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तेंदुए हत्याकांड: मौजूद पुलिस पदाधिकारियों ने तेंदुए का शव क्यों नहीं लिया कब्जे में

लोगों के बीच हो रही तरह-तरह की चर्चाप्रतिनिधि, अररियातेंदुआ हत्याकांड अब भी लोगों के बीच चर्चा में है. हालांकि इस मामले में वन विभाग के वनपाल के आवेदन पर अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इसे वनपाल की मजबूरी कहें या और कुछ घटना के दिन न तो जिला मुख्यालय में डीएफओ थे […]

लोगों के बीच हो रही तरह-तरह की चर्चाप्रतिनिधि, अररियातेंदुआ हत्याकांड अब भी लोगों के बीच चर्चा में है. हालांकि इस मामले में वन विभाग के वनपाल के आवेदन पर अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इसे वनपाल की मजबूरी कहें या और कुछ घटना के दिन न तो जिला मुख्यालय में डीएफओ थे और न ही रेंजर. बकौल वनपाल घटना की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करायी है. घटना के दौरान वे घटनास्थल पर नहीं थे. इसलिए अज्ञात के विरुद्ध मामला दर्ज कराया. हालांकि लोगों का कहना है कि आधा दर्जन से अधिक पुलिस पदाधिकारी व जवान घटना स्थल के आसपास मौजूद थे. उनकी मौजूदगी में गोली मार कर तेंदुए की हत्या की गयी, फिर उसके टुकड़े-टुकड़े किये गये. आखिर पुलिस वहां क्या कर रही थी. गोली का शिकार बने तेंदुए के शव के क्यों नहीं पुलिस ने अपने कब्जे में लिया. कथित दबंग के आगे क्यों शिथिल पड़ गयी पुलिस. हालांकि लोगों में आक्रोश था. लेकिन लोगों के आक्रोश के बाद भी पुलिस दर्जनों बार किसी के शव को कब्जे में लेने का प्रयास करती है. आखिर क्या मजबूरी थी कि सभी पुलिस पदाधिकारी सब कुछ जानते हुए घटनास्थल से इस तरह लौट आये. क्या मौके पर मौजूद पुलिस कर्मी इसके जवाबदेह नहीं. इस तरह की चर्चा हर ओर हो रही है. पहले गोली चली. फिर मृत तेंदुआ का टुकड़ा-टुकड़ा कर दिया गया. और ऐसा महज साक्ष्य मिटाने के लिए किया गया. ऐसे में अनुसंधानकर्ता की क्षमता निर्भर करता है कि वे साक्ष्य जुटायें. गोली मार कर हत्या करने वाले पर कार्रवाई हो.

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