पटना: शौचालय नहीं तो नगर निकाय या पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित. बीते दिन एक कार्यक्रम में यह घोषणा करनेवाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ब्लॉग पर बेबाकी से अपनी राय रखी है.
सीएम ने कहा है कि खुले में शौच जाना मानव की गरिमा पर अभिशाप है. लोगों ने आदर और सम्मान देकर यह पद (सीएम) दिया है, तो कर्तव्य बनता है कि लोगों को गरिमामय जीवन दूं. इसके लिए शौचालय का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. बिहार सरकार ने एक करोड़ 11 लाख ग्रामीण परिवारों में शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया है. दो करोड़ 19 लाख शौचालय विहीन परिवार हैं. सरकार की मंशा है कि वर्ष 2015 तक बिहार के सभी घरों में शौचालय की सुविधा बहाल कर दी जाये.
प्रतिष्ठित जीवन सुनिश्चित करना जिम्मेवारी : मुख्यमंत्री ने कहा है कि देश में 600 करोड़ लोग और 53 प्रतिशत भारतीय परिवार खुले में शौच करते हैं. हर दिन करीब दो बिलियन टन मल से बैक्टीरिया या वायरस उत्पन्न होता है. खुले शौच का परिणाम डायरिया होता है. इससे हर दिन 1600 से अधिक बच्चों की मौत होती है. इसलिए हर राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराये. लोगों को प्रतिष्ठित जीवन सुनिश्चित करे. अगर मेरी सरकार लोगों की गरिमा को कायम रखने में सफल होती है, तो यह मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. उम्मीद करता हूं कि इस घोषणा के बाद आम लोगों व सरकारी संस्थाओं में शौचालय को लेकर जागरूकता आयेगी. आम लोगों में शौचालय के प्रति जागरूकता लाने के लिए पंचायती राज अधिनियम में संशोधन किया जायेगा.
सरकार मुहैया करायेगी राशि : सीएम की कुरसी संभालने के बाद ही इस मुद्दे पर जागरूकता कार्यक्रम चलाया. डॉ राम मनोहर लोहिया से शुरू से ही प्रेरित रहा. उन्हीं से प्रेरणा लेकर 2006 में लोहिया स्वच्छता योजना की शुरुआत हुई. महाराष्ट्र को छोड़ बिहार ही ऐसा राज्य है, जहां शौचालय को लेकर पहल हुई. सरकार बीपीएल के साथ ही एपीएल परिवार को भी शौचालय बनाने के लिए राशि मुहैया करायेगी. शत-प्रतिशत शौचालय होने पर ही पंचायतों को निर्मल ग्राम पंचायत का पुरस्कार व पांच लाख रुपये दिये जायेंगे. सभी पंचायतों में शत-प्रतिशत शौचालय हुए, तो निर्मल प्रखंड का पुरस्कार और 25 लाख की राशि दी जायेगी.