पटना: राजधानी सहित राज्य के कई जिलों में डेंगू का प्रकोप फैला है, लेकिन मारे जा रहे हैं मलेरिया के मच्छर. डेंगू के मच्छर दिन खासकर सूर्योदय के बाद व सूर्यास्त के दो घंटा पहले तक सक्रिय रहते हैं. लेकिन, स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम द्वारा दवाओं का छिड़काव सूर्यास्त के बाद किया जाता है. यानी, मलेरिया का मच्छर मारने के समय डेंगू की दवा का छिड़काव हो रहा है.
जानकारों के अनुसार, सूरज ढलने के बाद दवाओं के छिड़काव का असर डेंगू के मच्छर पर नहीं होता. शाम से रात तक मलेरिया पैदा करनेवाले मच्छर एनोफेलिस सक्रिय रहते हैं. रात में डेंगू फैलानेवाले एडिस मच्छर निष्क्रिय होकर सतह पर बैठ जाते हैं. ऐसे में दवाओं के छिड़काव का उन पर कोई असर ही नहीं होता. डेंगू मच्छर को मारने के लिए मेलाथियॉन दवा का छिड़काव होता है, जबकि मलेरिया नियंत्रण के लिए डीडीटी का.
सबका अलग समय
मच्छर के कई प्रकार होते हैं. डेंगू मच्छर का नाम एडिस है. इसे ‘टाइगर मच्छर’ कहा जाता है. उसके शरीर पर बाघ के समान धारीदार रेखाएं होती हैं. इसी से उसकी पहचान होती है. दो वर्षो में इस मच्छर ने कालाजार व मलेरिया के मच्छरों से लोगों को अधिक परेशान कर रखा है. एडिस मच्छर डेंगू के अलावा चिकुनगुनिया व येलो फीवर भी फैलाता है. इसकी सक्रियता सूर्योदय के दो घंटे बाद से सूर्यास्त के दो घंटे पहले तक रहती है. मलेरिया फैलानेवाले मच्छर का नाम एनाफिलिस है. इसकी सक्रियता शाम से मध्य रात्रि तक होती है. इसी तरह फाइलेरिया फैलानेवाला मच्छर ब्लैक फ्लाइ होता है. इसकी सक्रियता मध्य रात्रि से पौ फटने के पहले तक होती है.