पटना: बिहार के मुख्यमंत्री ने आज कहा कि पिछले आठ सालों के दौरान बिहार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रतिमाह आने वाले मरीजों की संख्या 39 से बढकर अब आठ हजार हो गयी है.
मुख्यमंत्री सचिवालय के संवाद सभाकक्ष में आज औषधियों की एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला व्यवस्था ‘औषधारा’ का शुभारंभ एवं स्वास्थ्य क्षेत्र की लगभग 420.20 करोड रुपये की विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास करते हुए नीतीश ने कहा कि पिछले आठ सालों के दौरान प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले मरीजों की संख्या 39 से बढकर अब प्रतिमाह आठ हजार हो गयी.
उन्होंने गुणवतापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के लिये चिकित्सकों के सहयोग की आवश्यकता जताते हुए कहा कि ऐस डाटा बैंक तैयार किया जाना चाहिये जिससे यह मालूम डे कि किस इलाके में किस बीमारी का ज्यादा प्रकोप है. किस इलाके में क्या कमी है जिसके कारण वहां के लोग ज्यादा बीमार पडते हैं.मुख्यमंत्री ने कहा कि किस प्रकार का कार्य किया जाय जिससे लोग कम से कम बीमार पडे. इस प्रकार डाटा बैक रखने से कई प्रकार के नतीजे निकल सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा में बेहतरी आयेगी लोगों को लाभ मिलेगा.
इन दस जीएनएम स्कूल और दस एएनएम स्कूल की कुल लागत क्रमश: 107.70 करोड रुपये एवं 51.20 करोड रुपये और अनुग्रह नारायण चिकित्सा महाविदयालय एवं दरभंगा चिकित्सा महाविदयालय अस्पताल में आधारभूत संरचना विकास पर अनुमानित लागत क्रमश: 31.40 करोड रुपये एवं 19.90 करोड रुपये तथा 71 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 30 शयया वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उत्क्रमण पर कुल लागत 230 करोड रुपये आएगी.
इस अवसर पर मख्यमंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र के सुदृढीकरण के लिए द्वितीय चरण सुधार के अन्तर्गत कई घोषणायें की जिसमें राज्य के 534 प्रखंडों में चौबीसों घंटे और सप्ताह के सभी दिन संचालित किए जाने वाले कम से कम एक-एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन सभी शामिल है.
उन्होंने कहा कि राज्य के प्रत्येक जिला के दो अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो में रेडियोलाजी एवं पैथोलाजी की सेवा प्रारंभ की जायेगी. राज्य के सभी चिकित्सा महाविदयालयों में लोक निजी भागीदारी से एमआरआइ अथवा सिटी स्कैन मशीन अगले छह माह में स्थापित किये जायेंगे. राज्य के सभी 36 जिला अस्पतालों में सिटी स्कैन की सेवा अगले छह माह के अंदर आरंभ करायी जायेगी.