किसान नहीं खरीद रहे यंत्र
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कृषि यांत्रिकीकरण . लक्ष्य की तुलना में उपलब्धि आधी से भी कम
किसान नहीं खरीद रहे यंत्र चालू वित्तीय वर्ष में अनुदानित कृषि यंत्रों की बिक्री के मामले में विभाग की उपलब्धि निराशाजनक रही है. निर्धारित लक्ष्य 4 करोड़ 44 लाख की तुलना में महज दो करोड़ से कम मूल्य के कृषि यंत्रों की बिक्री की जा सकी है. परमिट मिलने के बाद भी किसानों द्वारा यंत्रों […]
चालू वित्तीय वर्ष में अनुदानित कृषि यंत्रों की बिक्री के मामले में विभाग की उपलब्धि निराशाजनक रही है. निर्धारित लक्ष्य 4 करोड़ 44 लाख की तुलना में महज दो करोड़ से कम मूल्य के कृषि यंत्रों की बिक्री की जा सकी है. परमिट मिलने के बाद भी किसानों द्वारा यंत्रों की खरीदारी नहीं करना विभाग के लिये चुनौती साबित हुई है.
अररिया : अनुदानित मूल्य पर कृषि यंत्रों की बिक्री के मामले में जिला कृषि विभाग की उपलब्धि इस वर्ष निराशाजनक रही है. तमाम विभागीय प्रयासों के बाद भी कृषि यंत्रों की बिक्री के निर्धारित लक्ष्य हासिल करने में विभाग सिरे से नाकाम साबित हुआ है. निर्धारित लक्ष्य की तुलना में कृषि विभाग की उपलब्धि आधे से भी कम रही है. इससे जिले में आधुनिक कृषि को बढ़ावा देने के प्रयासों को तो झटका लगा ही है. साथ ही मेला के आयोजन पर भी कई सवाल खड़े होने लगे हैं.
लक्ष्य से कम बिके यंत्र
जिला कृषि विभाग को 4 करोड़ 44 लाख 48 हजार मूल्य के अनुदानित कृषि यंत्रों की बिक्री का लक्ष्य राज्य सरकार से प्राप्त था. इसके लिए विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में चार बार मेले का आयोजन किया. विभाग द्वारा लगाये गये दूसरे यांत्रिकीकरण मेला तक करीब 1 करोड़ 53 लाख 202 रुपये मूल्य के कृषि यंत्रों की बिक्री की गयी थी. इसके बाद लगाये गये मेले की उपलब्धि काफी निराशाजनक रही.
विभाग द्वारा लगाये गये तीसरे मेले में करीब 15 लाख व चौथे मेले में 23 लाख 44 हजार मूल्य के कृषि यंत्रों की बिक्री की गयी. कुल मिला कर इस वर्ष एक करोड़ 91 लाख मूल्य के कृषि यंत्र की बिक्री ही की जा सकी है.
किसान नहीं करते खरीदारी
कृषि यंत्रों की बिक्री के मामले में विभाग की परेशानी है कि परमिट जारी किये जाने के बाद भी किसान यंत्रों की खरीदारी के प्रति रुचि नहीं लेते. विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में 22 हजार से ज्यादा परमिट जारी किये. इसके एवज में आधे किसानों ने भी यंत्रों की खरीदारी करना जरूरी नहीं समझा. मालूम हो कि पुरानी व्यवस्था के तहत विभाग द्वारा यंत्रों की खरीदारी के लिए जारी परमिट की वैधता तीन माह तक होती थी, जिसे घटा कर अब एक माह कर दिया गया है.
जानकारी मुताबिक इस वित्तीय वर्ष के लिये किसानों को जारी परमिट 15 मार्च के बाद स्वत: रद्द समझा जा सकेगा. इसके इतर महज अनुदान के लिए कृषि यंत्रों की बिक्री की कागजी खानापूर्ति करने के भी कई मामले सामने आये हैं, जिनमें कई ऐसे मामले हैं. जिनमें विक्रेता से सांठ-गांठ कर यंत्रों की बिक्री दर्शा कर अनुदान का बंदर बांट तो किया गया हो पर वास्तव किसानों द्वारा यंत्रों की खरीदारी की ही नहीं गयी हो.
बाजार मूल्य से ज्यादा दाम
अनुदानित कृषि यंत्रों की बिक्री के लिए विभाग जिले के कुछ प्रमुख यंत्र विक्रेताओं को टैग किया गया है. अनुदान का लाभ के लिए किसानों का इन्हीं दुकानों से यंत्रों की खरीदारी जरूरी है. ऐसे में किसानों का आरोप है कि विभाग से टैग यंत्र विक्रेता अनुदानित कृषि यंत्रों पर बाजार भाव से ज्यादा मूल्य वसूलते हैं. ऐसे में अनुदान का कोई खास लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है. इस वजह से किसान परमिट मिलने के बाद भी यंत्रों की खरीदारी से परहेज करते हैं.
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