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बिहार : खुद किया अपराध, फिर गढ़ी अपहरण की कहानी, नाम बदलकर 20 वर्ष पहले बसा लिया घर

अररिया : एक व्यक्ति ने पहले खुद अपराध किया. पंचायती में अपराध भी कबूला. फिर परिजनों के साथ मिलकर खुद अपहरण की कहानी गढ़ डाली. 20 साल तक नाम बदल घर भी बसाया. इधर अपहरण का मामला दर्ज होने के बाद सजा के बिंदु पर सुनवाई जारी थी, लेकिन उसकी झूठ पकड़ी गयी और वह […]

अररिया : एक व्यक्ति ने पहले खुद अपराध किया. पंचायती में अपराध भी कबूला. फिर परिजनों के साथ मिलकर खुद अपहरण की कहानी गढ़ डाली. 20 साल तक नाम बदल घर भी बसाया.
इधर अपहरण का मामला दर्ज होने के बाद सजा के बिंदु पर सुनवाई जारी थी, लेकिन उसकी झूठ पकड़ी गयी और वह तेलंगाना से पकड़ा गया. अब पुलिस के साथ ही झूठे केस में फंसे लोग राहत की सांस ले रहे हैं. यह मामला है अररिया जिले का. इस गुत्थी को 20 साल बाद पुलिस ने वैज्ञानिक तरीके से अनुसंधान कर सुलझा लिया है.
20 वर्षों से फरार कथित अपहृत शोएब को पुलिस ने तेलगंना के महबूबनगर से गिरफ्तार किया गया.महबूबनगर में नाम बदल कर वह रह रहा था. शोएब ने वहां शादी कर रखी है. वह चार बच्चों का पिता भी है. शोएब के पिता ने पंचों के खिलाफ अपहरण को ले नामजद प्राथमिकी दर्ज कर रखा था. इसमें अपने पुत्र के अपहरण का आरोप लगाया था.
क्या है मामला
वर्ष 1997 में मुड़बल्ला निवासी शोएब को लोगों ने एक युवती के साथ अवैध संबंध बनाने व गर्भवती होने के बाद उसका गर्भपात कराने को ले दोषी पाया था. गांव में इस मामले को ले पंचायत बैठी. पंचायत में शोएब को उस लड़की से निकाह करने का फैसला दिया. निकाह भी हुआ.
कुछ दिनों बाद शोएब के पिता ने एक साजिश के तहत शोएब को घर से भगा दिया और पंचों के विरुद्ध अपहरण का मामला दर्ज कर दिया. अररिया थाने में कांड संख्या 316/96 दर्ज की गयी. इसमें वर्तमान मुखिया पति हड़ियाबारा
क्या है मामला…
पंचायत मो वारिस, मो महबूब, सलीम, नुरूल होदा, साजिद, फारुख को नामजद करते हुए अपहरण का आरोपित बना दिया. समयाक्रम में यह बात पुलिस अनुसंधान में सामने आया कि शोएब को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
पुलिस दिल्ली गयी. तब तक वह जमानत पर निकल चुका था. पुलिस ने अपरहण के मामले को असत्य करार देते न्यायालय में अंतिम प्रतिवेदन समर्पित किया. साथ ही सूचक शोएब के पिता मो कलीमउद्दीन पर धारा 182 211 के तहत कार्रवाई की अनुशंसा की. इस दौरान कलीमउद्दीन की मौत हो गयी. शोएब के परिजनों ने कोर्ट से गुहार लगायी. कोर्ट ने मामले में संज्ञान लिया. शोएब के परिजनों ने न्यायालय में गवाही दी. मामला सजा के बिंदु पर था. इधर नामजद अभियुक्त परेशान रहने लगे. इस बीच मोबाइल के सहारे पुलिस शोएब के करीब पहुंच गयी.
मामले के सत्यापन के लिए एसडीपीओ केडी सिंह ने एससी-एसटी थानाध्यक्ष सीके टुडू व आरएस ओपी के एसआइ परवेज आलम को तेलांगना के महबूबनगर भेजा. जहां शोएब नाम बदल कर रह रहा था. तेलागंना के महबूबनगर में मो शोएब अपना नाम बदल कर जमाल खान बन गया था. पिता के नाम भी बदल कर मो पाशा रख लिया था. जमीन खरीद कर मकान बनाया. फिर शादी की. इन दिनों वह चार बच्चों का पिता है. वहां बतौर बिजली मिस्त्री काम कर रह रहा था.
हिरासत में भेजा गया
शोएब नाम बदल कर तेलांगना में रह रहा था. इसके विरुद्ध न्यायालय से स्थायी वारंट निर्गत था. शोएब के पिता जो अब जिंदा नहीं है. उसने अपहरण की नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी थी. पीड़िता बीवी कलीला ने दहेज उत्पीड़न का वाद न्यायालय में दायर किया था.
गिरफ्तार शोएब को न्यायालय के आदेश पर न्यायिक हिरासत में भेजा जा रहा है. अपहरण का मामला झूठा निकला. अब न्यायालय से शायद कथित नामजद अभियुक्तों को लाभ मिल जायेगा. पुलिस ने जो अपहरण के मामले को असत्य करार देते हुए अंतिम प्रतिवेदन दिया था. वह सच साबित हुआ.
कुमार देवेंद्र सिंह, एसडीपीओ
पीड़िता ने कर रखा था दहेज उत्पीड़न का मामला दायर
इधर निकाह के बाद फरार हुआ शोएब के विरुद्ध पीड़िता ने न्यायालय में दहेज उत्पीड़न को ले 1314 (सी) 97 दायर कर रखा था. इस मामले में अन्य अभियुक्त जमानत पर था. जबकि शोएब फरार था. उसके विरुद्ध न्यायालय से स्थायी वारंट निर्गत था. उसे पकड़ने के लिए पुलिस भी परेशान थी. इस बीच शोएब गिरफ्तार कर लिया गया.

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