पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के बीच हुई मुलाकात को जदयू द्वारा संस्कार का हिस्सा बताकर बचाव किये जाने के बाद राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार ने नरेंद्र मोदी के लिए इसकी कमी पर आज सवाल खड़ा किया.
सुशील ने ट्विटर पर लिखा, नीतीश कुमार (पाकिस्तान के प्रधानमंत्री) नवाज शरीफ के साथ हाथ मिला सकते हैं लेकिन उन्होंने नमो को उनके जन्मदिन या उनकी तीसरी जीत पर बधाई देने से इनकार कर दिया. उन्होंने पूछा, क्या इस तरह की छुआछूत भारतीय राजनीति के लिए अच्छी है? यह किस तरह की समावेशी राजनीति है? यह किस तरह की मानसिकता है?
पहले के एक अप्रिय प्रकरण का उल्लेख करते हुए बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, नीतीश कुमार तब बहुत नाराज हुए थे जब समाचार पत्र में वह तस्वीर प्रकाशित हुई थी जिसमें नमो और उन्हें एकसाथ हाथ उठाये हुए दिखाया गया था. नीतीश कुमार इतने नाराज क्यों हुए थे. गत 16 जून को भाजपा के साथ जदयू के 16 वर्ष पुराना गंठबंधन तोड़ने के बाद पहली बार राजधानी दिल्ली में कल राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में नीतीश की आडवाणी के साथ गर्मजोशी से मिलने से राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया.
राजद के लालू प्रसाद यादव ने जदयू और भाजपा के अलग होने को धर्मनिरपेक्ष वोटों को विभाजित करने वाला मैच फिक्सिंग बताया वहीं लोजपा के रामविलास पासवान ने कहा कि यह दोनों दलों के बीच मौन सहमति है.सुशील ने यद्यपि आडवाणी और नीतीश कुमार के गर्मजोशी से मिलने का महत्व कमतर करते हुए इसे राजनीति प्रोटोकाल में मानक व्यवहार बताया.