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नेपाल में आंदोलन जारी, सीमा पर हाइ अलर्ट

मृगेंद्र मणि : अररिया नेपाल में संविधान निर्माण को लेकर भड़की हिंसा संविधान लागू होने के बाद भी जारी है. 16 अगस्त 2015 को नेपाल मधेशी फोरम व नेपाल के ही तराई क्षेत्र की कई छोटी-बड़ी पार्टियों ने संविधान में अपनी मांगों को शामिल किये जाने को लेकर नेपाल में जो आंदोलन शुरू किया था, […]

मृगेंद्र मणि : अररिया नेपाल में संविधान निर्माण को लेकर भड़की हिंसा संविधान लागू होने के बाद भी जारी है.

16 अगस्त 2015 को नेपाल मधेशी फोरम व नेपाल के ही तराई क्षेत्र की कई छोटी-बड़ी पार्टियों ने संविधान में अपनी मांगों को शामिल किये जाने को लेकर नेपाल में जो आंदोलन शुरू किया था,

वह अब तक निरंतर जारी है. नेपाली अर्थव्यवस्था की नींव माने जाने वाले सीमावर्ती शहर विराटनगर, रक्सौल, काकड़ भिट्टा आदि जगहों पर पेट्रोलियम पदार्थों से लेकर खाद्य सामग्री तक की किल्लत हो गयी. अब भारत नेपाल की इन सीमा पर भारतीय वाहनों का आना जाना भी बंद हो गया है. इसका खामियाजा नेपाल के गरीब जनता को उठाना पड़ रहा है.

नेपाल के तराई क्षेत्र में हो रहे आंदोलन की आग में अब तक दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 22 सितंबर को भी विराटनगर में पुलिस व आंदोलनकारियों की बीच हुई हिंसक झड़प में चार लोग पुलिस की गोली से घायल हो गये थे.

