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लाइसेंस किसी का, दुकान चला रहा है कोई और, लाखों के राजस्व का नुकसान

दूसरे के नाम पर दुकान चला रहे दुकानदारों को नहीं हो पा रहा है ट्रेड लाइसेंस जारी अररिया : ट्रेड लाइसेंस के लिए जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ रहा है, वैसे-वैसे ही कई दफन राज खुलते जा रहे हैं. इस मामले को प्रभात खबर ने जब प्रमुखता से उठाया, तो नप प्रशासन हरकत में आया. […]

दूसरे के नाम पर दुकान चला रहे दुकानदारों को नहीं हो पा रहा है ट्रेड लाइसेंस जारी

अररिया : ट्रेड लाइसेंस के लिए जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ रहा है, वैसे-वैसे ही कई दफन राज खुलते जा रहे हैं. इस मामले को प्रभात खबर ने जब प्रमुखता से उठाया, तो नप प्रशासन हरकत में आया. नतीजा खबर छपने के बाद ही नप के कार्यपालक पदाधिकारी भवेश कुमार ने डीडीसी को पत्र लिखकर उनके अधीन मार्केटिंग कॉम्पलेक्स में स्थित लगभग 289 दुकानदारों के एकरारनामा की तिथि ही नहीं बल्कि जिनके नाम से एकरानामा हुआ है, उसका भी ब्योरा मांगा. नप द्वारा मांगे गये इन ब्योरों के बाद यह सच सामने आया कि ऐसे दुकानदार जो कि एकरारनामा कर अपने दुकानों को किसी ओर को भाड़ा पर देकर चला रहे हैं.
वैसे भाड़े पर चलने वाले दुकानदारों पर गाज गिरनी तय मानी जाने लगी. लेकिन इसके विरुद्ध न तो डीडीसी के स्तर पर न ही नगर परिषद के द्वारा ही कोई कार्रवाई की गयी. कुछ दिनों के ताम-झाम के बाद सबकुछ शांत हो गया. हालांकि नप के कार्यपालक पदाधिकारी ने इतना जरूर कहा कि दूसरे के नाम से आवंटित दुकान चला रहे दुकानदारों को नप द्वारा ट्रेड लाइसेंस नहीं दिया जायेगा. नप द्वारा जांच कर रहे टैक्स कलेक्टर ने बताया कि उन्होंने कार्यपालक पदाधिकारी को जिला पार्षद के द्वारा बनाये गये मार्केटिंग कॉम्पलेक्स में चल रहे लगभग 285 दुकानदारों की सूची सौंपी है, जो इनमें दुकान चला रहे हैं. यह बता पाना अब मुश्किल है कि इनमें से कौन-कौन जिला पार्षद द्वारा दुकान चलाने के लिए प्राधिकृत हैं. अब जबकि ईओ द्वारा संबंधित सूची की मांग डीडीसी से की गयी जिससे दूध का दूध, पानी का पानी सामने आ सकता था. लेकिन डीडीसी द्वारा इसकी सूची नप को उपलब्ध ही नहीं करायी गयी.
कहां कितनी हैं दुकानें
मिली जानकारी के अनुसार जिला पार्षद द्वारा बनाये गये मार्केटिंग कॉम्पलेक्स वार्ड संख्या 21 में 154, वार्ड संख्या 19 में 21, वार्ड संख्या 20 में 84, वार्ड संख्या 07 में 30 आदि मिला कर कुल 289 दुकान अवस्थित हैं, जबकि अभी हाइस्कूल परिसर में अवस्थित लगभग 100 दुकानों के वास्तविक जानकारी के लिए नोटिस भेजे जाने की प्रक्रिया भी पूरी की गयी. बावजूद न तो नगर परिषद को डीडीसी व राजकीय उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा ही कोई उत्तर मांगा गाया. अगर नगर परिषद को ससमय इन दुकान मालिकों के नामों का सही प्रतिलिपि मिल जाता तो दूध का दूध, पानी का पानी सामने आ जाता, बावजूद चार माह बीत जाने के बाद इस संबंध में नप के पत्र का कोई जवाब डीडीसी से लेकर राजकीय उच्च विद्यालय द्वारा नहीं दिया गया.
आवंटित दुकानदारों की सूची डीडीसी से मांगी थी
मेरे कार्यालय से 19 दिसंबर को एक पत्र डीडीसी को लिखा गया है, जिनसे उनके अधीन मार्केटिंग कॉम्पलेक्स में स्थित दुकानदारों का एकरारनामा के आधार पर नाम व तिथि की जानकारी मांगी गयी थी. बार-बार पत्र लिखे जाने के बाद भी इसका जवाब नहीं मिल पाया. इससे नप को लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है.
भवेश कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी

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