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लद गये चूड़ा-मूढ़ी के दिन, पिज्जा-बर्गर लोगों की पहली पसंद

पास्ता व नूडल्स की सप्लाई अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी खूब होने लगी है. जिले में प्रतिवर्ष 20 करोड़ से अधिक के बिस्कुट बिक जाते हैं. अररिया : कारण चाहे आर्थिक संपन्नता हो या फिर देश के बड़े-बड़े शहरों तक आसान पहुंच, जिले वासियों के फूड हैबिट में धीरे-धीरे ही सही बदलाव जरूर आ रहा […]

पास्ता व नूडल्स की सप्लाई अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी खूब होने लगी है. जिले में प्रतिवर्ष 20 करोड़ से अधिक के बिस्कुट बिक जाते हैं.

अररिया : कारण चाहे आर्थिक संपन्नता हो या फिर देश के बड़े-बड़े शहरों तक आसान पहुंच, जिले वासियों के फूड हैबिट में धीरे-धीरे ही सही बदलाव जरूर आ रहा है. चूड़ा-मूढ़ी के दिन लद रहे हैं.
उनकी जगह अब बहुत सारे घरों में नाश्ते के प्लेट में ब्रेड बटर व आमलेट दिखने लगा है. यही नहीं अब स्थानीय कुछ होटलों में पिज्जा जैसे इटेलियन व्यंजन भी उपलब्ध हैं. मकरोनी व पास्ता तो तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. वहीं तरह-तरह के बिस्किट की बिक्री जिले में रिकॉर्ड बना रही है. हाल फिलहाल तक जिले वासियों के खान-पान में चूड़ा-मूढ़ी एक तयशुदा आइटम हुआ करता था. उक्त सिलसिला अब भी जोरों पर है. यही नहीं बल्कि लड़कियों की शादी में बेटी को विदा करते समय अन्य सामग्रियों के साथ-साथ चूड़ा व मूड़ी का सौगात देने की परंपरा बनी हुई है.
पर धीरे-धीरे लोगों के खान-पान को लेकर पसंद व प्राथमिकता बदलती जा रही है. अब बहुत सारे लोग ब्रेड, बटर व आमलेट की ओर खींच रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार बहुत सारे लोग आस पास के राज्यों व शहरों में स्थित मॉल व सुपर मार्केट तक ऐसी खाद्य सामग्रियों की खरीदारी के लिए भी जाने लगे हैं.
खान-पान को लेकर बदले रुझान व टेस्ट का अंदाजा ऐसी सामग्रियों की बढ़ रही बिक्री से लगाया जा सकता है. व्यापारी बताते हैं कि विभिन्न ब्रांडों के बटर की बिक्री में पिछले कई सालों में कई गुना इजाफा हो चुका है. एक व्यापारी ने बताया कि ब्रेड के साथ इस्तेमाल होने वाले चीज क्यूब को कोई पूछने वाला नहीं था. उन्होंने मंगवाया था. पर बहुत कम बिका. ये कई साल पहले की बात है. पर अब लोग मांग करने लगे हैं.
नूडल्स, मकरोनी व पास्ता की मांग के बाबत एक व्यापारी ने बताया कि पास्ता व नूडल्स तो अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी खूब सप्लाई हो रही है. नेपाल निर्मित कई नूडल्स की मांग जितनी हो गयी है उतनी सप्लाई नहीं हो पा रही है.
नूडल्स व पास्ता से शुरू होकर बात अब पिज्जा व बर्गर तक पहुंच गयी है. लोग मांग करने लगे तो कुछ रेस्टोरेंटों ने सप्लाई भी शुरू कर दी है. हाल ही में खुले फास्टफूड के होटल मालिक ने कहा कि प्रति दिन चार पांच ऑर्डर तो पिज्जा के आ ही जाते हैं. घंटे डेढ़ घंटे में पिज्जा की सप्लाई कर दी जाती है.
खान-पान में बदलाव से जिले वासियों के अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत होने का एहसास भी होता है. पिछले कुछ सालों में शहर से लेकर गांव तक फलों की ब्रिकी बढ़ी है.
लोग कहते हैं कि कुछ साल पहले तक आम तौर पर लोग बीमारियों में ही फलों का सेवन करते थे. पर अब लोग धीरे-धीरे मौसमी फलों को अपने भोजन का एक हिस्सा बनाने लगे हैं. बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में तरह-तरह के बिस्कुट की बिक्री भी हैरत में डालने वाली है. बिस्कुट विक्रेताओं की मानें तो जिले में प्रति वर्ष 20 करोड़ से अधिक के बिस्कुट बिक जाते हैं. केवल नामी गिरामी ब्रांड ही नहीं, बल्कि आसपास के शहरों व पड़ोसी राज्य बंगाल के बेकरियों में बने करोड़ों के ब्रेड व बिस्कुट भी जिले में बिक जाते हैं.
बदल रहा जिला वासियों का फूड हैबिट
नाश्ते के प्लेट में दिख रहा ब्रेड, बटर, आमलेट
खाने में नियमित रूप से हो रहा फलों का इस्तेमाल भी
विभिन्न ब्रांडों के बटर की बिक्री में कई गुना हुआ इजाफा

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