अररिया: जमीन संबंधी विवाद के निबटारे में अररिया अंचल की सुस्त गति जग जाहिर है. किसी एक विवाद के निबटारे या एक ही जमीन पर दो पक्षों के दावे संबंधी वादों को निपटाने में ही अंचल कार्यालय को महीनों लग जाते है.
ऐसे में सरकारी जमीनों को चिह्न्ति करना सहित महादलित परिवारों को बासगीत पर्चा वाली जमीन आवंटित करने जैसे सरकार के कई महत्वाकांक्षी योजना अंचल क्षेत्र में जमीनी तौर पर असफल साबित होते हैं. विवादित भूमि पर उसके वास्तविक भू धारी को हक दिलाने में अंचल कार्यालय का यही लेट लतीफ रवैया पूर्व में कई हादसों की वजह बन चुका है.
इसके बावजूद जमीन संबंधी विवाद के निपटारे में तेजी लाने के किसी सार्थक प्रयास के प्रति अंचल प्रशासन गंभीर नहीं दिखता. ऐसे प्रयासों के प्रति जिला प्रशासन भी उदासीन बना हुआ है. अंचल कार्यालय के इस रवैया के कारण लोगों को परेशानी तो होती ही है. साथ ही यहां भू माफियाओं का जाल भी फैलता जा रहा है. यही कारण है कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा का सिलसिला अंचल सीमा क्षेत्र में बदस्तूर जारी है.
कहते हैं सीओ. सीओ सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जमीन संबंधी मामलों के निपटारे में हो रही देरी की मुख्य वजह अंचल में कार्यरत अमीन की कमी है. अंचल कार्यालय में एक अमीन कार्यरत है. वह भी सप्ताह में तीन दिन ही अंचल में अपनी सेवा दे रहे हैं. बांकि की तीन दिन वे जिला मुख्यालय में प्रतिस्थापित है. अमीन बहाली की प्रक्रिया चल रही है. उम्मीद है जल्द ही अंचल में और अमीन को बहाल किया जाय. इससे लोगों को हो रही समस्या से निजात मिल सकेगा.