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जांच रिपोर्ट के बाद हुआ प्रकृति निर्धारण घोटाले का पर्दाफाश
जांच टीम ने 53 प्रतिशत खेसरा को पाया कृषि योग्य भूमि अधिसूचना में 88 प्रतिशत खेसरा को बताया गया था आवासीय अररिया : हालांकि नरपतगंज प्रखंड में सीमा सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि के प्रकृति निर्धारण में हुए कथित घोटाला सामने आये कई माह बीत चुके हैं. दावा आपत्ति के बाद छह सदस्यीय कमेटी […]
जांच टीम ने 53 प्रतिशत खेसरा को पाया कृषि योग्य भूमि
अधिसूचना में 88 प्रतिशत खेसरा को बताया गया था आवासीय
अररिया : हालांकि नरपतगंज प्रखंड में सीमा सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि के प्रकृति निर्धारण में हुए कथित घोटाला सामने आये कई माह बीत चुके हैं. दावा आपत्ति के बाद छह सदस्यीय कमेटी जांच कर प्रकृति निर्धारण को अंतिम रूप दे चुकी है. आगे की कुछ कार्रवाई के लिए सरकारी मार्ग दर्शन की प्रतीक्षा प्रशासन कर रहा है.
पर जिस प्रकार से बेखौफ हो कर घोटाला किया गया वो हैरत में डालने वाला जरूर है. छह सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद जिला भूअर्जन कार्यालय में तैयार रिपोर्ट की मानें तो प्रकृति निर्धारण को लेकर पूर्व में की गयी अधिसूचना में बड़े पैमाने पर धांधली की गयी थी. बड़ी संख्या में कृषि भूमि को आवासीय बता कर करोड़ों का अवैध भुगतान किया गया.
नरपतगंज में हुआ था 1568 खेसरा का अधिग्रहण. रिपोर्ट के मुताबिक नरपतगंज के 16 मौजा में कुल 1568 खेसरा से जमीन का अधिग्रहण हुआ था. अधिसूचना के मुाबिक अधिसूचित खेसरा में से 1374 खसरा आवासीय श्रेणी का था. केवल 198 खेसरा ही कृषि भूमि था.
पर जांच के बाद पूरा मामला ही उलट गया. जांच के क्रम में अधिकारियों ने केवल 835 खेसरा को आवासीय पाया. बाकी 729 खेसरा को कृषि भूमि पाया गया. रिपोर्ट के अनुसार प्रकृति निर्धारण में सबसे अधिक हेरा फेरी बेला सहित कुछ अन्य मौजा में मिली. अधिसूचना में बेला मौजसा के 108 खेसरा को आवासीय दर्शाया गया था. जबकि जांच के क्रम में केवल 23 खेसरा को आवासीय पाया गया. बाकी कृषि भूमि मिले. भैरोगंज मौजा का मामला भी कुछ ऐसा ही निकला. 100 के बजाये केवल 13 खेसरा ही आवासीय मिला. इसी प्रकार गुवारपुच्छरी मौजा का सभी 16 खेसरा कृषि पाया गया. जबकि अधिसूचना में इन सबो को आवासीय बताया गया था. वहीं पोखरिया में एक भी खेसरा आवासीय नहीं मिला. जांच टीम ने सभी 50 खेसरा को कृषि भृमि पाया.
घुरना मौजा में प्रकृति निर्धारण में आधा गलत
इसी प्रकार घुरना मौजा में भी जांच टीम ने पूर्व में निर्धारित लगभग 50 प्रतिशत प्रकृति को गलत पाया. वहीं बताया जाता है कि कुछ खेसरा की जमीनों के प्रकृति निर्धारण को लेकर अब भी पेंच फंसा हुआ है. कुछ खेसरा की जमीन आवासीय भूमि के 200 मीटर के दायरे में आ रही है.
निबंधन कार्यालय के नियमों के मुताबिक ऐसी जमीन आवासीय श्रेणी में आती है. बताया जाता है कि ऐसी प्रकृति वाली जमीनों की रिजस्ट्री में आवासीय के हिसाब से शुल्क लिया जाता है. पर जिला प्रशासन इस मामले में खुद कोई निर्णय लेनेसे हिचक रहा है. मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन ने राज्य सरकार से मार्ग दर्शन मांगा है. सरकारी स्तर से मार्ग दर्शन के आधार पर ही अंतिम निर्णय लेकर आगे की कार्रवाई की जायेगी. पूछे जाने पर जिला भूअर्जन पदाधिकारी नीरज नारायण पांडे ने बताया कि मार्ग दर्शन की प्रतीक्षा हो रही है. बाकी रिपोर्ट भी उच्च स्तरीय अधिकारी को भेजी जा चुकी है.
जांच से हुआ खुलासा
कुल मौजा 16, कुल अधिसूचित खेसरा- 1568, पूर्व में कुल आवासीय- 1374
जांच के बाद- जांचा गया खेसरा- 1568, आवासीय खेसरा- 835, कृषि खेसरा- 729
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