राज्यसभा चुनाव: राजद ने तरीके से कांग्रेस को पाले में किया, हार्ड बार्गेनर निकले लालू
पटना : आगामी 7 फरवरी को होने वाले राज्यसभा के द्वैवार्षिक चुनाव के लिए बिहार में सत्ताधारी पार्टी जदयू के उम्मीदवार रामनाथ ठाकुर, हरिबंश और कहकशां परवीन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में नामांकन दाखिल किया. अपने समर्थकों और पार्टी नेताओं के साथ आज बिहार विधानसभा पहुंचकर सदन के प्रभारी सचिव फूल झा को जदयू के इन तीनों उम्मीदवारों ने अपना-अपना नामांकन पत्र सौंपा.
जदयू के इन उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश ने कहा कि जदयू के इन उम्मीदवारों ने अपना-अपना नामजदगी का पर्चा दाखिल किया है और इनकी जीत सुनिश्चित है. बिहार से जदयू के राज्यसभा सदस्य शिवानंद तिवारी, एनके सिंह एवं साबिर अली का कार्यकाल आगामी नौ अप्रैल को खत्म हो रहा है. इनकी जगह तीन नए चेहरों समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर, एक पत्रकार हरिवंश और कहकशां परवीन को नए उम्मीदवार के तौर पर जदयू ने नामित किया था. बिहार विधानसभा में जदयू के 118 विधायकों की संख्या के आधार पर इन उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है.
भाजपा की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर और आरके सिन्हा ने कल अपना-अपना नामांकन दाखिल किया था. बिहार विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या 91 होने के कारण उसके दोनों उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है. इन सीटों के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 28 जनवरी, नामांकन पत्रों की जांच तिथि 29 जनवरी, नाम वापस लेने की तिथि 31 जनवरी तथा चुनाव 7 फरवरी है. शिवानंद तिवारी को बक्सर से, एन. के. सिंह को बांका से और साबिर अली को शिवहर से लोकसभा चुनाव लडे जाने की संभावना व्यक्त की गयी है. इन तीनों को राज्यसभा में आगे नहीं भेजे जाने के पार्टी के फैसले से वे सहमत हैं या नहीं इस बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि यह उनसे ही पूछिए.
नीतीश ने कहा कि पार्टी का फैसला होता है और उसके अनुसार काम होता है. पार्टी ने उन्हें आफर दिया है और वे जैसा उचित समझेंगे, व्यक्तिगत तौर पर निर्णय लेंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या ये तीनों लोकसभा का चुनाव लडेंगे नीतीश ने उनमें से एक साबिर अली की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह वे नहीं कह सकते उनमें से एक मौजूद हैं उनसे स्वयं पूछ लें. साबिर ने कहा कि पार्टी का जो भी निर्णय होगा उसे वे सर्वमान्य मानते हुए उसे स्वीकार करेंगे.
शिवानंद तिवारी और आर के सिंह के चुनाव लडने के लिए राजी होने के बारे में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि जब उन्हें आफर कर दिया गया तो पार्टी लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकती है और अगले चौबीस घंटे के बाद उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आने पर उनकी उम्मीदवारी को समाप्त मान लिया जाएगा. पार्टी नेता देवेश चंद्र ठाकुर के राज्यसभा उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से उनके नाराज होने के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं हैं. वे बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं और उसके उम्मीदवार हैं.
कौन दुखी है वह आप लोगों :मीडिया: से अपना दुख ज्यादा बताते हैं. उन्होंने कहा कि अपने मन में किसी चीज की इच्छा रखना कोई बुरी बात नहीं और लोकसभा के टिकटों का अभी बंटवारा नहीं हुआ है और उम्मीदवार तय नहीं किए गए हैं.
जदयू प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र के साथ दाखिल किया संपत्ति व मुकदमे का भी ब्योरा
– हरिवंश : 37 वर्षों की पत्रकारिता का कैरियर
परिचय
हरिवंश, सिताबदियारा (जयप्रकाश जी के गांव) के रहनेवाले हैं. 30 जून, 1956 को जन्मे हरिवंश के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों में नाम, हरिबंश नारायण सिंह है. क्योंकि प्राइमरी स्कूल के आरंभिक कागजातों में अभिभावकों ने यही दर्ज कराया था. पर 1974 के जयप्रकाश आंदोलन के प्रभाव में इन्होंने जनेऊ भी छोड़ा और अपना नाम सिर्फ हरिवंश लिखना शुरू किया.
