निर्माण में नियमों की अनदेखी
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जलमीनार . गुणवत्ताविहीन कार्य का वार्ड वासियों ने किया था विरोध
निर्माण में नियमों की अनदेखी गुणवत्ता विहीन कार्य का वार्ड वासियों ने जताया था विरोध पहुंचे उप मुख्य पार्षद व अन्य, की जांच उप मुख्य पार्षद ने डीएम से की जांच की मांग अररिया : नगर परिषद क्षेत्र में जलापूर्ति योजना का कार्य में अनियमितता बरते जाने की बात लगातार सामने आ रही है. कार्य […]
गुणवत्ता विहीन कार्य का वार्ड वासियों ने जताया था विरोध
पहुंचे उप मुख्य पार्षद व अन्य, की जांच
उप मुख्य पार्षद ने डीएम से की जांच की मांग
अररिया : नगर परिषद क्षेत्र में जलापूर्ति योजना का कार्य में अनियमितता बरते जाने की बात लगातार सामने आ रही है. कार्य की गुणवत्ता अपने आप में सवाल खड़ा कर रहा है. जलापूर्ति योजना के तहत पाइप बिछाने के काम में एजेंसी के द्वारा अनियमितता बरते जाने का मामला पूर्व से ही सवालों के घेरे में है. अब जलापूर्ति के लिए निर्माणाधीन जल मिनार के निर्माण कार्य पर भी लोगों द्वारा सवाल उठाया जा रहा है. जल मीनार के निर्माण के लिए बुनियाद कार्य में जिस प्रकार से कार्य एजेंसी अनियमितता बरत रही है उससे मीनार के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
भूकंप क्षेत्र माने जाने वाले इस जिले में कार्य एजेंसी को कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान तो देना ही चाहिए बल्कि कार्य का प्रोपर मॉनीटरिंग भी करना चाहिए. लेकिन कार्य स्थल पर ऐसा कुछ दिख नहीं रहा है. जल मीनार के कार्य में अनियमितता बरतने की शिकायत पाकर बुधवार को उप मुख्य पार्षद गौतम साह, नगर पार्षद नरेंद्र मंडल उर्फ शीतल मंडल, मुख्य पार्षद प्रतिनिधि मो इमतियाज आलम आदि कार्य स्थल पर पहुंचे. कार्य स्थल पर हो रहे कार्य को देख कर उन्होंने बताया कि कार्यरत एजेंसी कार्य में किसी भी प्रकार की गुणवत्ता नहीं बरत रही है.
कहते हैं वार्ड वासी
कार्यरत एजेंसी के मनमाने रवैये से परेशान वार्ड वासी सुमित्रा देवी पति राजेश ऋषिदेव, जया देवी पति गोपाल ऋषिदेव, चंदन आदि ने बताया कि जल मीनार की बुनियाद के निर्माण में कार्यरत एजेंसी के द्वारा 12 गमला गिट्टी, तीन गमला सीमेंट, दस गमला बालू का प्रयोग किया गया है. उन लोगों के द्वारा हंगामा किये जाने पर साइड इंचार्ज के द्वारा चार गमला सीमेंट दिया जाने लगा. लेकिन बालू व गिट्टी की मापी जस का तस रहा.
उन्होंने बताया कि जल मिनार के बगल में सामुदायिक भवन है. साथ ही महादलित समुदाय व अन्य समुदाय के लोगों का आवासीय परिसर है. इसके बावजूद एजेंसी के द्वारा काम में दोयम दरजे के मेटेरियल का प्रयोग किया जा रहा है. जिस प्रकार से जल मिनार का काम हो रहा है यह मिनार अपने अवधि को भी पूरा कर पायेगा कि नहीं यह कहना मुश्किल होगा. अगर जल मिनार ध्वस्त होता है तो इससे जो नुकसान होगा इसका खामियाजा उन्हीं को भुगतना पड़ेगा. वार्ड वासियों ने जिला पदाधिकारी से जांच की है.
कितने का है प्राक्कलन
नगर विकास विभाग के द्वारा जलापूर्ति योजना के कार्य के लिए बिहार राज्य जल पर्षद को कार्य एजेंसी बनाया गया है. इसके लिए विभाग के द्वारा 24 करोड़ 59 लाख रुपये का प्राक्कलन स्वीकृत किया गया है. इस राशि से नप क्षेत्र में चालीस किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने के अलावा तीन जल मिनार का निर्माण किया जाना है. अब तक नगर परिषद के द्वारा बीआरजेपी को 19 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.
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