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कहलगांव के रमजानीपुर पहाड़िया टोला में मिले पाल कालीन बौद्ध स्तूप!

पुरातत्व विभाग करेगा खुदाईभागलपुर/कहलगांव: कहलगांव के रमजानीपुर पहाड़िया टोला में 11वीं सदी के नौ बौद्ध स्तूपों के मिलने की सूचना मिलने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) ने वहां खुदाई करने का निर्णय लिया है. इसके लिए भागलपुर प्रशासन से खुदाई स्थल व पाल कालीन स्तूपों (घड़े जैसे पात्र) की तस्वीरें मांगी गयी है. […]

पुरातत्व विभाग करेगा खुदाई
भागलपुर/कहलगांव: कहलगांव के रमजानीपुर पहाड़िया टोला में 11वीं सदी के नौ बौद्ध स्तूपों के मिलने की सूचना मिलने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) ने वहां खुदाई करने का निर्णय लिया है. इसके लिए भागलपुर प्रशासन से खुदाई स्थल व पाल कालीन स्तूपों (घड़े जैसे पात्र) की तस्वीरें मांगी गयी है. जिसके बाद एएसआइ की एक टीम को खुदाई करने के लिए कहलगांव भेजा जायेगा.

एएसआइ के निदेशक डॉ अतुल वर्मा ने बताया कि भागलपुर के डीएम की मांग पर यह निर्णय लिया गया है. माना जा रहा है कि ये अवशेष प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय के हैं, जो पाल वंश के दौरान बरबाद हो गये थे. उन्होंने बताया कि जमीन के अंदर स्तूपों के विद्यमान होने की बात उस समय सामने आयी जब पहाड़िया टोला के एक किसान ने खेत में काम करने के दौरान जमीन के अंदर कुछ कठोर पदार्थ का अनुभव किया. यह स्थान विक्रमशिला विश्वविद्यालय के अवशेष से लगभग एक किलोमीटर दूर स्थित है. टॉर्च की मदद से बिल के अंदर झांकने पर कुछ कठोर संरचना दिखी.

उसने तत्काल गांववालों को इसकी सूचना दी. ग्रामीणों ने एएसआइ कार्यालय को स्थिति से अवगत कराया. मौके पर पहुंचने पर एएसआइ ने भीतर स्तूपों के विद्यमान होने की संभावना जतायी. जिसके बाद जिला प्रशासन की मदद से उस स्थान की घेराबंदी करायी गयी. एएसआइ विक्रमशिला संग्रहालय के प्रभारी अनुराग कुमार ने पालकालीन नौ स्तूपों के विद्यमान होने की संभावना जतायी है.

खुदाई में मिले स्तूप 11वीं सदी के!
कहलगांव: कहलगांव के रमजानीपुर पहाड़िया टोला में खुदाई के दौरान मिले मिट्टी के पात्र टायराकोटा के मनौती स्तूप हैं. विक्रमशिला खुदाई स्थल के सहायक पुरातत्वविद अनुराग कुमार ने बताया कि ये छोटे-छोटे स्तूप 11वीं व 12वीं सदी के हो सकते हैं. जिस जगह ये अवशेष मिले हैं, वहां कभी पूजा की जाती होगी. जो कालांतर में मिट्टी के अंदर दब गये. नौ स्तूपों में से सबसे बड़ा स्तूप बीच में हैं. शेष उसके चारों ओर गोलाई में समान दूरी पर हैं.

जिला प्रशासन की ओर से फिलहाल इसकी खुदाई पर रोक लगा दी गयी है. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की टीम के आने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू होगी.

ऐसे मिला पुरातात्विक अवशेष
अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नीरज कुमार सिंह ने कहा कि चक्रवाती तूफान के प्रभाव से पूरे क्षेत्र में दो दिनों तक लगातार बारिश हुई थी. वर्षा का पानी जमीन में एक बड़े बिल के अंदर जा रहा था. यह देख गांव के आदिम जनजाति के युवकों ने समझा कि वहां चूहे का बड़ा बिल है. सुरेश पहाड़िया व उसके मित्रों ने चूहा पकड़ने के लोभ में बिल को खोदना शुरू कर दिया. इसी दौरान जमीन के अंदर ये स्तूप उन्हें मिले. गांव के लोग इसे मां मनसा देवी या विषहरी देवी मान बैठे हैं. कई महिलाएं तो पूजा-अर्चना तक करने लगीं.

जुटने लगी भीड़
गुफानुमा गर्भगृह के अंदर मिले मनौती स्तूपों को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटने लगी. हालांकि बाद में प्रशासन ने इसके अंदर दाखिल होने पर पाबंदी लगा दी. डीएसपी ने कहा कि अवशेषों की सुरक्षा के मद्देनजर इसके अंदर जाने पर रोक लगा दी गयी है. स्थल पर अंतीचक, शिवनारायणपुर तथा एकचारी थाना पुलिस को तैनात कर दिया गया है. पहाड़िया टोला से मिले अवशेष की जांच के लिए विक्रमशिला के अधिकारियों ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पटना अंचल को भी लिखित पत्र भेजा है.

रमजानीपुर के पहाड़िया टोला से प्राप्त अवशेष 11वीं से 12वीं सदी के मनौती स्तूप हैं, जो टायराकोटा स्वरूप में हैं. इसे पूजा के लिए बनाया जाता था. इसका संबंध बौद्ध धर्म से है.
अनुराग कुमार, सहायक पुरातत्वविद, एएसआइ विक्रमशिला

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