गांधी, जेपी, लोहिया और सर्वोदय की विचारधारा से प्रभावित छात्र राजनीति में भी वह सक्रिय रहे. शायद इसी कारण उनके संपादन में निकलनेवाले अखबार प्रभात खबर में बिहार जदयू द्वारा उन्हें राज्यसभा प्रत्याशी बनाने पर उनकी तसवीर छपी. हरिवंश ने बनारस से पढ़ाई की. अर्थशास्त्र में एमए (बीएचयू) किया. मार्च, 1976-1977 के बीच उन्होंने बीएचयू से ही पत्रकारिता में डिप्लोमा डिग्री ली. फरवरी, 1977 में वह टाइम्स आफ इंडिया समूह में प्रशिक्षु पत्रकार (हिंदी) चुने गये. प्रशिक्षण के बाद धर्मयुग (मुंबई) में डा. धर्मवीर भारती के साथ उप संपादक के रूप में काम किया.
मुंबई से मन उचटने के कारण कुछ वर्षों बाद, 1981 में बैंक आफ इंडिया में अधिकारी के रूप में वह गये. इसी दौर में उन्हें रिजर्व बैंक में भी अधिकारी की नौकरी मिली. पर बैंक की नौकरी छोड़ कर वह पुन: पत्रकारिता में लौट आये. कोलकाता रविवार में सहायक संपादक के रूप में. पांच वर्षों से अधिक समय तक काम करने के बाद उन्हें लगा कि महानगरों की पत्रकारिता से हट कर ग्रासरूट की पत्रकारिता का अनुभव होना चाहिए.
अक्तूबर, 1989 में वह नितांत अपरिचित जगह रांची, प्रभात खबर आये. तब प्रभात खबर की प्रसार संख्या लगभग चार सौ प्रतियां प्रतिदिन थी और यह सिर्फ रांची से छपता था. आज प्रभात खबर, झारखंड, बिहार और बंगाल समेत कुल दस जगहों से प्रकाशित होता है. वर्तमान में इसकी पाठक संख्या इंडियन रीडरशीप सर्वे के अनुसार रोजाना 89.26 लाख है. हर दिन आठ लाख से अधिक प्रतियां छपती हैं.
एक जगह, रांची से शुरू होकर यह अखबार अब तीन राज्यों (बिहार, झारखंड और बंगाल) के दस जगहों (रांची, जमशेदपुर, धनबाद, देवघर, पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, कोलकाता एवं सिलीगुड़ी) से छप रहा है. प्रभात खबर को यहां तक लाने वाली जो अग्रणी टीम रही है, उसमें हरिवंश भी रहे हैं. जब श्री चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने, तो उस समय हरिवंश प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव (एडिशनल इनफारमेशन एडवाइजर) के रूप में गये. फिर प्रभात खबर में ही लौटे. हरिवंश को कई मशहूर पुरस्कार और सम्मान भी मिले हैं. लगभग बीस महत्वपूर्ण सरकारी और गैर सरकारी समितियों के सदस्य या बोर्ड आफ डायरेक्टर्स में वह रहे हैं.
अनुभव
हरिवंश ने मार्च, 1977 में टाइम्स आफ इंडिया समूह (मुंबई) में काम शुरू किया. फिर कुछेक वर्ष बाद बैंक आफ इंडिया में काम किया. फिर आनंद बाजार पत्रिका समूह (कोलकाता) में रहे. इसके बाद प्रभात खबर , रांची आये. चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने पर वह प्रधानमंत्री कार्यालय (दिल्ली) गये. फिर प्रभात खबर में ही लौटे. इस तरह वह मार्च, 1977 से 2014 के आरंभ तक यानी लगभग 37 वर्षों तक नौकरी में रहे. कई संस्थानों में. कई जगहों पर. यूपी से पढ़ाई. मुंबई (महाराष्ट्र) में नौकरी. फिर हैदराबाद (आंध्र) में. पुन: बिहार में. फिर कोलकाता (बंगाल) में. पत्रकारिता में. फिर 1990 से रांची. पुन: दिल्ली. फिर रांची वापसी. प्रभात खबर में वह लगभग 65 लाख के सालाना पैकेज (तनख्वाह व अन्य सुविधाएं) पर हैं. इस बीच कुछेक बड़े समूहों से उन्हें महत्वपूर्ण पद और इससे बड़े पैकेज के प्रस्ताव मिले, पर वह प्रभात खबर में ही बने रहे.
