जांच हो, तो सामने आयेंगे कई प्राइमरी स्कूल को हाइस्कूल बना कर राशि भेजने का मामला अररिया : डीएम के आदेश पर वर्ग एक से आठ तक की जांच में छात्रवृत्ति योजना मद में विभिन्न कोटि में अाधिकारिक तौर पर लगभग छह करोड़ रुपये तक के घाल मेल किये जाने का मामला सामने आ चुका […]
अररिया : डीएम के आदेश पर वर्ग एक से आठ तक की जांच में छात्रवृत्ति योजना मद में विभिन्न कोटि में अाधिकारिक तौर पर लगभग छह करोड़ रुपये तक के घाल मेल किये जाने का मामला सामने आ चुका है. इसमें डीएम के कड़े रुख के बाद लगभग चार करोड़ 69 लाख रुपये घाल मेल में शामिल विद्यालयों के प्रधानों द्वारा कल्याण विभाग को लौटा दिया गया. हालांकि अब जबकि कल्याण विभाग के अधिकारियों व कर्मियों द्वारा बगैर सत्यापन के पांच प्रारंभिक विद्यालयों को हाइस्कूल बनाकर लगभग 29 लाख 14 हजार रुपये भेजे जाने की बात सामने आ रही है, तो एक बार फिर से शिक्षा माफिया से लेकर संबंधित कर्मियों की नींद उड़ गयी है.
इस हेराफेरी के जिम्मेवार कर्मियों से लेकर इस घालमेल में शामिल शिक्षकों को इस बात का खौफ जरूर है कि अगर उच्चस्तरीय जांच शुरू हुई तो छात्रवृत्ति घोटाला में शामिल ऐसे कई नाम और भी सामने आयेंगे जो अब तक पर्दे की पीछे छिप कर अपने आप को पाक साफ बताने में लगे हुए हैं.
एक दिन में बना एडवाइस व दूसरे दिन कर दिया गया राशि निर्गत : प्रखंड के पांच प्राथमिक विद्यालय यूएमएस गिलहबाड़ी, प्राथमिक विद्यालय झौआ टोला, प्रावि ईदगाह टोला, प्रावि मुसहरी टोला महिषाकोल व प्रावि संथाल टोला को हाइस्कूल बता कर 29 लाख 14 हजार दो सौ रुपये हस्तानांतरित कर दिया गया. यह राशि वित्तीय वर्ष 2015-16 में विभिन्न कोटि के 3138 छात्र-छात्राओं के नाम पर भेज दी गयी. सबसे बड़ी बात तो यह है कि विद्यालयों को प्राइमरी स्कूल से हाइस्कूल बनाने में शिक्षा माफियाओं ने एक दिन की भी देरी नहीं की. मांगे गये स्कूल के डिमांड व बैंक को भेजे गसे एडवाइस में भी सिर्फ एक दिन का अंतर है.
इस राशि को कल्याण विभाग के तत्कालीन एक कर्मी व डीडब्लूओ के हस्ताक्षर से हस्तानांतरित किये गये हैं. जो पत्रांक 400 दिनांक 21 जुलाई 2015 के माध्यम से ओबीसी कोटि में 9,68,400 व पत्रांक 401 दिनांक 21 जुलाई 2015 के माध्यम से एससी कोटि में 9,58,500 रुपये से भेजे गयी राशि से स्पष्ट होता है. शेष राशि 9,87,300 भी इसी प्रकार से आनन फानन में भेज दिये गये. हाइस्कूल बनाकर उमवि गिलहबाड़ी व प्रावि झौआ टोला के प्रधानाध्यापक के निजी खाते में राशि भेज दी गयी.
वह भी सबसे अधिक इससे तो इन विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों पर कल्याण विभाग की खास मेहरबानी स्पष्ट नजर आती है. जानकारों की माने तो उमवि गिलहबाड़ी के प्रधानाध्यापक का विभाग के तत्कालीन कर्मी से नजदीकी रिश्ता था. जिसका परिणाम था कि इनको सबसे ज्यादा सात लाख 67 हजार 700 रुपये भेजे गये जो कि एक निजी खाते में हस्तांतरित किये गये. डिमांड से अधिक या प्राइमरी स्कूल को हाइ स्कूल बनाकर पैसे के बंदरबाट की नींव वित्तीय वर्ष 2014-15 में रखी गयी थी.
लेकिन इसे व्यापक रूप से वित्तीय वर्ष 2015-16 के प्रथम छहमाही में लागू किया गया. लागू करने के लिए एक टीम का निर्धारण किया गया. जिसे अलग-अलग काम बांट दिये गये. जिसकों जो काम मिला उसने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया.
कहते हैं पदाधिकारी
इधर इस संबंध में जिला कल्याण पदाधिकारी मनोव्वर अंजुम ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है. सभी विद्यालयों को भेजी गयी प्रीमैट्रिक की राशि की गहनता से जांच की जायेगी.
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