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पापी से नहीं, पापों से करें घृणा

पापी से नहीं, पापों से करें घृणा-अपने प्रवचन के दौरान आचार्य महाश्रमण ने कहा संयम की साधना ही मोक्ष का मार्गफोटो:13-प्रवचन देते आचार्य फोटो:14-प्रवचन के दौरान उपस्थित भक्तगण फोटो:15- प्रवचन के दौरान उपस्थित महिलाएं प्रतिनिधि, अररिया तेरापंथ प्रवास के चौथे दिन आचार्य महाश्रमण जी ने प्रवचन के दौरान पाप और पापी पर अपने विचार रखे. […]

पापी से नहीं, पापों से करें घृणा-अपने प्रवचन के दौरान आचार्य महाश्रमण ने कहा संयम की साधना ही मोक्ष का मार्गफोटो:13-प्रवचन देते आचार्य फोटो:14-प्रवचन के दौरान उपस्थित भक्तगण फोटो:15- प्रवचन के दौरान उपस्थित महिलाएं प्रतिनिधि, अररिया तेरापंथ प्रवास के चौथे दिन आचार्य महाश्रमण जी ने प्रवचन के दौरान पाप और पापी पर अपने विचार रखे. प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा कि मनुष्य को चाहिए की वे अपने आचरण में धर्म को समाहित करने का प्रयास करना चाहिए. यदि मनुष्य अपनी प्रत्येक क्रिया संयम पूर्वक करे तो वह कर्म के साथ धर्म को जोड़ सकता है. कर्मों का फल मनुष्य को स्वयं ही भोगना पड़ता है. मनुष्य के पुण्य ओर पाप कर्मों के आधार पर ही उसकी गति का निर्धारण होता है. इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वे अपने पाप कर्मों से जितना संभव हो सके बचने का प्रयास करना चाहिए. आचार्य ने श्रद्धालुओं को सदाचारण की प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति को सदैव अच्छे कर्म का प्रयास करना चाहिए. आचरण मनुष्य की सबसे बड़ी संपदा है. गृहस्थ को भी अपने आचरण को धर्म के साथ जोड़ने का प्रयास करना चाहिए. आचार्य श्री ने गृहस्थ को दो प्रकार के धर्म उपासना के संदर्भ में बताया. एक उपासानात्मक और दूसरा आचरणात्मक धर्म अपनाने की सलाह दी. उपासना के द्वारा मनुष्य कर्मों को निर्जरा और संवर की साधना की जा सकती है. आचरण को अच्छा रखना, सबके प्रति मैत्री का भाव रखना, व्यापार में नैतिकता रखना, दुराचार से बचने का प्रयास करना हिंसा न करना इत्यादि आचरणात्मक धर्म बताया. उन्होंने कहा कि मनुष्य को पापी से नहीं उसके पापों से घृणा करना चाहिए. व्यक्ति अपने कर्मों के कारण पापी होता है. सत्पुरुष उसे धर्म के रास्ते पर लाने का प्रयास करते हैं. कुहासे के कारण नहीं हो पाया आचार्य महाश्रमण का परिभ्रमण अररिया. जैन तेरापंथ श्वेतांबर समाज के 11 वें आचार्य श्री महाश्रमण जी के जिला प्रवास के नौवें दिन व तेरापंथ भवन में प्रवास के चौथे दिन कुहासे के कारण आचार्य का परिभ्रमण का कार्यक्रम नहीं हो पाया. आचार्य श्री महाश्रमण के परिभ्रमण को लेकर लोगों में खास उत्सुकता थी. बुधवार को उनका परिभ्रमण शहर के हटिया, बाजार व मारवाड़ी पट्टी में होना निर्धारित था. लेकिन बुधवार की सुबह कुहासे के कारण आचार्य शहर का परिभ्रमण नहीं कर पाये. इस संबंध में मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र बोथरा उर्फ बबलू व कार्यालय प्रभारी सचिन दुग्गड़ ने बताया कि जैन तेरापंथ श्वेताबंर के नियमानुसार अंधेरे की स्थिति में पद यात्रा वर्जित होता है. आचार्य श्री महाश्रमण के पगलिया कार्यक्रम को लेकर उत्सुक श्रद्धालुओं को कुहासा के कारण निराशा हाथ लगी. चौका विधि से नि: शुल्क भोजन करा रहे हैं बाहर से आये श्रद्धालुप्रतिनिधि, अररिया पांच दिवसीय आचार्य श्री महाश्रमण जी के अररिया प्रवास के दौरान बाहरी राज्यों से आये श्रद्धालुओं द्वारा मानव सेवा के उद्देश्य से चौका लगा कर नि: शुल्क भोजन की व्यवस्था की गयी है. चौका लगाने वालों में उड़ीसा, हैदराबाद, विराटनगर, गुलाबबाग आदि स्थानों के जैन श्रद्धालु शामिल हैं. आये श्रद्धालुओं को जैन तेरापंथ समाज के सदस्यों के द्वारा स्थान उपलब्ध कराया गया है. हालांकि कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आचार्य श्री महाश्रमण जी के अलावा 91 साधु साध्वी अररिया तेरापंथ भवन पहुंचे हुए हैं. इनके भोजन की व्यवस्था किसी को भी नहीं करनी पड़ती है. जैन धर्म के गोचरी विधि से इनके द्वारा भोजन एकत्रित किया जाता है. तेरापंथ समाज के लोग कार्यक्रम संपादन को लेकर हैं सजगप्रतिनिधि, अररिया आचार्य श्री महाश्रमण जी के अररिया प्रवास के दौरान जैन समाज के सदस्य पूरे मेहनत व श्रद्धा के साथ कार्य संपादन में दिन रात एक किये हुए हैं. कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए समाज के सदस्य श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं हो इसके प्रयास में लगे हुए है. व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए भोजनालय में शांति बरडिया, भैरूदान जी भूरा, विनोद चिंडालिया, मनिष आदि सक्रिय हैं. पंडाल व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए हेमराज बेगबानी, महेंद्र भूरा, संजीव आदि सक्रिय हैं. गोचरी की व्यवस्था में अशोक बाफना, पंकज बौथरा, वीरेंद्र भूरा, आदि शामिल हैं. सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेवारी राजू जैन व विजय जैन के ऊपर है. मनुहार के खटाल पर सुनील भुतोडि़या, मुकेश संचेती, व संजय चिंडालिया मौजूद दिखे. साधु प्रमुखा श्री कनक प्रभा जी के प्रवास स्थल की जिम्मेवारी जुगराज छाजेड़, मनोज बोथरा, कमल चौरडि़या आदि के ऊपर है. प्रशासनिक व मीडिया व्यवस्था के लिए धर्मेंद्र बौथरा,विजय जैन, प्रताप जी भुतोडि़या आदि को जिम्मेवारी दी गयी है. आवास व्यवस्था के लिए निर्मल बौथरा, राजीव छाजेड़, अरविंद नहाटा आदि सक्रिय हैं. कार्यक्रम की देख रेख की जिम्मेवारी सागर चिंडालिया, खेमकरन बेगवानी, रूपचंद जी बरडि़या,विजय नहाटा, महावीर अग्रवाल गणेश अग्रवाल आदि, गुरुदेव की सेवा में राजेश बेगवानी, महेंद्र भूरा, पवन भूरा, कार्यक्रम के सफल संचालन में महिला मंडल , किशोर मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, कन्या मंडल व समस्त तेरापंथी सभी सक्रिय हैं.

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