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बच्चेदानी ऑपरेशन में फंसेंगे कई बड़े लोग

– अजय कुमार – – सुपरविजन रिपोर्ट में बड़ा खुलासा – पांच वर्षो में बीमा कंपनियों ने 442 करोड़ किये खर्च – खुले आसमान के नीचे भी कर दिये ऑपरेशन – 159 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने दिये प्रीमियम – दोषी नर्सिग होम पर दर्ज होंगे आपराधिक केस बीपीएल परिवारों को मुफ्त इलाज की सुविधा […]

– अजय कुमार –

– सुपरविजन रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

– पांच वर्षो में बीमा कंपनियों ने 442 करोड़ किये खर्च

– खुले आसमान के नीचे भी कर दिये ऑपरेशन

159 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने दिये प्रीमियम

– दोषी नर्सिग होम पर दर्ज होंगे आपराधिक केस

बीपीएल परिवारों को मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया करानेवाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में पिछले साल घोटाला उजागर हुआ था. केवल कागजों पर ऑपरेशन कर पैसे हजम कर लिये गये, बल्कि गैर जरूरी ऑपरेशन भी किये गये. समस्तीपुर में सबसे ज्यादा गड़बड़ियां उजागर हुई थीं.

सीआइडी की जांच रिपोर्ट में निजी नर्सिग होम, डॉक्टरों और बिचौलियों की मिलीभगत सामने आयी है. ऐसे लोगों की गरदन फंसनेवाली है.

समस्तीपुर जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत ऐसे व्यक्ति का ऑपरेशन किया गया, जिसके पास इस बीमा योजना के तहत बना स्मार्ट कार्ड ही नहीं है.

समस्तीपुर जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहतऐसे व्यक्ति के कार्ड पर पैसे का भुगतान किया, जिसका ऑपरेशन हुआ ही नहीं.

समस्तीपुर में ऐसे नर्सिंग होम में ऑपरेशन कर इस योजना का लाभ लिया गया, जो नर्सिंग होग भारत सरकार की ओर से तय मानक को पूरा नहीं करते थे.

आगे क्या

1 समस्तीपुर जिला प्रशासन को कहा गया है कि वह पीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट से एक स्वतंत्र मेडिकल टीम बनाने के लिए कहे.

2 मेडिकल टीम मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी.

3 उसकी रिपोर्ट के बाद ही पुलिस टीम अपनी अंतिम रिपोर्ट देगी.

पटना : राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में बगैर मरीज के ही उसका ऑपरेशन हो गया और उसके खर्च का क्लेम कर दिया गया. मरीज कहां है, पता नहीं. इस मामले की जांच कर रही पुलिस टीम ने अपनी सुपरविजन रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है.

कुछ मामलों में मरीजों का खुले आसमान के नीचे पेट खोल कर ऑपरेशन कर देने की बात पुलिस की शुरुआती छानबीन में सामने आयी है. ऐसे नर्सिग होम के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होंगे. वर्ष 2008 से लेकर 2013 तक बीमा कंपनियों ने इलाज के एवज में जो भुगतान किया, वह है 4 अरब 42 करोड़.

जांच टीम ने एक भी नर्सिग होम को केंद्र सरकार के बनाये गये सौ पारामीटर में से चारपांच में भी खरा नहीं पाया. कुछ नर्सिग होम में ऑपरेशन खुले में किया गया. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह आपराधिक कार्रवाई थी.

इस रैकेट के दो पक्ष हैं. पहला कि इस योजना में फर्जी तरीके से पैसा बनाने के उपाय किये गये और दूसरा, पैसा बनाने के चक्कर में बेहद लापरवाही के साथ ऑपरेशन या इलाज किये गये. खुले में ऑपरेशन सबसे हैरानी में डालनेवाली बात थी.

जानकारी के अनुसार, जांच को पुख्ता आधार देने के लिए समस्तीपुर जिला प्रशासन को कहा है कि वह पीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट से एक स्वतंत्र मेडिकल टीम बनाने के लिए कहे. मेडिकल टीम मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी. उसकी रिपोर्ट के बाद ही पुलिस टीम अपनी अंतिम रिपोर्ट देगी.

यह टीम समस्तीपुर के मामले की जांचकर रही है. जांच के दौरान ऐसे स्मार्ट कार्ड मिले, जिसके वास्तविक लाभार्थी के बारे में कुछ पता नहीं है. कुछ कार्ड ऐसे भी पाये गये, जिसके लाभार्थी की हैसियत गरीबी रेखा से ऊपर है.

लाभार्थियों के नाम पते में भी गड़बड़ी पायी गयी. कार्ड पर नाम और फोटो किसी और का और पता कहीं और का. बीते साल समस्तीपुर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य ग्रामीण बीमा योजना में भारी गड़बड़ी उजागर हुई थी.

