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पीड़ित किसान मदद की लगा रहे गुहार

अररिया: चंद्रदेई पंचायत में सैकड़ों एकड़ जमीन पर लगी गेहूं की फसल बरबाद होने के बाद जिले के अन्य हिस्सों से भी ऐसी शिकायतें सामने आ रही हैं. गेहूं के बाली में दाना नहीं आने से हताश किसान मदद के लिए जन प्रतिनिधि व संबंधित अधिकारियों के पास गुहार लगा रहे हैं. मालूम हो कि […]

अररिया: चंद्रदेई पंचायत में सैकड़ों एकड़ जमीन पर लगी गेहूं की फसल बरबाद होने के बाद जिले के अन्य हिस्सों से भी ऐसी शिकायतें सामने आ रही हैं. गेहूं के बाली में दाना नहीं आने से हताश किसान मदद के लिए जन प्रतिनिधि व संबंधित अधिकारियों के पास गुहार लगा रहे हैं.

मालूम हो कि फसल बरबाद होने की सूचना पर चंद्रदेई पहुंची कृषि अधिकारियों की टीम ने पंचायत के करीब 100 हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल बरबाद होने की बात कही थी. जिले के अन्य हिस्सों से जो सूचनाएं मिल रही है. इसे देखते हुए विभाग द्वारा प्रस्तुत यह आंकड़ा अपर्याप्त मालूम होता है. जिला कृषि पदाधिकारी नवीन कुमार की मानें तो इस बार जिले में कुल मिला 71 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुआई की गयी थी. जानकारों का कहना है कि अगर फसल बरबादी का उचित सर्वे कराया जाय तो यह आंकड़ा 5000 हजार हेक्टेयर के भी पार जा सकता है. फसल खराब होने के बाद मुआवजा की मांग को लेकर जगह-जगह पर किसान विरोध प्रदर्शन कर हैं.

विधायक ने मामले को विधान सभा में उठाने का दिया है आश्वासन: सोमवार को किस्मत खवासपुर के किसानों की शिकायत पर क्षेत्र के विधायक जाकिर अनवर ने बरबाद हुई फसलों के मुआयना के बाद मामले को विधानसभा में उठा कर पीड़ित किसान को उचित मुआवजा दिलाने की बात कही थी, लेकिन फसल खराब होने का मामला एक दो पंचायतों तक सीमित नहीं है. जिले में कई जगहों पर ऐसी ही स्थिति है. सिकटी प्रखंड के बरदाहा, कासत, ढेंगरी, सोहागमाड़ो, कुर्साकांटा प्रखंड के लक्ष्मीपुर, दभड़ा, सरणपुर, रामनगर, बेलबाड़ी पंचायत सहित अन्य प्रखंडों में भी गेहूं की फसल में दाना नहीं आने की शिकायत सामने आ रही है.

ऐसे में किसानों द्वारा यह मांग जोर पकड़ने लगा है कि समूचे जिले में सर्वे करा प्रभावितों की वास्तविक संख्या का पता लगाया जाय, ताकि किसानों को हुए नुकसान का उचित मुआवजा उन्हें मिल सके. जिला कृषि विभाग गेहूं की फसल की वास्तविक क्षति को लेकर चाहे जो भी आंकड़े दे, लेकिन कहा जाता है कि मामले को लेकर राज्य सरकार काफी गंभीर है. क्षति के सही आकलन के लिए जिला कृषि पदाधिकारी को पटना तलब भी किया गया था. इतने बड़े भू-भाग पर लगी फसल बरबाद होने से जिला कृषि विभाग में भी अफरातफरी मची हुई है. पूरा विभागीय अमला हरकत में आ गया है और क्षति के आकलन के लिए भागदौड़ जारी है. कमोबेश गेहूं की फसल बरबाद होने को लेकर जिला भर के किसान हताश व निराश हैं. किसानों को अपनी गाढ़ी कमाई के बरबाद होने का गम साल रहा है, तो कुछ को महाजन से लिये गये उधार को चुकता करने की चिंता परेशान कर रही है. छोटे भू भाग पर खेती कर किसी तरह गुजर बसर करने वाले सीमांत किसानों के सामने तो आत्महत्या की नौबत आन पड़ी है. इनको हुए नुकसान का अगर उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिलता है, तो इससे किसानों का मनोबल प्रभावित होगा, जो नि:संदेह जिले में कृषि विकास के मार्ग में बड़ा अवरोध साबित होगा.

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