पटना: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि अगर जरूरी हुआ, तो कांग्रेस नीतीश सरकार से समर्थन वापस ले सकती है. अगर सरकार विश्वास मत प्रस्ताव लाये, तो हम समर्थन वापसी पर निर्णय ले लेंगे. पार्टी ने समान विचारधारावाले दलों के साथ लोकसभा चुनाव में गंठबंधन किया है. गुरुवार को वह सदाकत आश्रम में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि कोई जरूरी नहीं कि नीतीश सरकार को समर्थन दिया गया, तो वह आगे भी बरकरार रहे. उस वक्त सांप्रदायिक ताकतों के मंसूबे को ध्वस्त करने के लिए नीतीश सरकार को समर्थन दिया गया था. कांग्रेस विचारधारा से कभी समझौता नहीं कर सकती है. इसी सिद्धांत के मद्देनजर प्रदेश में राजद और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ सीटों पर तालमेल हुआ है. कांग्रेसजन गंठबंधन प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे. गंठबंधन को लेकर कुछ सीटें दूसरे सहयोगी दल के खाते में चली गयी हैं. इससे निराश होने की जरूरत नहीं है. वह खुद जमुई संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन नेतृत्व ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया, तो नहीं लड़ेंगे. विचारधारा से बड़ा व्यक्तित्व नहीं होता. पार्टी में कहीं भी टिकट बंटवारे को लेकर विवाद नहीं है.
नालंदा व वाल्मीकिनगर सीटों के लिए प्रत्याशी की घोषणा जल्द होगी. विधानसभा के लिए साहेबपुर कमाल व महाराजगंज सीट पर उपचुनाव होना है. इस पर अभी कुछ तय नहीं हुआ है. जल्द ही इस पर निर्णय ले लिया जायेगा. श्री चौधरी ने बताया कि होली के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी व प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह प्रथम चरण में होने वाले मतदान वाले क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए आयेंगे. प्रथम चरण में कांग्रेस सिर्फ औरंगाबाद सीट से चुनाव लड़ रही है, जहां पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार प्रत्याशी हैं. 15 मार्च को वह नामांकन का परचा दाखिल करेंगे. इस मौके पर कांग्रेस के तमाम बड़े नेता वहां मौजूद रहेंगे.
विशेष दर्जे पर बरगला रहे नीतीश
विशेष राज्य के दज्रे पर जनता को भड़काया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनावी लाभ लेने के जनता को बरगला रहे हैं. कांग्रेस पर इमोशनली अटैक किया जा रहा है, पर जनता भाजपा व जदयू के झांसे में नहीं आनेवाली है. गुरुवार को सदाकत आश्रम में संवाददाताओं से बातचीत में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि जब बिहार का विभाजन हो रहा था, उस वक्त नीतीश कुमार एनडीए सरकार में मंत्री थे, लेकिन उस वक्त बिहार को हक दिलाने के बजाय वह मित्र धर्म का पालन कर रहे थे. कांग्रेस अगर-मगर और जनता से झूठा वादा नहीं करती है. यूपीए 3 की सरकार बनेगी, तो विशेष राज्य के दज्रे व विशेष केंद्रीय सहायता पर निर्णय लेगी. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार कानून व्यवस्था, नक्सलवाद व सांप्रदायिक हिंसक वारदातों से निबटने में विफल है. बिहार की स्वास्थ्य सेवा बदतर स्थिति में है. शिशु मृत्यु दर बीमारू राज्य की तुलना में बिहार में सबसे ज्यादा है. शिक्षा के क्षेत्र में जितनी राशि दी गयी है उसे खर्च करने में सरकार विफल रही है.
शिक्षा के लिए 11491 करोड़ रुपये पिछले आठ वर्ष में उपलब्ध कराये गये हैं, लेकिन मात्र 3 प्रतिशत ही उपयोग हो पाया है. कृषि क्षेत्र की बात करें तो बिहार का कृषि विकास दर राष्ट्रीय औसत 3.3 प्रतिशत की तुलना में महज 1.2 प्रतिशत है जो पूरे भारत में न्यूनतम है. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पिछले 10 साल में केंद्र की यूपीए सरकार ने बिहार को विकास मद में 1.42 लाख हजार करोड़ रुपया रुपये आवंटित किया है, जबकि एनडीए की सरकार ने मात्र 7793 करोड़ रुपये दिये गये गये थे. राशि खर्च करने की बात करें तो इसमें भी सरकार विफल रही है. हालात यह है कि 2300 करोड़ रुपये खर्च न कर सरकार के खजाने में जमा करा दिये गये. इस मौके पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष चंदन बागची समेत कई अन्य नेता मौजूद थे.