जांच टीम को हैरानी इस बात को लेकर हो रही है कि फर्जी स्मार्ट कार्ड कैसे बन गये? इसके पीछे क्या कोई संगठित गिरोह काम कर रहा है? इसके शुरुआती संकेत मिले हैं. इस योजना के तहत बगैर ऑपरेशन के बच्चेदानी निकालने या गैर जरूरी ऑपरेशन करने की बात बड़े रैकेट के आगे फीकी पड़ती जा रही है. इसका मतलब यह हुआ कि बीमा और इलाज के नाम पर पैसा बनाने के धंधे का विस्तार व्यापक हुआ है.

क्या है राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना

बीपीएल परिवारों के लिए केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरुआत एक अप्रैल, 2008 को की थी. इसके तहत इलाज पर अधिकतम 30 हजार रुपये तक खर्च सरकार देती है. लाभार्थियों को अपने को पंजीकृत करने के लिए शुरू में सिर्फ 30 रुपये देने होते हैं. इसमें एक परिवार के पांच लोगों को फायदा होता है. परिवार का बायोमीटरिक कार्ड बनता है, जिस पर अंगुलियों के निशान फोटो होते हैं. योजना के तहत आनेवाले अस्पतालों को भी जिला से जुड़ा होना अनिवार्य है.

20 लाख स्वास्थ्य बीमा से हुए वंचित

शशिभूषण कुंवर, पटना

राज्य के 20 लाख से अधिक गरीब परिवार फिलहाल स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभ से वंचित हो गये हैं. कारण, 12 जिलों में बीमा की अवधि समाप्त हो गयी है. बीमा कंपनियों, निजी अस्पतालों सरकार के बीच फाइल घूमते रहने से बीमा का नवीकरण नहीं हो पाया है. बीमित लोगों का सालाना 30 हजार रुपये का मुफ्त इलाज होता है. पांच जिलों के लोगों को एक साल से अधिक समय, जबकि शेष जिलों के लोगों दोचार माह से मुफ्त इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है. एक साल से बीमा के लाभ से वंचित जिलों में भागलपुर, जमुई, कैमूर, लखीसराय, नवादा सहरसा और दोचार माह वालों में बक्सर, कै मूर, पटना, पूर्वी चंपारण, सारण, शिवहर सीवान हैं.

केंद्र ने बिहार के करीब 66 लाख बीपीएल परिवारों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा का कवरेज दिया है. इनमें से 20 लाख परिवार फिलहाल इससे वंचित हो गये हैं. हद तो यह कि पटना जिले के लोगों की भी पॉलिसी की समयसीमा जुलाई से ही समाप्त है. अधिकारी बता रहे हैं कि जल्द ही सुविधा बहाल कर दी जायेगी.

कुछ कंपनियों को सेवा विस्तार दिया गया है. कुछ जिलों में पॉलिसी को लेकर कानूनी राय की आवश्यकता थी. वैसे मामलों में विधि विभाग से परामर्श के लिए संचिका भेजी गयी है. जिन जिलों में पॉलिसी समाप्त हो गयी है, वहां जल्द टेंडर जारी कर न्यूनतम प्रीमियम पर सेवा देनेवाली बीमा कंपनी को कार्य सौंप दिया जायेगा.

विश्वंभर राम, निदेशक

श्रम संसाधन विभाग

कहां क्या स्थिति

जिला परिवार पॉलिसी खत्म

भागलपुर —- एक साल से अधिक

जमुई —- एक साल से अधिक

कैमूर 139544 31 जुलाई, 2013

लखीसराय 42460- 31 अगस्त, 2012

नवादा– 105802- 31 अक्तूबर, 2012

पटना– 370214- 31 जुलाई, 2013

पू.चंपारण– 457884- 31 जुलाई, 2013

सहरसा– 134822- 31 अक्तूबर, 2012

सारण– 283973- 31 जुलाई, 2013

शिवहर– 52834- 30 सितंबर, 2013

सीवान– 211883- 31 जुलाई, 2013

एक वर्ष में मरीजों पर खर्च

जिलाभरती मरीज खर्च

बक्सर– 3329- 18807675 रुपये

जमुई– 5266- 42293878 रुपये

कैमूर– 5286- 26426475 रुपये

लखीसराय 3289- 18916393 रुपये

नवादा– 4670- 39740975 रुपये

पटना– 21427- 155769648 रुपये

पू.चंपारण 23141- 160016209 रुपये

सहरसा– 5510- 48144325 रुपये

सारण– 10780- 73561476 रुपये

शिवहर– 1694- 15394823 रुपये

सीवान5910- 38266284 रुपये

(स्नेत : राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की वेबसाइट)

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