चार शवों को किया गया सुपुर्द-ए-खाकएक साथ चार मौत की सूचना पर पहुंचे एसडीपीओ व सीओसीओ ने उपलब्ध कराया तत्काल सहायता राशि फोटो:14- आंगन में रखे चारों शवों को देखते ग्रामीण.प्रतिनिधि, अररिया/पलासी पलासी थाना क्षेत्र के ककौरवा वार्ड संख्या पांच में अग्नि कांड में झुलस कर मरे चार लोगों के जनाजों को ग्रामीणों ने नम आंखों से शुक्रवार को एक साथ सुपुर्द-ए-खाक किया. ज्ञात हो कि गुरुवार की संध्या ककौरवा वार्ड संख्या पांच में एक दुकान में लगी आग से एक ही परिवार के एक महिला समेत तीन बच्चों की झुलसने से मौत हो गयी थी. इस घटना की सूचना पाकर एसडीपीओ मो कासिम, सीओ सत्येंद्र कुमार सिंह, थानाध्यक्ष आरबी सिंह घटनास्थल पर पहुंचे व घटनाक्रम की जानकारी ली. इधर घटना की बाबत मृतका शमीना खातून के पति मो इशहाक के फर्द बयान के आधार पर यूडी केस 06/15 दर्ज किया गया. पुलिस को दिये गये फर्द बयान में इशहाक ने कहा कि गुरुवार की संध्या पांच बजे उसकी पत्नी शमीना खातून अपने फूस की झोपड़ी में ढिबरी जला रही थी. उसी दुकान में उसका एक नाती, दो पोता व एक पोती सो रही थी. शमीना के हाथ से ढिबरी गिर गयी. ढिबरी के अंदर पड़ा केरोसिन का छींटा फूस के टाट पर पड़ा व ढिबरी से निकली चिनगारी ने पलक झपकते ही आग का रूप ले लिया. बच्चे कंबल पर सो रहे थे, आग की लपट में कंबल भी धू-धू कर जलने लगा. बच्चों को बचाने के क्रम में शमीना भी आग की लपट में घिर गयी. गांव के अधिकांश ग्रामीण हाट करने के लिये पलासी गये हुए थ, जबकि बचे लोग मगरीब का नमाज पढ़ने के लिए पास स्थित मसजिद गये हुए थे. जब तक ग्रामीण आग पर काबू पाते चारों लोग उस आग में झुलस चुके थे. शुक्रवार को पुलिस के द्वारा चारों मृतकों का पोस्टमार्टम कराने के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया. सीओ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मृतकों के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद मुआवजे के लिए जिला पदाधिकारी को प्रस्ताव भेजा जायेगा. जिला आपदा कोष के तहत मृतक के आश्रितों को मुआवजा मिलेगा. मुख्यमंत्री राहत कोष से भी मुआवजा दिलाने को लेकर प्रस्ताव भेजा जायेगा. अंचल स्तर पर मृतक के आश्रितों को तेरह सौ रुपये, बरतन के लिए बारह सौ रुपये व दो हजार रुपये का आर्थिक अनुदान राशि दिया जायेगा, जबकि एक क्विंटल अनाज व प्लास्टिक सीट तत्काल उपलब्ध कराया जायेगा. परिजनों के चीत्कार से माहौल था गमगीन -ग्रामीणों की आंखों से भी बह रहा था बेसब्र आंसू फोटो:15-रोती विलखती अजमती मृगेंद्र मणी, अररियाढिबरी से निकली चिनगारी से भड़की आग ने देखते ही देखते एक ही परिवारों के चार लोगों को अपने आगोश में ले लिया. आग ने चार मासूम जिंदगियों को भी नहीं बक्सा. जबकि बूढ़ी शमीना भी अपने नाती व पोता पोती को बचाने के क्रम में आग की भेंट चढ़ गयी. ककौरवा के ग्रामीणों को बस यही मलाल रह गया कि खुदा ने थोड़ा सा भी वक्त दिया होता तो चार जिंदगियों को बचाया जा सकता था. ग्रामीण मो कासिम ने बताया कि खुदा को शायद यही मंजूर था. रेहाना व मंजूर की मौत के उसके चार बच्चों की