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हर रोज तीन नवजातों की होती है मौत

अररिया : जिले में रोजाना लगभग तीन नवजातों की मौत हो रही है. विगत सात माह के आंकड़ों पर गौर करें, तो सात माह के दौरान 617 नवजातों की मौत हो गयी है, जबकि इनमें 594 की मौत जन्म के तुरंत बाद हुई है या फिर मरा हुआ जन्म लिया. जिले में स्वास्थ्य विभाग नवजात […]

अररिया : जिले में रोजाना लगभग तीन नवजातों की मौत हो रही है. विगत सात माह के आंकड़ों पर गौर करें, तो सात माह के दौरान 617 नवजातों की मौत हो गयी है, जबकि इनमें 594 की मौत जन्म के तुरंत बाद हुई है या फिर मरा हुआ जन्म लिया. जिले में स्वास्थ्य विभाग नवजात की मौत की संख्या को कम करने के लिए कई योजनाएं चला रही है.

फिर भी जिले में नवजात की मौत में कमी नहीं हो रही है. इस आंकड़ा को देखा जाये, तो जिले में सब से अधिक मौत अररिया ब्लॉक में 192 नवजात की मौत प्रसव के बाद हुई है. चिकित्सकों के अनुसार, इसके कई कारण माने जा रहे हैं. इसके लिए गर्भवती महिला को अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की देखभाल करना उस पर निर्भर है.

गर्भवती महिला खुद की समुचित देखभाल व ससमय चिकित्सीय सलाह नहीं लेने के कारण गर्भ में पल रहा शिशु कुपोषण का शिकार हो जाता है. इसके कारण गर्भस्थ शिशु का पूरा विकास नहीं हो पाता है. इससे न सिर्फ नवजात, बल्कि माता की सेहत पर खतरा बना रहता है.

प्रसव के तुरंत बाद 594 नवजातों की हुई मौत
विगत अप्रैल से अक्तूबर तक हुए नवजात की मौत का आंकड़ा
अररिया में 192, भरगामा में 21, फारबिसगंज 103, जोकीहाट 35, कुर्साकांटा 26,नरपतगंज 25,पलासी 38,रानीगंज 52, सिकटी 17, कुल-594 नवजात की मौत हुई है, जबकि एक दिन से चार सप्ताह तक की आयु वाले 85 बच्चों की मौत विगत सात माह के दौरान हुई है. एक माह से 12 महीना के बीच की आयु वाले 23 नवजात की मौत विगत सात महीने में हुई है.
गर्भवती महिलाओं को लेना चाहिए समय पर चिकित्सीय सलाह
चिकित्सक ने बताया कि किसी भी महिला को गर्भधारण करने के समय से पूरी देख-भाल जरूरी है. इसके लिए गर्व धारण करने वाली महिला को नियमित चिकित्सक सलाह लेना चाहिए, धूम्रपान नहीं करना चाहिए, मोटापा कम करण चाहिए, पौष्टिक आहार लेना चाहिए, गलत दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. संक्रमण से बचाव करना चाहिए.
नवजात की मौत हो सकता है यह मुख्य कारण
सदर अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक डॉ कणिष्क कुणाल ने बताया कि प्रसव के बाद नवजात की होने वाली मौत के कई कारण हो सकते हैं. इनमें-
गर्भवती महिलाओं का ससमय देखभाल नहीं होना
गर्भवती महिलाओं में इंफेक्शन होना
प्री-टर्म प्रसव
प्रसव के पहले और प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्राव होना
गर्भवती महिलाओं का हाइ ब्लड प्रेशर व ब्लड शूगर का शिकार होना
गर्भवती महिलाओं की उम्र 18 से कम या 35 से अधिक होना
जुड़वां बच्चा होना
धूम्रपान व शराब का सेवन दवा का गलत इस्तेमाल करना मुख्य कारण हो सकता है. इसके अलावा मोटापा होना, एक्लेम्पसिया और प्री एक्लेम्पसिया की बीमारी होने से भी प्रसव के बाद नवजात की मौत हो सकती है.
कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक
सदर अस्पताल के प्रभारी डीएस डॉ जेएन माथुर ने बताया कि गर्भवती महिलाओं की जांच लिए अलग वार्ड बनाया गया है. गर्भवती महिला गर्भधारण करने के बाद उसे नि:शुल्क दवा दी जाती है. सदर अस्पताल में गर्भवती महिला को आयरन की दवा व अन्य दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.
मौत को कम करने के लिए चलाया जा रहे हैं कई कार्यक्रम नवजात की मौत की संख्या को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग कई कार्यक्रम चला रहा है. इसके लिए महिला को गर्भधारण करने से लेकर प्रसव हो जाने तक सामाजिक तौर पर भी जुड़ कर जागरूक किया जा रहा है. इसके साथ सदर अस्पताल में प्रसव के जो नवजात कमजोर रहता है उसके लिए आइसीयू वार्ड अलग बनाया गया है. इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में नि:शुल्क दवा दी जाती है.
डॉ नवल किशोर ओझा, सीएस

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