संपत्ति
हरिवंश खेतिहर परिवार से हैं. पुश्तैनी गांव में लगभग साढ़े सोलह एकड़ खेत है. दो राज्यों (उत्तर प्रदेश और बिहार) के दो जिलों [बलिया (उत्तर प्रदेश), सारण (बिहार)] स्थित इस पैतृक संपत्ति का आज बाजार मूल्य लगभग 1.9 करोड़ है. रांची में वह तीन कमरों के फ्लैट में रहते हैं. यह उनका निजी फ्लैट है. रांची में ही उनकी पत्नी के नाम से एक छोटा (लगभग 750 वर्ग फुट) ऑफिस स्पेश है. वर्षों पहले रांची से सटे इलाके में खरीदी गयी लगभग 25 डिसमिल जमीन है. पत्नी के नाम से ही रांची के ग्रामीण इलाके में 117 डिसमिल खेतिहर जमीन है.
सामाजिक काम के उद्देश्य से गांव (सिताबदियारा) में लगभग 39 कट्ठा जमीन खरीदी है. हरिवंश के नाम से तकरीबन 37 लाख के फिक्स डिपाजिट (एफडी) और रेकरिंग डिपाजिट (आरडी) में जमा धन है. शेयर बाजार व म्युचूअल फंड में लगभग साढ़े पंद्रह लाख का निवेश है. पोस्ट ऑफिस के पीपीएफ स्कीम में 14 लाख 21 हजार जमा हैं. लगभग 26 लाख रुपये निजी फर्मों में निवेश हैं. पत्नी के पास लगभग दस लाख के फिक्स डिपाजिट हैं तथा तीन लाख साठ हजार के शेयर और म्युचूअल फंड में निवेश हैं. पत्नी के नाम से ही 13 लाख 11 हजार पोस्ट ऑफिस में जमा है. पत्नी के पास 26.30 लाख के सोने-चांदी के सिक्के व अन्य गहने (स्त्री धन) हैं.
दोनों (पति और पत्नी) को मिलाकर चार जीवन पॉलिसी हैं. बैंक व नगद राशि मिला कर हरिवंश के पास कुल छह लाख हैं और इसी के तहत पत्नी के पास एक लाख तीस हजार है. दशकों पहले गाजियाबाद (यूपी) में पत्रकारों द्वारा बने जनसत्ता को-ऑपरेटिव सोसाइटी में लिया गया एक फ्लैट भी है. इस तरह हरिवंश व उनकी पत्नी के पास कुल संपत्ति, आज के बाजार मूल्य पर 4.75 करोड़ की है. हरिवंश और उनकी पत्नी पर कुल कर्ज है, 43.71 लाख. हरिवंश की दो संतानें हैं. वर्षों से दोनों नौकरी में हैं. और आत्मनिर्भर हैं. हरिवंश की नौकरी पेशा, शादीशुदा बेटी ने पटना (बिहार) में एक छोटा फ्लैट (1360 वर्ग फुट) ले रखा है.
मुकदमे
हरिवंश पर एक भी निजी मुकदमा या विवाद नहीं है. अखबार की खबरों पर मानहानि या मनी सूट या दीवानी से जुड़े जो मामले होते हैं, वे नियमत: केस रजिस्ट्रेशन एक्ट व भारतीय दंड संहिता के तहत अखबार के संपादक, उसके प्रकाशक और खबर लिखनेवालों पर होते हैं. ऐसे ही तीन मुकदमों पर उनके खिलाफ भी संज्ञान हैं, जिनके खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में क्वैशिंग (निरस्त) याचिका दायर है. अन्य मामले मनी सूट, दीवानी वगैरह से संबंधित है. झारखंड के एक बड़े राजनेता, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर मामले चल रहे हैं, उन्होंने हरिजन उत्पीड़न के तहत दो लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है, जिनमें से एक बड़े दल के प्रमुख नेता और दूसरे हरिवंश हैं.
