प्लाइ उद्योग को जिले में मिल सकता है नया आयाम पोपुलर की खेती के लिए किया जाय प्रोत्साहित, तो किसानों का होगा आर्थिक विकासव्यापारियों को कच्चा माल मिलना होगा आसान फोटो:2- प्लाइ मिल में तैयार होता प्लाइवुड मृगेंद्र मणी, अररियाजिले में उद्योगों के विकास की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है. हालांकि इसके लिए सरकारी तौर पर उद्यमियों के लिए एक प्रबल नीति का निर्धारण आवश्यक है. जिले में वर्तमान में प्लाइ उद्योग संचालित है. जिला इसके व्यापारिक हब के रूप में विकसित हो सकता है, लेकिन जरूरत है प्रशासन द्वारा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने की. जिले में एक दर्जन से अधिक उद्योग बंद हो गये. व्यापारी पलायन कर गये. इसका कारण सरकार की नीतियां व उन व्यापारियों को सुविधा मुहैया कराने में विफलता माना जा रहा है. दूसरी ओर व्यापारियों को उद्योग धंधे लगाने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रति विभागीय स्तर पर पदाधिकारियों या जन प्रतिनिधियों ने मुलाकात तक नहीं की. अगर किसी व्यापारी ने उद्योग को बढ़ाने का प्रयास किया, तो उन्हें सरकारी स्तर पर मुकम्मल व्यवस्था नहीं दी गयी. प्लाइ उद्योग की स्थापना करने के लिए इच्छुक आरएस के ही एक व्यवसायी को प्रशासनिक सुविधा ससमय नहीं मिल पायी. व्यवसायी बासुदेव प्रसाद केडिया ने बताया कि उन्हें काफी मशक्कत करना पड़ा. फैक्टरी में बिजली सप्लाइ पहुंचाने के लिए विभाग को 49 हजार जमा करने के बाद भी उन्हें ढ़ाई साल के बाद हाई कोर्ट के आदेश आने पर विभाग बिजली की सुविधा मुहैया करा पाया. जबकि इस बीच उन्हें डीजल पर मशीन चलाना पड़ा. इस कारण उन्हें लाखों का नुकसान झेलना पड़ा. यही हालत जिले में स्थापित कई उद्योगों का है. उद्योग स्थापित करने के लिए या तो व्यवसायी को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ जाती है. या फिर फाइनेंस की व्यवस्था नहीं मिल पाने के कारण उनकी टूटे हिम्मत से वे अपने सपनों को नयी उड़ान नहीं दे पाते हैं.अररिया के प्लाइ की है अन्य राज्यों में मांगजिले में प्लाइ उद्योग काफी विकसित हैं. बेहतर क्वालिटी देने वाले जिले की प्लाइ फैक्टरी अपने अच्छे उत्पाद के लिए अन्य राज्यों में भी अलग पहचान रखती है. अगर प्लाइ फैक्टरी के माल को बेचने के लिए यातायात की मुकम्मल सुविधा मिले, तो प्लाइ का उत्पाद और भी तेजी के साथ हो सकता है. अच्छे क्वालिटी के उत्पाद के कारण अररिया में स्थापित दर्जनों प्लाइ फैक्टरी का करोड़ों का माल कोलकाता, ओडीसा, हरियाणा, चेन्नई, कर्नाटक, पंजाब आदि राज्यों में डिमांड के आधार पर भेजा जाता है. लकड़ी उद्योग के विस्तार के लिए किसानों को है प्रोत्साहित करने की आवश्यकता प्लाइ उद्योग के लिए अगर किसानों को प्रोत्साहित किया जाय, तो यहां प्लाइ उद्योग काे नया आयाम मिल सकता है. बशर्ते व्यापारियों के लिए सरल व सुगम तौर पर प्रशासनिक मदद मुहैया करायी जा सके. जैसे कल कारखानों के लिए बिजली, फाइनेंस की सुविधा उद्यमियों को आसानी से उपलब्ध करायी जा सके. उद्यमियों को कच्चा माल आसानी से मिले, इसके लिए किसानों की लकड़ी उद्योग में रुचि पैदा की जाय. जिले में लगभग दो दर्जन से ज्यादा प्लाइ उद्योग संचालित हैं, लेकिन उद्यमियों को कच्चा माल के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है. अगर जिले के किसान पोपुलर, कदम, पानी गम्हार, अलबीजिया आदि के पौधे लगायें व लकड़ी उत्पादन में दिलचस्पी