जाहिदा की खराब हालत: स्वास्थ्य विभाग पर सवाल प्रतिनिधि, अररियासदर अस्पताल के बेड पर अपने जीवन की जंग लड़ रही जाहिदा का वाकया जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कई सवाल खड़ा करता है. क्या आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के प्रशासनिक दावे कागजों तक ही सीमित रहती है. अगर जिले में फर्जी चिकित्सकों के फैले जाल को नियंत्रित करने की पहले से कोई कारगर व्यवस्था होती, तो क्या जाहिदा आज इस हाल में होती. जाहिदा के पूरे वाकया में एक चीज दिलचस्प है कि वह तमाम जगहों से हार कर सदर अस्पताल ही पहुंची. क्या कल जाहिदा के साथ कोई दुखद घटना घटित होती है तो क्या जिला वासी अस्पताल व्यवस्था पर ही सवाल उठायेंगे. इस हाल में भी निजी क्लिनिक का संचालन करने वालों की सेहत पर कोई खासा असर नहीं पड़ेगा. इसे निजी क्लिनिक संचालकों की चाल भी समझी जा सकती है, जो वह अपनी गलतियों को सरकारी व्यवस्था पर थोप देते हैं. ताकि उनके दामन पर कोई दाग नहीं आये. जिलावासियों की सुख समृद्धि व जान से खेलने का उनका यह खेल यूं ही चलता रहे.
फाईल 20- अररिया की खबरें.
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