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नीतीश और लालू दलितों मुसलमानों, पिछड़ों के हिमायती नहीं: रामविलास

नीतीश और लालू दलितों मुसलमानों, पिछड़ों के हिमायती नहीं: रामविलास फोटो 23 केएसएन 12समारोह को संबोधित करते केंद्रीय मंत्री व लोजपा सुप्रिमो रामविलास पासवान प्रतिनिधि पौआखाली(किशनगंज)लोजपा सुप्रीमो व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र के पौआखाली हाई स्कूल मैदान में चुनावी सभा को संबोधित किया. जिसमें उन्होंने खास कर दलित-मुस्लिम समाज […]

नीतीश और लालू दलितों मुसलमानों, पिछड़ों के हिमायती नहीं: रामविलास फोटो 23 केएसएन 12समारोह को संबोधित करते केंद्रीय मंत्री व लोजपा सुप्रिमो रामविलास पासवान प्रतिनिधि पौआखाली(किशनगंज)लोजपा सुप्रीमो व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र के पौआखाली हाई स्कूल मैदान में चुनावी सभा को संबोधित किया. जिसमें उन्होंने खास कर दलित-मुस्लिम समाज के लोगों क ो अपने भाषण से भरपुर रिझाने का प्रयास किया. अपने भाषण में लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने कहा कि देश में हिंदु-मुस्लिम, सिख- इसाई धर्म में पिछड़ी जाति के लोगों को नौकरी में आरक्षण नीति को लागू किया, मंडल कमीशन को लागू करवाया, बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर को भारत रत्न का सम्मान दिलवा कर सरकारी छुट्टी की घोषणा की. उनके जन्म दिन पर की. श्री पासवान ने मुस्लिम वोटरों को रिझाते हुए कहा कि 1990 में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहेब के जन्म दिन पर छुट्टी की घोषणा करवायी. रेल मंत्री रहते उन्होंने बिहार के हाजीपुर में रेलवे का जोनल ऑफिस खुलवाया. गरीबों के हाथों में जो मोबाइल फोन है, वह संचार मंत्री रहते उन्होंने ही दिलवाने का काम किया है. संचार क्षेत्र में क्रांति लाने का काम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्होंने किया. आज वे खाद्य मंत्री है. बिहार के दस करोड़ लोगों में से लगभग नौ करोड़ लोगों को दो रुपये किलो की दर से गेहूं और तीन किलो रुपये की दर से चावल देते हैं. लेकिन अनाज कहां चला जाता है पता नहीं चलता है. यहां पीडीएस प्रणाली में धांधली ही धांधली है. नीतीश कुमार को आड़े हाथों लेते हुए राम विलास पासवान ने कहा है कि मकतब मदरसा के शिक्षकों पर नीतीश कुमार लाठियां बरसाते हैं. यहां तक कि आंगनबाड़ी की महिलाओं तक को नीतीश ने पुलिस से पिटवाने का काम किया. नीतीश कुमार के धर्म निरपेक्षता को नाटक बताते हुए कहा कि 2002 में गुजरात दंगा के दौरान उन्होंने सबसे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया लेकिन नीतीश कुमार ने इस्तीफा नहीं दिया. आखिर क्यों? 2005 में बिहार विधानसभा में सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी के पास बहुमत नहीं था. सभी ने कहा कि राम विलास पासवान मुख्यमंत्री बन जाये लेकिन उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मैं नहीं किसी मुसलमान को मुख्यमंत्री बना दो. लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी. लालू अड़ गये राबड़ी देवी के नाम पर, नीतीश कुमार अपने नाम पर अड़ गये. नीतीश और लालू दलितों मुसलमानों, पिछड़ों अगड़ों के हिमायती नहीं बल्कि सबसे बड़े दुश्मन है. बिहार में विकास नहीं विनाश की लीला रची जा रही है. इसलिए एक मजबूत और स्थिर सरकार प्रगतिशील सरकार बिहार में चाहिए. ताकि सरकार बनने के बाद सबका साथ सबका विकास का नारा बिहार में सार्थक हो.

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