फोटो:2-मां शारदे की प्रतिमा ले जाते युवक. फोटो:3-बाजार में पूजा को ले प्रसाद की खरीदारी करती छात्राएं. प्रतिनिधि, अररियामकर संक्रांति के बाद सरस्वती पूजा अर्चना को लेकर भी जिलेवासियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. यूं तो जिले भर में पूजा की तैयारी जोर-शोर से चल रही है, लेकिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना 24 जनवरी या 25 जनवरी को की जाय, इसे लेकर लोगों का मत अलग-अलग है. जानकार बताते हैं कि इस बार तिथियों के भेद की वजह से ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है. पंडित चंद्रकिशोर उपाध्याय की मानें तो पंचमी तिथि का प्रवेश 24 तारीख सुबह 10 बजे हो रहा है. इसके बाद दिन-रात पंचमी का योग रहेगा. इसलिए सरस्वती पूजा 24 तारीख को मनाया जा सकेगा. बनारसी पंचांग व मिथिला पंचांग में तिथियों के भेद को वे इसकी वजह बताते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित उमानंद झा भी इससे सहमत हैं. उनके अनुसार बनारसी पंचांग को माननेवाले सरस्वती पूजा 24 को कर रहे हैं, जबकि मिथिला पंचांग को मानने वाले मां सरस्वती की पूजा-अर्चना रविवार 25 जनवरी को कर रहे हैं. शनिवार को सूर्य उदय चतुर्थी तिथि में ही होगा. पंचमी तिथि का प्रवेश सुबह 10 बजे के बाद होता है, जबकि रविवार को सूर्य उदय पंचमी तिथि में होना तय है. मिथिला पंचांग में ऐसी मान्यता है कि जिस तिथि में सूर्य का उदय हुआ है सूर्यास्त भी उसी तिथि में होगा. इसलिए सरस्वती पूजा को लेकर ऐसी स्थिति बनी है. बहरहाल दो दिन सरस्वती पूजा के आयोजन होने से स्कूली छात्र-छात्राओं में जश्न का माहौल है.
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तिथि के अंतर की वजह से दो दिन मनाया जायेगा सरस्वती पूजा
फोटो:2-मां शारदे की प्रतिमा ले जाते युवक. फोटो:3-बाजार में पूजा को ले प्रसाद की खरीदारी करती छात्राएं. प्रतिनिधि, अररियामकर संक्रांति के बाद सरस्वती पूजा अर्चना को लेकर भी जिलेवासियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. यूं तो जिले भर में पूजा की तैयारी जोर-शोर से चल रही है, लेकिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना […]
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