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आज दिया जायेगा अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य

आज दिया जायेगा अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य छठ को लेकर जिले भर में आस्था का माहौलपकवान बनाने को लेकर महिलाएं रख रही हैं शुद्धता व पवित्रता का खास ध्यान फोटो : प्रतिनिधि, अररियालोक आस्था के महापर्व छठ को ले मंगलवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जायेगा, जबकि बुधवार को सूर्यदेव को प्रात: […]

आज दिया जायेगा अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य छठ को लेकर जिले भर में आस्था का माहौलपकवान बनाने को लेकर महिलाएं रख रही हैं शुद्धता व पवित्रता का खास ध्यान फोटो : प्रतिनिधि, अररियालोक आस्था के महापर्व छठ को ले मंगलवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जायेगा, जबकि बुधवार को सूर्यदेव को प्रात: कालीन अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही महापर्व का समापन हो जायेगा. छठ को लेकर व्रतियों द्वारा प्रसाद के लिए चावल, गेहूं को सुखाने का काम सोमवार को ही कर लिया गया. सोमवार की संध्या जांता, ओखली में गेहूं व चावल के पिसाई का काम घर की महिलाओं के द्वारा किया जाने लगा. अब तो भरपूर संसाधन के कारण प्रसाद के लिए चावल व गेहूं की पिसाई के लिए लोग आटा चक्की पर भी पहुंचते रहे. आटा चक्की वाला भी इस बात की एहतियात बरत रहा था कि छठ के प्रसाद को तैयार करने में सफाई की कोई चूक उससे नहीं हो. छठ महापर्व तोड़ रहा है जातीय बंधनखरना मनाने के साथ मंगलवार को व्रती प्रसाद की तैयारी में जुट जाती हैं. कोसी के आंचल में बसे इस जिले में लोगों के धार्मिक उपासना के कई तरीके हैं. लोगों के पर्व मनाने के तरीके भी अलग-अलग हैं. धार्मिक मान्यताओं की बंधन से बंधे रहने के बावजूद हिंदू हो या मुसलमान हर किसी को छठी माई के आशीर्वाद का फलाफल मिल चुका है. इसका परिणाम है कि शादी के सात साल के बाद जब एक मुसलिम महिला को औलाद सुख नहीं मिला तो वह छठ के अवसर पर मां से औलाद का सुख मांग बैठी. छठी माई ने उसकी सुन ली. उसे औलाद सुख मिला. आज उसे पांच पुत्र व दो पुत्रियों हैं. लेकिन समाज की कुंठित विचारधारा के कारण वह खुल कर अपना अह्लाद प्रकट नहीं कर पा रही है. वह ये जानती है कि किसी भी प्रकार की कमी को या गलती को छठी माई बरदाश्त नहीं कर सकती. इसलिए पूरे रीति रिवाज के हर एक पहलू पर बारीकी से ध्यान देती है. उपवास में रहती है. पंद्रह सालों से छठ मां की पूजा कर रही है. मरते दम तक मां छठ की आराधना करेगी. हां बाद में उसके पुत्र व बहू करे या न करे. वह कहती है कि नाम छपवा लेने से क्या फायदा होगा. उसने कहा कि धर्म तो इबादत का नाम है. फिर ये नफरत किस बात की. उसने कहा कि एक हिंदू रोजा करें, तो क्या नमाज पढ़ना उसके लिए जरूरी है. उसी प्रकार वह भी छठ करती है सारे रीति रिवाज को मानती है. लेकिन हाथ उठाने का काम कोई हिंदू महिला मित्र से कराती है. पकवान व प्रसाद के सुगंध से सुगंधित रहता है घर-आंगनव्रती जहां खीर के प्रसाद को ग्रहण कर व्रत के नियमों का पालन करती हैं वहीं बच्चे प्रसाद का इंतजार करते रहते हैं. छठ के अवसर पर जिले में कई प्रकार के खास पकवान बनाये जाते हैं. खरना के दूसरे दिन पंचमी को बनने वाला इन पकवानों में शुद्धता व पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है. चावल के आटा कचबचिया, हिलसा, भुसवा आदि जबकि गेहूं के आटा से ठेकुआ आदि पकवान को व्रती खास तौर पर बनाती हैं.

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