मधेशियों को चाहिए संविधान में व्यापक भागीदारी नेपाल में विभिन्न जाति, समुदाय, राजनीतिक दलों के अलावा 240 चुनावी क्षेत्रों में कराये गये सर्वे के बाद 2013 में प्रधानमंत्री बने सुशील कोइराला के द्वारा संविधान का निर्माण कराया गया.
नये संविधान को अगस्त के मध्य तक ही लागू करना था, लेकिन 16 अगस्त से ही जारी गतिरोध के बीच 20 सितंबर 2015 को देश में कोइराला सरकार ने इसे लागू कर दिया. खबर यह भी आयी कि संविधान के लागू होने के बाद कोइराला अपने पद से त्याग पत्र दे देंगे, और किसी अन्य को प्रधानमंत्री पद का दायित्व सौंपा जायेगा.
लेकिन अभी तक त्याग पत्र की बात सही नहीं साबित हुई है. इधर मधेशी नेताओं की मांग की फेहरिस्त लंबी है. नेपाल में आंदोलन में शामिल मधेशी फोरम के अलावा अन्य छोटी बड़ी 23 पार्टियाें के लिए नेपाल को छह प्रांतों में बांटा जाना मंजूर नहीं है.
नेपाल के संविधान में उत्तर से दक्षिण दिशा को मिला कर मधेशियों को नौ जिला ही दिया जा रहा है. वहीं मधेशी पार्टियां पूरब से पश्चिम तक पड़ने वाले सभी जिलों को मिला कर एक राज्य बनाने की मांग पर अड़ी हैं. इसके तहत नेपाल के कुल 75 जिलों में से 22 जिले आते हैं. ये प्रदेश सीमांकन के अलावा, नागरिकता, देश के उच्च पद पर मधेशी की भागीदारी, जन संख्या के आधार पर नेपाल की सांसद सीट का निर्धारण, समानुपातिक समावेशी प्रतिनिधित्व की मांग भी कर रही हैं.
झड़प के बाद सीमा पर बढ़ा तनाव
22 सितंबर के हिंसक झड़प के बाद विराटनगर समेत जिले के कुसमाहा, बथनाहा, सोनामनी गोदाम, डुमरिया, लैलोखर, कुआड़ी, मजरख, सिकटी आदि सीमावर्ती इलाकों की भी न केवल नेपाली पुलिस ने नाकाबंदी कर दी है, बल्कि सीमा सुरक्षा बल ने भी गृह मंत्रालय के निर्देश पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है.
भारतीय वाहनों को नेपाल प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है. एसएसबी कुआड़ी के बीओपी प्रभारी शेखर कुमार ने बताया कि बुधवार को चार घंटे तक नेपाल सीमा को पूर्ण रूपेण सील करना पड़ा, खबर आयी थी कि नेपाल में भारतीय मूल के वाहनों को प्रदर्शनकारी आग के हवाले कर अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं.
हालांकि नेपाल में जारी आंदोलन व बंदी के कारण सामा क्षेत्र के चार-पांच किलोमीटर के अंदर रह रहे नेपालवासी नेपाल में खाद्य सामग्री की किल्लत से परेशान हैं. नेपालवासियों को भारतीय बाजार में बहुत छानबीन के बाद प्रवेश करने दिया जा रहा है, और कम मात्रा में खाद्य सामग्री की खरीदारी करने दी जा रही है. कुआड़ी सीमा से सटे नेपाल के कर्सिया, बेतौना, डैनिया, रंगेली आदि में मधेशी तो रहते हैं ही,
यहां अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी रहते हैं, जो नेपाल के नेकपा, एनेकपा(माओवादी)नेपाली कांग्रेस के समर्थन में हैं. उनके द्वारा आशंका जाहिर की जा रही है कि नेपाल में जारी आंदोलन का कारण भारतीय मूल के लोग हैं. ऐसे लोगों के आक्रोश का सामना भारतीय मूल के लोगों को होना पड़ रहा है. नेपाल में प्रवेश के बाद उनके वाहनों को क्षतिग्रस्त किया जा रहा है.
नेपाल में बढ़ रही है महंगाई
नेपाल में लगभग 40 दिनों से जारी आंदोलन के बाद नेपाली मूल के लोगों के लिए एक सबसे बड़ी समस्या महंगाई हो गयी है. नेपाली मूल के पैटा निवासी जय प्रकाश सोनी ने बताया कि हम लोगों के लिए भारतीय बाजार पर निर्भर रहने की एक खास वजह नेपाल में व्याप्त महंगाई भी है.
नेपाल में जारी आंदोलन के कारण सामानों की कीमत आसमान पर हैं. एक किलो आलू नेपाल में चालीस रुपये तक मिल रहा है. चावल व अन्य खाद्य सामग्री भी अभाव के कारण महंगी हो गयी है. अब नेपाल पुलिस भी हमलोगों को भारतीय सामान लेकर अंदर जाने नहीं दे रही है.
एसएसबी के द्वारा भी सामान ले जाने से रोका जा रहा है. लगातार दो दिनों से एसएसबी भी भारत प्रवेश करने पर रोक रही है. उन्होंने बताया कि नेपाल के मरीजों के लिए भी विराटनगर की अपेक्षा भारत में इलाज कराना सुविधाजनक होता है, लेकिन जारी तनाव में जब लोगों को पैदल प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है तो मरीजों को लाना तो बेहद कठिन हो रहा है. शांति बहाली दोनों देश के निवासियों के हित में है.
नहीं जा रहा है भारतीय सामान
नेपाल में जारी गतिरोध के कारण भारत से जाने वाली सामग्री नेपाल नहीं पहुंच पा रही है. इस संबंध में जोगबनी कस्टम के एक हाउस एजेंट आरके मिश्रा ने बताया कि गुरुवार से ही भारत से सामान लेकर जाने वाले वाहनों को सुरक्षा के मद्देनजर रोक दिया गया है. यह बंदी शुक्रवार को भी जारी है. शनिवार को भी वाहन नेपाल जायेंगे या नहीं यह कहना मुश्किल है.
प्रशासन को किया गया हाइ अलर्ट
नेपाल सीमा से सटे भारतीय पुलिस चौकी को भी नेपाल में चल रहे हिंसक आंदोलन के मद्देनजर हाइ अलर्ट कर दिया गया है. इस संबंध में जिला मुख्यालय से सभी थानाध्यक्ष को यह निर्देश दिया गया है कि नेपाल और भारत से आ जा रहे वाहनों की जांच करें.
कमी पाये जाने या शक होने पर उन्हें हिरासत में ले लिया जाय.
नेपाल के आंदोलनकारी पुलिस चौकी पर हमला कर शस्त्र आदि को क्षति पहुंचा सकते हैं. इसलिए पुलिस चौकी की निगहबानी को लेकर पुलिस पदाधिकारी सतर्क रहें. हालांकि बिहार में आसन्न चुनाव के मद्देनजर पुलिस व एसएसबी के जवान सक्रिय हैं, इसलिए ऐसी घटना होना संभव नहीं है, लेकिन खुफिया विभाग के द्वारा जारी यह संकेत भी महत्वपूर्ण है.

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