लेखन
उनके संपादन व अपने लेखों के संकलन को मिला कर लगभग बारह पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं. धर्मयुग, रविवार, प्रभात खबर समेत अनेक महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में, पिछले 37 वर्षों से लगातार वह राजनीति, अर्थनीति, समाजनीति, यात्रा वृत्तांत से लेकर धर्म, अध्यात्म व अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर लिखते रहे हैं. कई महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में हिंदी व अंग्रेजी में उन पर कई लेख भी प्रकाशित हुए हैं. हिंदी व अंग्रेजी के जानेमाने लोगों के संपादन में निकली कई महत्वपूर्ण पुस्तकों में भी उनके लेख छपे हैं. बिहार और झारखंड पर भी कई पुस्तकों का संपादन किया है.
विदेश यात्रा
विभिन्न निमंत्रणों के तहत वह अमेरिका, रूस, चीन, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, जापान समेत दुनिया के लगभग दो दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण देशों की यात्राएं कर चुके हैं. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ भी उन्होंने कई देशों की यात्राएं की हैं. कैलास मानसरोवर भी वह हो आये हैं. अपने रोचक यात्रा अनुभव भी लिखे हैं.
* रामनाथ व कहकशां से उनके आश्रित धनवान
रामनाथ : 25.57 लाख के मालिक
संपत्ति की विवरणी जो दाखिल की गयी है, उसमें रामनाथ ठाकुर से ज्यादा संपत्ति उनकी पत्नी के पास है. कहकशां परवीन के आश्रित यानी पति नसीमुद्दीन के पास ज्यादा संपत्ति है. श्री ठाकुर के पास कर्पूरी ग्राम, इसमाइल नगर चंदौपत्ती, सलेमपुर दशरहा में कई भूखंड हैं. उनके पास कुल 25 लाख 57 हजार 400 रुपये की अचल संपत्ति है, जबकि उनकी पत्नी के नाम पर एक करोड़ 40 लाख 96 हजार 650 रुपये की संपत्ति है.
नगद के नाम पर श्री ठाकुर के पास 19800 रुपये व उनकी पत्नी पास 12300 रुपये हैं. वाहन के नाम पर उनके पास एंबेसडर कार है. 55 हजार रुपये की ज्वेलरी उनके पास है. पत्नी के तीन लाख रुपये की ज्वेलरी है. चल संपत्ति के रूप में उनके पास 22 लाख 60 हजार 54 रुपये और पत्नी के पास सात लाख पांच हजार 67 रुपये हैं. श्री ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं. वे ललित नारायण मिथिला विवि से इंटर उत्तीर्ण हैं. श्री ठाकुर ने एनडीए के शासनकाल में सूचना एवं जनसंपर्क व राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री के रूप में काम किया है. 2010 के चुनाव में समस्तीपुर विधानसभा क्षेत्र से वह राजद के अख्तरूल इसलाम शाहीन से चुनाव हार गये थे. इनके खिलाफ किसी भी कोर्ट में कोई मुकदमा लंबित नहीं है.
* कहकशां : नकद 5380 रुपये
दूसरी प्रत्याशी कहकशां परवीन के पास नगदी 5380 रुपये है, जबकि उनके आश्रित के पास 18700 रुपये हैं. विभिन्न बैंकों में 10 लाख 34 हजार 610 रुपये उनके पास है और उनके आश्रित के पास 12 लाख 79 हजार 465 रुपये हैं. अचल संपत्ति उनके आश्रित के पास ही है, जो मूलत: भागलपुर में है. इसका मूल्य 40.98 लाख रुपये है. कहकशां परवीन रांची विवि से स्नातक उत्तीर्ण हैं. वह राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रही हैं. उनके कार्यकाल में महिला उत्पीड़न से संबंधित कई मामलों में त्वरित कार्रवाई हुई है. इससे पूर्व वह भागलपुर नगर निगम की महापौर थीं. कहकशां परवीन या उनके पति के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है.