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दुष्कर्म के मामले में झूठे गवाहों का नाम दर्ज, जमा कराया शपथ पत्र

अररिया : दुष्कर्म की घटना को लेकर महिला थाना अररिया में दर्ज एक कांड के पर्यवेक्षण पदाधिकारी द्वारा फर्जी गवाही के दम पर पूरे मामले को रफा-दफा कर दिये जाने का वाकिया सामने आया है. पर्यवेक्षण पदाधिकारी पर यह आरोप है कि उन्होंने कांड के आरोपी के पक्ष में आकर फर्जी व मनगढ़ंत गवाही दर्ज […]

अररिया : दुष्कर्म की घटना को लेकर महिला थाना अररिया में दर्ज एक कांड के पर्यवेक्षण पदाधिकारी द्वारा फर्जी गवाही के दम पर पूरे मामले को रफा-दफा कर दिये जाने का वाकिया सामने आया है. पर्यवेक्षण पदाधिकारी पर यह आरोप है कि उन्होंने कांड के आरोपी के पक्ष में आकर फर्जी व मनगढ़ंत गवाही दर्ज की.

कांड के गवाह अब भी मामले की पुष्टि करते हैं. गवाहों ने इसे लेकर अररिया व्यवहार न्यायालय में अपना शपथ पत्र दायर किया है. दुष्कर्म का यह मामला नरपतगंज प्रखंड अंतर्गत घुरना थाना क्षेत्र के पथराहा वार्ड संख्या 11 से जुड़ा है. घटना को लेकर महिला थाना में कांड संख्या 55/19 दर्ज है.
पीड़िता काल्पनिक नाम आशा देवी ने लिखित आवेदन देकर जिला पुलिस अधीक्षक को पूरे प्रकरण से अवगत कराते हुए अपने स्तर से जांच करते हुए उक्त कांड के आरोपी व दोषी पर्यवेक्षण पदाधिकारी पर उचित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित कराने की मांग की है. दिये गये आवेदन में कहा गया है कि कांड के अनुसंधान कर्ता पुलिस उपाधीक्षक अररिया बीते 17 जून को अनुसंधान के क्रम में घुरना बीएसएनएल टावर के पास पहुंचे.
जहां कांड के अभियुक्त सकील खान की पत्नी, चाचा मो वाहिद सहित अन्य परिजन के अलावा मुखिया पति मो सज्जाद अपने समर्थक के साथ मौजूद थे. बाद में पर्यवेक्षण पदाधिकारी के गांव आने की जानकारी उन्हें मिली. वहां पहुंचने पर मुझे आरोपी पक्ष के लोगों ने उसे दिगभ्रमित करने का प्रयास किया.
वहां मौजूद लोगों ने भी मेरे द्वारा दर्ज कांड को सही बताते हुए इसकी पुष्टि की. लेकिन कांड के अभियुक्त के प्रभाव में आकर मो फिरोज पिता मो उस्मान, महेंद्र पासवान पिता स्वर्गीय किशोरी पासवान, मो काशिम पिता स्वर्गीय लतेफुल को साक्षी बनाया गया. पर्यवेक्षण पदाधिकारी ने जमीन की लालच में प्राथमिकी दर्ज करने का मुझ पर झूठा आरोप लगाया.
जो व्यक्ति चिल्ला में गया था, उसे भी बना दिया गया गवाह : न्याय नहीं मिलता देख पीड़िता 15 जुलाई को एसपी कार्यालय पहुंची. इससे पहले की एसपी से वह मिल पाती पर्यवेक्षण पदाधिकारी उससे पहले एसपी के कार्यालय कक्ष में दाखिल हो गये.
एसपी के समक्ष पीड़िता के पक्ष रखने से पहले ही पर्यवेक्षण पदाधिकारी अभियुक्त के पक्ष पर जोर देते हुए इसे भूमि विवाद का मामला ठहराने लगे. इससे पहले की आवेदन एसपी पढ़ पाती पर्यवेक्षण पदाधिकारी आवेदन लेकर चलते बने और पीड़िता एसपी के समक्ष अपना पक्ष नहीं रख सकी.
आवेदन में यह भी कहा गया है कि पर्यवेक्षण के दौरान गवाह बनाये गये 55 वर्षीय मो फिरोज पिता मो उस्मान घटना से चार माह पहले नेपाल चिल्ला में गये थे. पर्यवेक्षण पदाधिकारी से उनकी भेंट भी नहीं हुई. दूसरे गवाह 71 वर्षीय मो काशिम पिता लतेफुल के बयान के आधार पर कांड को जांच में रखा गया.
जबकि दोनों ने पर्यवेक्षण पदाधिकारी के समक्ष किसी तरह का ब्यान नहीं देने को लेकर व्यवहार न्यायालय में शपथ पत्र जमा कराया है. इसी तरह कांड के तीसरे गवाह बनाये गये महेंद्र पासवान पिता किशोरी पासवान ने भी पर्यवेक्षण पदाधिकारी के समक्ष किसी तरह का गवाह नहीं देने का शपथ पत्र न्यायालय में जमा कराया है.
तीन गवाहों ने शपथ पत्र देकर पर्यवेक्षण टिपण्णी को बताया फर्जी
न्यायालय में दर्ज कराये गये शपथ पत्र में मो फिरोज ने कहा है कि दुष्कर्म अमूक तिथि को घटना हुई है. इसके अलावा उनके पास कोई खास जानकारी नहीं है. पर्यवेक्षण पदाधिकारी के गवाह कॉलम में मेरा नाम दर्शाया गया है. जो सरासर गलत है.
पर्यवेक्षण के दौरान वह नेपाल में चिल्ला में थे. उन्होंने पर्यवेक्षण पदाधिकारी के समक्ष कोई बयान नहीं दिया है. दूसरे गवाह महेंद्र पासवान ने शपथ में कहा है कि उन्होंने घटना के बारे में सुन रखा है. लेकिन मैंने कोई बयान नहीं दिया है. पर्यवेक्षण टिप्पणी में मेरा नाम दशार्या गया है.
जो पूरी तरह फर्जी है. तीसरे गवाह मो काशिम पिता मरहूम लतेफूल द्वारा न्यायालय में जमा कराये गये शपथ पत्र में भी महज घटना की जानकारी होने की बात कहते हुए पर्यवेक्षण टिप्पणी में दर्ज अपने नाम और बयान को पूरी तरह गलत और मनगढ़ंत ठहराया है. इधर इस संबंध में पूछे जाने पर डीएसपी रामेश्वर कुमार ने बताया कि उन्हें इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.

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