अररियाः जिला मुख्यालय में निर्मित अल्पसंख्यक छात्रवास एक तरफ जहां अल्पसंख्यक कल्याण को लेकर राज्य सरकार के दावे की पोल खोलता है़ वहीं राज्य सरकार के निर्देशों पर अमल करने को लेकर जिला प्रशासन की गंभीरता पर भी सवाल उठाता है़ एक करोड़ की लागत से तैयार अल्पसंख्यक छात्रवास निर्माण के लगभग 10 साल बाद भी चालू नहीं हो पाया है़ मिली जानकारी के अनुसार अल्पसंख्यक कल्याण योजना के तहत राजद के शासनकाल में जिला मुख्यालयों में अल्पसंख्यक छात्रवास बनाने का निर्णय लिया गया था़ .
उसी समय अररिया जिला मुख्यालय में भी छात्रवास का निर्माण शुरू किया गया था़ बताया जाता है कि लगभग 80 लाख की लागत से छात्रवास का निर्माण 2005 से पहले ही पूरा हो गया था़ उम्मीद की जा रही थी कि निर्माण के तुरंत बाद छात्रवास चालू हो जायेगा़ पर विभिन्न कारणों का हवाला देकर इसे चालू करने का काम टलता रहा़ इस दौरान कई बार तो ये तक दिलासा दी गयी कि मुख्यमंत्री या राज्य के कोई वरिष्ठ मंत्री छात्रवास का उदघाटन करेंग़े इसी के मद्देनजर छात्रवास को ठीक ठाक कराने में अतिरिक्त 10 से 20 लाख रुपये भी लगाये गय़े पर बात इससे कभी आगे नहीं बढ़ पायी़.
वहीं मिली जानकारी के अनुसार प्रशासनिक अधिकारी छात्रवास की जमीन के मालिकाना हक को लेकर दायर एक मुकदमे को ढाल बना कर इस समस्या के हल को टालने की कोशिश कर रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट में दायर दिवानी मुकदमा की जानकारी सीएम नीतीश कुमार को कुछ साल पहले उनके अररिया भ्रमण के दौरान भी दी गयी थी़ बताया जाता है तब उन्होंने मुकदमे की पैरवी के लिए उन्होंने नया वकील कर जल्द से जल्द फैसला करवाने की हिदायत तत्कालीन डीएम व डीडीसी को दी थी़ पर अधिकारियों ने सीएम के निर्देश को कभी गंभीरता से नहीं लिया़.
अब सूरते हाल ये है कि 10 वर्ष बाद भी स्थिति जस की तस है़ दूसरी तरफ छात्रवास का भवन जर्जर होता जा रहा है़ छात्रवास के सामने कई अस्थाई होटल व गैरेज खुल गये हैं़ साथ ही परिसर में ट्रैक्टरों का जमावड़ा लगा रहता है़. बताया जाता है कि जिले में कुछ साल पहले गठित माइनारिटी डेवलपमेंट फोरम के सदस्य छात्रवास खुलवाने को लेकर अधिकारियों से मिल चुके हैं. लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है़.