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बगीचे में हुई परीक्षार्थियों की परीक्षा
संवाददाता, छपरा (सदर) बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की कारगुजारियों ने शांतिपूर्ण व कदाचारमुक्त वातावरण में इंटरमीडिएट की परीक्षा आयोजित करने के प्रशासन के सारे प्रयासों पर पानी फेर दिया. शनिवार को शहर के बाबू भुनेश्वर प्रसाद डिग्री कॉलेज में छात्रों की क्षमता से डेढ़ से दोगुनी संख्या के बीच बारिश ने 600 परीक्षार्थियों की परेशानी […]
संवाददाता, छपरा (सदर)
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की कारगुजारियों ने शांतिपूर्ण व कदाचारमुक्त वातावरण में इंटरमीडिएट की परीक्षा आयोजित करने के प्रशासन के सारे प्रयासों पर पानी फेर दिया. शनिवार को शहर के बाबू भुनेश्वर प्रसाद डिग्री कॉलेज में छात्रों की क्षमता से डेढ़ से दोगुनी संख्या के बीच बारिश ने 600 परीक्षार्थियों की परेशानी को बढ़ा दिया. बारिश लगातार होती रही, ऐसी स्थिति में परीक्षार्थियों को एक तो कदाचार से रोकने की केंद्र प्रशासन की नैतिक हिम्मत टूटती दिखी, वहीं कई छात्रों को प्रश्नों का उत्तर लिखने में भी भारी परेशानी हुई.
भोज के रूप में परीक्षार्थी शामिल हुए परीक्षा में : शहर के बाबू भुनेश्वर दास डिग्री कॉलेज केंद्र पर 28 सौ परीक्षार्थियों का केंद्र बोर्ड द्वारा निर्धारित कर दिया गया है. शनिवार को इंगलिश लैंगविज लिटरेचर विषय में इस केंद्र पर परीक्षार्थियों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि प्रथम पाली में छह सौ परीक्षार्थियों को बगीचे में बराती को भोज खाने वाले अतिथियों के रूप में बैठाया गया. यही नहीं, परीक्षा शुरू होने के आधे घंटे बाद बारिश शुरू हो गयी. फलत: अपनी कॉपी व प्रश्नपत्र बचाने के लिए परीक्षार्थियों को अपनी-अपनी कुरसी लेकर बगल में निर्माणाधीन मकान में जाकर येन-केन प्रकारेण परीक्षा देने की मजबूरी दिखी. इसी दौरान डीइओ मधुसूदन पासवान ने भी पहुंच कर केंद्राधीक्षक को कमरे में ही परीक्षा लेने का निर्देश दिया. यही नहीं, पीएन सिंह डिग्री कॉलेज में भी डीइओ ने केंद्राधीक्षक को निर्देशित किया कि परीक्षा टेंट के बदले कमरे में ही लिया जाये.
क्षमता से ज्यादा परीक्षार्थियों से हुई परेशानी : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा मनमाने ढंग से बाबू भुनेश्वर डिग्री कॉलेज में क्षमता से दोगुना परीक्षार्थी को देना कुव्यवस्था का कारण बना. हालांकि, शहर में शनिवार को कई केंद्रों पर काफी कम परीक्षार्थी शामिल थे. जैसे जिला स्कूल में दोनों सिटिंग में तीन तथा पांच कमरों में ही महज परीक्षा हो पायी. कई कमरे व बरामदे खाली रह गये. परीक्षार्थियों में चर्चा थी कि बोर्ड द्वारा पूर्व में यह ध्यान दिया गया होता, तो ऐसी नौबत नहीं आती.
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