जवाबदेही थी नाना नानी के कंधों परग्रामीणों ने बताया कि घर के बरामदे पर दुकान चला कर मो इशहाक व शमीना अपने तथा बेटी रेहाना व दामाद मो मंजूर के चार बच्चों की भी देख रेख किया करते थे. इधर इस आग ने इशहाक की बेटी रेहाना के पांच वर्षीय पुत्र मासूम को भी अपने आगोश में ले लिया. इशहाक के नाती पोता की जिम्मेदारी उठाने का वादा करने वाली शमीना भी आग की आगोश में समा गयी. जानकारी अनुसार कुछ माह पूर्व इशहाक की बेटी रेहाना व दामाद मो मंजूर की मौत एक जानलेवा बीमारी के कारण हो गया था. इसके बाद रेहाना के चार बच्चों की जिम्मेदारी शमीना व इशहाक के कंधे पर आ गया. रेहाना के चार बच्चों में से एक बेटा मासूम की मौत इस अग्नि कांड में हो गया. जबकि बांकी एक बेटी व दो बेटों की जवाबदेही अब इशहाक के कंधों पर आ गया है. इशहाक का हाल तो अब यह है कि जीवन यापन का आखिरी सहारा छोटी सी किराना की दुकान भी पूरी तरह जल चुकी है. तीन मासूमों का प्रति पालन अब वह कैसे करेगा. अजमती व मुजाहिद का तो बाग ही उजड़ गया ढिबरी से निकली आग ने अजमती व मुजाहिद के बागवां को पूरी तरह से बरबाद कर दिया. इस अग्नि कांड में मुजाहिद व अजमती के दो औलाद आग की भेंट चढ़ गये. जबकि घर में मां के गोद में पड़ा बबलू ही सिर्फ बच पाया. ग्रामीणों ने बताया कि घर में जगह कम होने की वजह से मुजाहिद के दो बच्चे छह वर्षीय मो दिलशाद व आठ वर्षीया बेबी अपने दादी शमीना के साथ ही सोते थे. गुरुवार की शाम भी बच्चे दादी के पास सोने गये हुए थे. लगी आग से बुरी प्रकार से झुलस चुके शव को लोग देखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे. जबकि अजमती फिर भी शव से लिपट कर ऊपर वाले से उन्हें उनके चीर निद्रा से जगाने के जिद पर अड़ी थी. अजमती को लोग समझाए भी तो कैसे. बिछावन पर बेसुध पड़ा मुजाहिद को तो अब भी इस बात का यकीन नहीं हो रहा था कि उसके दो औलाद अब अल्लाह को प्यारे हो गये. चारों और चीत्कार तो, आंख बरसा रहा था आंसू घर के चार शवों को अपने बूढ़े कंधे पर जनाजे को लेकर जब इसहाक गांव वालों के साथ निकला. गांव वालों के आंखों से बेसब्र आंसू बह पड़ा. हर और आलम था तो सिर्फ गम का. एक दूसरे से कोई कुछ पूछ भी नहीं पा रहा था. होठ खामोश थे तो आंखों से लोग अपने दर्द को बयां कर रहे थे. किसी को भी यह यकीन नहीं हो रहा था कि आखिर किसकी गलती के कारण यह घटना हुई. कुछ ऐसा ही मामला वर्ष 2011 के अक्तूबर को कुर्साकांटा थाना क्षेत्र के पगडेरा गांव में हुई थी. शाम को घर में बच्चों को पढ़ा रहे बटेश्वर नाथ झा, उसकी पत्नी गोदावरी देवी, पुत्री 13 वर्षीय शिखा कुमारी व 12 वर्षीय मोहिनी कुमारी की मौत घर में रखे ढिबरी की आग ने ले ली थी. उस घटना में बटेश्वर नाथ झा का पुत्र चंद्रशेखर झा बचा, जो कि घटना के वक्त अपने दादी से मिलने गया हुआ था. तत्कालीन एसपी शिवदीप लांडे सूचना पाकर पहुंचे थे. तत्कालीन सीओ विजय शंकर सिंह व सीआइ अवधेश सिंह ने मामले में संज्ञान लिया जिस कारण पीडि़त परिवार को ससमय सरकारी सहायता मुहैया कराया जा सका.
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