स्वास्थ्य विभाग उदासीन . जिला में डेंगू व मलेरिया मरीजों का इलाज भगवान भरोसे
Advertisement
मलेरिया की दवा नहीं, डेंगू वार्ड का पता नहीं
स्वास्थ्य विभाग उदासीन . जिला में डेंगू व मलेरिया मरीजों का इलाज भगवान भरोसे डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारी से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग उदासीन है. सदर अस्पताल में डेंगू का इलाज तो दूर जांच का भी इंतजाम नहीं है. डेंगू वार्ड का तो कोई पता ही नहीं है, वहीं मलेरिया से बचाव के […]
डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारी से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग उदासीन है. सदर अस्पताल में डेंगू का इलाज तो दूर जांच का भी इंतजाम नहीं है. डेंगू वार्ड का तो कोई पता ही नहीं है, वहीं मलेरिया से बचाव के लिए रोगियों को अस्पताल के बारह से दवा लेना पड़ता है.
अररिया : जिले में बाढ़ का पानी सूखने के बाद स्वास्थ्य संबंधी लोगों की चिंता कई गुणा बढ़ गयी है. ग्रामीण व शहरी इलाके के अमूमन हर घर में सर्दी, खांसी व बुखार के मरीज मिल जाते हैं. रिहायशी इलाकों में कई दिनों तक बाढ़ का पानी जमे रहने से मलेरिया, डेंगू सहित मच्छर जल जनित अन्य रोगों के शिकार मरीजों की संख्या में भी तेजी आयी है.
इन रोगों के फैलने की आशंका के बावजूद रोग के फैलाव व बचाव की कोई खास तैयारी जिले में फिलहाल नहीं दिखती. वैसे तो जिले में डेंगू का कोई मामला अब तक सामने नहीं आया है. अगर कोई इससे पीड़ित भी होता है तो उसके सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी भगवान भरोसे छोड़ दी गयी है. इधर ग्रामीण व शहरी इलाकों में मलेरिया अपना पांव पसारने लगा है. सदर अस्पताल में हर दिन करीब एक दर्जन मरीज मलेरिया या इससे मिलती जुलते समस्या का इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.
डेंगू के इलाज का कोई इंतजाम नहीं : सदर अस्पताल में डेंगू का इलाज तो दूर जांच का भी इंतजाम नहीं है. सदर अस्पताल में अलग से बना डेंगू वार्ड का भी कोई अता पता नहीं. मलेरिया की जांच का इंतजाम सदर अस्पताल में जरूर मिलता है. लेकिन मलेरिया से बचाव की कुछ दवाएं ही रोगियों को अस्पताल उपलब्ध करा पाता है. ऐसे में लोग बाहर की दुकानों से दवा खरीदने के लिए मजबूर हैं. बाढ़ के बाद ग्रामीण इलाकों में व्यापक स्तर पर रोग प्रतिरोधी दवाओं के छिड़काव का अभाव दिखता है. बाढ़ के बाद कालाजार दवाओं के छिड़काव की प्रक्रिया पर भी विराम लग गया है.
समान लक्षण के दोनों रोगों की पहचान मुश्किल
मलेरिया व डेंगू दोनों ही रोगों के लक्षण में कई समानता पायी जाती है. दोनों ही रोग मच्छर के काटने से फैलते हैं. दोनों ही रोग के मरीजों को तेज ज्वर और शरीर में दर्द की शिकायत होती है. इसके बाद कुछ खास लक्षणों पर गौर कर शुरूआती दिनों में रोग की पहचान को आसान बनाया जा सकता है. डीएस डॅ जेएन प्रसाद के मुताबिक बदन में दर्द, कमजोरी, गला सूखना व नाक से पानी आना मलेरिया के सामान्य लक्षण होते हैं. मलेरिया के मरीज को एनेमिया की शिकायत होती है.
इसमें बुखार कंपकंपी के साथ आता है. बुखार उतरने के बाद मरीज को काफी पसीना आने लगता है. इसके ठीक उलट डेंगू की शुरुआत अचानक तेज बुखार से होती है. इसके साथ शरीर में तेज दर्द, मांसपेशियों में ऐठन व असहनीय पीड़ा भी रोग के सामान्य लक्षण हैं. रोगी का पेट खराब होना, कमजोरी, दस्त, भूख नहीं लगना व लगातार चक्कर आना भी रोग के लक्षण में शामिल हैं. सबसे खास यह कि इसमें रोगी के शरीर में लाल चकते उग आते हैं. जो पहले सीने व इसके बाद धीरे धीरे रोगी के पूरे शरीर में फैल जाता है.
बचाव के लिए साधारण बातों का रखें ख्याल
डेंगू व मलेरिया जैसे रोगों का प्रकोप सितंबर व अक्तूबर माह में ज्यादा होता है विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो हम अपने खान-पान व रहन सहन में मामूली चीजों पर ध्यान रख कर रोग के फैलाव को रोक सकते हैं. चिकित्सकों की मानें खान-पान में विटामीन सी की मात्रा बढ़ाना रोग से बचाव में फायदेमंद साबित हो सकता है. सोने के समय निश्चित रूप से मच्छरदानी के उपयोग के अलावा आसपास में बेवजह पानी के जमाव नहीं होने देना रोग से बचाव के लिए जरूरी है. घर की छत, कुलर, गमले की नियमित सफाई व पानी को बदलना भी रोग से बचाव में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement