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एसएचजी को नहीं मिल रहा सीसीएल

बैंकों की लापरवाही के कारण एनयूएलएम योजना पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है. वित्तीय वर्ष 2015-16 के 43 में से दो को मिल पाया है सीसीएल. वित्तीय वर्ष 2016-17 में है 200 एसएचजी को है सीसीएल दिया जाना अररिया : हालात बता रहे हैं कि एनयुएलएम के तहत स्वरोजगार की दिशा में नगर परिषद […]

बैंकों की लापरवाही के कारण एनयूएलएम योजना पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है. वित्तीय वर्ष 2015-16 के 43 में से दो को मिल पाया है सीसीएल. वित्तीय वर्ष 2016-17 में है 200 एसएचजी को है सीसीएल दिया जाना

अररिया : हालात बता रहे हैं कि एनयुएलएम के तहत स्वरोजगार की दिशा में नगर परिषद के द्वारा किये जा रहे प्रयास पर बैंकों के उदासीन रवैया के कारण ग्रहण लगने के आसार नजर आ रहे हैं. जानकारी अनुसार सरकार नगर परिषद क्षेत्र व अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित एसएचजी को सुदृढ़ करने को लेकर सब्सिडी पर ऋण मुहैया कराने को लेकर बैंकों को निर्देशित किया गया है. बावजूद इसके शहरी क्षेत्र में काम करे रहे एसएचजी को ऋण देने की कवायद में बैंकों के द्वारा उदासीनता बरते जाने का मामला सामने आ रहा है. नगर परिषद में आयोजित टीएलएफ की बैठक में बैंकों के द्वारा उदासीनता बरते जाने की बात पर कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा नाराजगी जाहिर की गयी.

क्या है सीसीएल

नप क्षेत्र में कार्यरत एसएचजी को नगर परिषद के द्वारा दस हजार रुपये की चक्रचालित राशि दी जाती है. चक्र चालित राशि लेकर बेहतर करने वाले एसएचजी को स्वरोजगार की दिशा में और भी मजबूती प्रदान करने के लिए नगर परिषद सब्सिडी देकर बैंकों से ऋण मुहैया कराने की अनुशंसा करता है. जानकारी अनुसार सब्सिडी के तहत बैंकों को सात प्रतिशत ब्याज पर एसएचजी को ऋण मुहैया कराना है, जबकि पांच प्रतिशत या इससे अधिक ब्याज नगर परिषद के द्वारा बैंको को दी जायेगी. यह योजना स्वरोजगार कार्यक्रम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलायी जा रही है.

कहते हैं पदाधिकारी

कार्यपालक पदाधिकारी भवेश कुमार ने बताया कि स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए एसएचजी को सब्सिडी दर पर ऋण मुहैया कराने का निर्देश प्राप्त है. इसके बावजूद भी नगर परिषद क्षेत्र के एसएचजी को ऋण देने में बैंकों के द्वारा उदासीनता बरती जा रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में संचालित जीविका समूह को बैंक ऋण मुहैया करा रहा है. वर्तमान में नप के द्वारा 11 आवेदन बैंकों को उपलब्ध कराया गया है, जिसमें से अब तक किसी का भी ऋण स्वीकृत नहीं हो पाया है.

इस कार्यक्रम के तहत बैंकों को एसएचजी को दस लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराने का प्रावधान है. लेकिन बैंकों के द्वारा मुद्रा ऋण के तहत 50 हजार का ऋण ही दिये जाने की बात कही गयी थी. लेकिन ये ऋण भी बैंकों के द्वारा ससमय उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.

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