दिखायें, तो न केवल कच्चे माल की किल्लत दूर होगी, बल्कि किसानों को भी फायदा होगा. प्लाइ उद्योग से जुड़े, राजू शर्मा, राजेश अग्रवाल, लड्डू के डिया, राजू अग्रवाल, राम किशुन भगत आदि ने बताया कि उन्हें प्लाइ के लिए टिंबर व लोक्शो वाली लकड़ी यूपी, हरियाणा, ओड़िसा, पंजाब व बंगाल से मंगवाना पड़ता है, जबकि प्लाइ के बाहरी हिस्सा में लगाया जाने वाला ओकोमो का आयात दक्षिण अफ्रिका के विषुवतीय रेखा वाले देशों से किया जाता है. जिले के प्लाइ उद्यमियों को यह कोलकाता आदि बंदरगाह से मंगाना पड़ता है. पंजाब, यूपी, हरियाणा, असम आदि राज्यों में पोपुलर आदि टिंबर वाली लकड़ियों की पैदावार करने के लिए सरकार किसानों को प्रोत्साहित करती है. लकड़ी उद्योग को प्रभावित करने से एक तरफ किसानों को सात से आठ साल के अंदर लाखों का मुनाफा होता है. दूसरी तरफ पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी वृक्ष काफी फायदेमंद हैं. किसानों द्वारा पौधों का कटाव व पैदावार का सिलसिला एक साथ चलता रहता है. इसका फायदा है कि इन राज्यों के किसान आज आर्थिक रूप से संपन्न हैं. बिहार में भी होने लगी है प्लाइ उत्पाद की मांग सुगम व आसानी से उपलब्ध हो जाने के कारण अब बिहार में भी लोग प्लाइ उत्पाद में रुचि लेने लगे हैं. लोग अब पारंपरिक लकड़ी को छोड़ कर प्लाइ के विभिन्न उत्पाद में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. पारंपरिक लकड़ी एक तो इच्छा अनुसार मिल नहीं पाता फिर मनमाना दर चुका कर लोगों को काफी जद्दोजहद के बाद लकड़ी अगर मिल भी जाये तो, सामान बनवाने की प्रक्रिया भी उबाऊ हो जाती है. प्लाइ उद्योग से जुड़े व्यवसायी भी मानते हैं कि जिले में प्लाइ उद्योग को नया आयाम मिल सकता है. जब जिले का प्लाइ बिक्री के लिये बंगाल, कोलकाता, तमिलनाडु ,कर्नाटक, ओड़िसा, असम आदि राज्यों में जा रहा है तो बिहार के बाजारों में भी प्लाइ की डिमांड बढ़ने लगी है. कहते हैं वन के क्षेत्र पदाधिकारी प्लाइ उद्योग के लिए टिंबर वाले पौधों को लगाने के प्रति प्रोत्साहित करने की दिशा मेंं रेंजर विनय प्रसाद सिन्हा ने बताया कि प्लाइ उद्योग के लिए कदम, पोपुलर, अलबिजिया, पानीगम्हार आदि के पौधों को लगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने का प्रयास जारी है. इस योजना के विकास के लिए मुख्यमंत्री वन्य प्रजाति पौधशाला के तहत किसानों को बीस हजार पौधे लगाने के लिए सरकारी मदद मुहैया करायी जा रही है. किसानों को मुफ्त पौधा उपल्ब्ध कराया जाता है. एक एकड़ खेती के लिए 250 पौधा दिया जाता है. इसके तहत किसानों को अनुदान देने की भी योजना है, जिसमें पौधा लगाने के पहले साल 15 रुपये, दूसरे वर्ष दस रुपये व तीसरे वर्ष दस रुपये पौधों को जीवित रहने के आधार पर किसानों को अनुदान दिया जाता है. इन पौधों का विकास तीन से चार साल में होता है. किसानों को तैयार वृक्ष को बेचने के लिए बाजार भी वन विभाग उपलब्ध करायेगा.
BREAKING NEWS
प्लाइ उद्योग को जिले में मिल सकता है नया आयाम
प्लाइ उद्योग को जिले में मिल सकता है नया आयाम पोपुलर की खेती के लिए किया जाय प्रोत्साहित, तो किसानों का होगा आर्थिक विकासव्यापारियों को कच्चा माल मिलना होगा आसान फोटो:2- प्लाइ मिल में तैयार होता प्लाइवुड मृगेंद्र मणी, अररियाजिले में उद्योगों के विकास की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है. हालांकि इसके लिए […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement