वहीं जिला कृषि कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के संबंधित विभागीय अधिकारियों के निर्देश के आलोक में क्षति के आकलन के लिए न केवल सर्वे पूरा हो चुका है. बल्कि 21 हजार हेक्टेयर क्षति की अंतरिम रिपोर्ट भी सरकार को भेजी जा चुकी है.
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बढ़ सकता है प्रभावित रकबा
जिले में राज्य सरकार के संबंधित विभागीय अधिकारियों के निर्देश के आलोक में गेहूं फसल की क्षति के आकलन के लिए सर्वे पूरा हो चुका है. 21 हजार हेक्टेयर क्षति की अंतरिम रिपोर्ट भी राज्य सरकार को भेजी जा चुकी है. हालांकि मुआवजा के लिए आवेदन लेने का काम नहीं शुरू हो पाया है. बताया […]
जिले में राज्य सरकार के संबंधित विभागीय अधिकारियों के निर्देश के आलोक में गेहूं फसल की क्षति के आकलन के लिए सर्वे पूरा हो चुका है. 21 हजार हेक्टेयर क्षति की अंतरिम रिपोर्ट भी राज्य सरकार को भेजी जा चुकी है. हालांकि मुआवजा के लिए आवेदन लेने का काम नहीं शुरू हो पाया है. बताया गया कि क्षति के आंकलन के दौरान किसानों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया था.
अररिया: रबी फसल के समय मौसम के बदले मिजाज ने जिले के गेहूं उत्पादक किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. मौसम की ऐसी मार पड़ी कि न केवल हजारों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल पूरी तरह बरबाद हो गयी, बल्कि जो खेत मौसम की मार से सुरक्षित कहे जा रहे हैं, उन खेतों में भी उपज 50 प्रतिशत तक कम होने की सूचना मिल रही हैं.
मिली जानकारी के अनुसार क्षति आकलन की जिम्मेदारी प्रखंड कृषि पदाधिकारियों व कृषि समन्वयकों को सौंपी गयी थी. हालांकि ये पता करना मुश्किल है कि क्षति के आकलन के लिए अपनाया गया आधार क्या था, पर जानकारों का कहना है कि आइ एस्टीमेशन से ही काम चलाना पड़ा. कुछ सर्वे कर्ताओं ने बताया कि निरीक्षण के दौरान खेतों का बारीकी से जायजा लिया गया. बहुत से खेतों में गेहूं की बालियां पूरी तरह काली दिख रही थी. उन्हें हाथ से मसल कर भी देखा गया, अगर बालियां दाना विहीन मिलीं, तो उन्हें खराब माना गया. सर्वे में लगे एक अधिकारी ने बताया कि क्षति आकलन की रिपोर्ट के लिए प्रपत्र मुहैया कराया गया था. इसमें छोटे व सीमांत व बड़े किसानों के अलग-अलग कॉलम थे. ये भी नोट किया गया कि संबंधित प्रखंड में कितने रकबे में गेहूं आच्छादन हुआ था. कितना रकबा प्रभावित हुआ व अलग-अलग श्रेणी में कुल कितने किसान पीड़ित हुए.
बताया जाता है कि कि फिलहाल मुआवजे के लिए राशि की मांग पूर्व निर्धारित दर यानी नौ हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से की गयी है, पर विभागीय अधिकारी ये भी मान रहे हैं कि केंद्र सरकार द्वारा की गयी घोषणा के आलोक में मुआवजा का दर बढ़ सकता है. मिली जानकारी के अनुसार कुछ तकनीकी कारणों व वरीय अधिकारियों से दिशा निर्देश नहीं मिलने के कारण अब तक प्रभावित किसानों से किसी प्रकार का आवेदन या दस्तावेज नहीं मांगा गया है. वैसे उम्मीद जतायी जा रही है कि जमीन की लगान रसीद की मांग मुआवजा के लिए की जायेगी, लेकिन इसे लेकर विभागीय अधिकारी भी बहुत स्पष्ट नहीं हैं कि मुआवजा देने के लिए कौन सी प्रक्रिया अपनायी जायेगी.
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