मुख्य सड़कों पर अवैध कब्जा
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कैसे बने सुंदर शहर . जिला मुख्यालय में यदा-कदा हटाया जाता है अतिक्रमण
मुख्य सड़कों पर अवैध कब्जा तसवीरें बयां करती है बदतर हालात को स्पॉट-1 ये तसवीर है न्यायालय परिसर से सटे सुभाष जी के आदमकद मूर्ति के ठीक सामने पूरब जाने वाली सड़क का. जहां सड़क पर मानो ऑटो वालों ने अघोषित स्टैंड बना कर रखा है. न्यायालय की सुरक्षा की बात के अलावा शिक्षा विभाग […]
तसवीरें बयां करती है बदतर हालात को
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ये तसवीर है न्यायालय परिसर से सटे सुभाष जी के आदमकद मूर्ति के ठीक सामने पूरब जाने वाली सड़क का. जहां सड़क पर मानो ऑटो वालों ने अघोषित स्टैंड बना कर रखा है. न्यायालय की सुरक्षा की बात के अलावा शिक्षा विभाग के कार्यालय जाने वालों को परेशानी होती है. सामान्य तौर पर न्यायालय परिसर को सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है. ये हालात व्यवस्था की जमीनी हकीकत बयां करती है.
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ये तसवीर है नगर परिषद कार्यालय के ठीक सामने की. अघोषित मछली बाजार व अवैध ऑटो स्टैंड, जहां हमेशा शोर-गुल होते ही रहता है. ठीक सामने जाने वाली सड़क जिला व सत्र न्यायाधीश के आवास जाती है. यह भी सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है. तसवीर और हालात सच्चाई को बयां करता है. जी हां तसवीरें झूठ नहीं बोलती है.
जिला मुख्यालय की तमाम मुख्य सड़कों पर सड़क किनारे या तो ऑटो वालों का कब्जा है या फिर दुकानें लगती है. आवाजाही करने वालों को परेशानी होती है. यदा-कदा कागजी खानापूर्ति या फिर खबरों की सुर्खियां बनने को अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता है. एक-दो दिनों बाद हालात जस के तस हो जाते हैं.
अररिया : शहर को सुंदर व स्वच्छ बनाने के दावों को ये तसवीरें आईना दिखाती है. इन जगहों पर हर हमेशा जिले के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है. उनकी नजर इन जगहों पर पड़ती है या नहीं ये तो वही बता सकते हैं. लेिकन तसवीर देख कर सब कुछ साफ-साफ समझा जा सकता है.
रोज व रोज इस रास्ते से कोई न कोई पदाधिकारी गुजरते हैं. जाम देख उनकी गाड़ी में लगा सायरन बज उठता है. हलचल होती है. उनकी गाड़ी गुजर जाती है. शायद उन्हें आम लोगों की आवाजाही की परेशानी का एहसास नहीं होता है. माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आने वाले हैं. फिर एक बार अतिक्रमण हटाने का अभियान चलेगा.
दंडाधिकारी होंगे. पुलिस पदाधिकारी होंगे. साफ-सफाई भी होगी. चौक-चौराहों पर पुलिस भी होगी. उनके जाने के बाद …. फिर हालात जस के तस हो जायेंगे. ऐसा होता भी रहा है. आखिर कब तक जिला मुख्यालय को इस परेशानी से निजात मिलेगा. प्रबुद्ध जनों में इस तरह की चर्चा सरेआम हो रही है.
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