नयी दिल्ली: बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद रिक्त होने पर चिंता व्यक्त करते हुए संसद की एक समिति ने कहा कि शिक्षकों की कमी की समस्या ने गंभीर रुप धारण कर लिया है और इस मुद्दे पर एक ‘मिशन’ के रुप में ध्यान दिया जाना चाहिए.
संसद के दोनों सदनों में आज पेश मानव संसाधन विकास मंत्रलय से जुड़ी स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘‘ समिति बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद रिक्त होने के गंभीर पहलू पर चिंतित है. 2013.14 की अनुदान मांगों की जांच करते हुए समिति को बताया गया कि 31 मार्च 2012 की स्थिति के अनुसार शिक्षकों के 140 स्वीकृत पदों में 114 पर रिक्त पड़े हुए हैं.’’
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ नियुक्त किये गए 26 शिक्षकों में 15 अनुबंध के आधार पर कार्य कर रहे हैं. गैर शिक्षण पदों से संबंधित स्थिति भी निराशाजनक है. गैर शिक्षण पदों में स्वीकृत 99 पदों में 55 पद रिक्त हैं.’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति समझ नहीं पा रही है कि अप्रैल 2013 के पहले सप्ताह में 2013.14 के अनुदान की मांगों की जांच के दौरान उसे नवीनतम स्थिति की जानकारी क्यों नहीं दी गई.
समिति ने कहा कि किसी भी स्थिति में स्वीकृत 140 पदों की तुलना में 114 पदों का रिक्त होना एक बड़े अंतर को दर्शाता है. रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ इस समस्या ने गंभीर रुप धारण कर लिया है और निकट भविष्य में इसका कोई सरल समाधान होता नहीं दिखाई देता है. इस मुद्दे को मिशन के रुप में ध्यान दिये जाने की जरुरत है.’’